खितौला-सिहोरा में भारतीय किसान यूनियन टिकैत का शक्ति प्रदर्शन,पांच हजार से अधिक किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली।
एड. रमेश पटेल के नेतृत्व में किसानों ने रखीं 9 सूत्रीय मांगें,ओबीसी महासभा और विभिन्न सामाजिक संगठनों का मिला समर्थन।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।
आज 15 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के तत्वावधान में जिलाध्यक्ष एडवोकेट रमेश पटेल के नेतृत्व में हजारों किसानों ने खितौला से सिहोरा तक ट्रैक्टर-ट्राली रैली निकालकर अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस किसान शक्ति प्रदर्शन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट इंद्रकुमार पटेल, जिलाध्यक्ष जितेंद्र कुमार कुर्मी सहित अनेक किसान संगठन, सामाजिक संस्थाएं और आम किसान बड़ी संख्या में शामिल हुए।
रैली सुबह खितौला से प्रारंभ होकर मुख्य मार्गों से गुजरती हुई सिहोरा बस स्टैंड पहुंची, जहां विशाल किसान सभा का आयोजन किया गया। सभा स्थल पर किसानों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में पहुंचे किसानों ने नारेबाजी करते हुए कृषि नीतियों में सुधार की मांग की और कहा कि सरकार किसानों की बात सुनने के बजाय नीतिगत जटिलताओं से खेती को कठिन बना रही है।
सभा को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष एड. रमेश पटेल ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं, लेकिन लगातार बढ़ती लागत, प्रशासनिक लापरवाही और अव्यवस्थित नीति के कारण आज किसान संकट में है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर प्रतिबंध, हार्वेस्टर पर अनिवार्य स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, बढ़े हुए बिजली लोड, खाद वितरण में पंजीयन जैसी व्यवस्थाएं किसानों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही हैं। किसान यूनियन ने इन सभी मुद्दों पर सरकार को आगाह करते हुए 9 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।
मांगों में धान पराली जलाने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने, हार्वेस्टर मशीन पर स्ट्रॉ मैनेजमेंट की अनिवार्यता समाप्त करने, कृषि पंपों के बढ़ाए गए हार्सपावर लोड को सुधारने, धान पंजीयन में छूटे किसानों का पंजीयन करने, खाद वितरण की जटिल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को समाप्त कर सरल व्यवस्था बनाने, भूमि अधिग्रहण में बिना मुआवजा दिए लागू किए गए 50% नियम को समाप्त करने, धान खरीदी की तैयारी अभी से पूरी करने, नहरों की मरम्मत और नहर मार्गों पर सड़क निर्माण की मांग के साथ-साथ अनाज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से लागू करने की बात प्रमुख रूप से रखी गई।
किसान नेताओं ने कहा कि यदि सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज किया, तो आने वाले समय में यह आंदोलन जिले से प्रदेश और फिर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को अब आंदोलन की राह पर मजबूर किया जा रहा है, क्योंकि प्रशासनिक स्तर पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि किसान केवल अपने अधिकारों की मांग कर रहा है। खाद, बिजली, सिंचाई और फसल खरीदी जैसे बुनियादी मुद्दों को लेकर किसान लगातार परेशान है। वर्तमान में धान खरीदी की तैयारियां अधूरी हैं, नहरों की मरम्मत कार्य ठप हैं और खाद वितरण में पारदर्शिता नहीं है। ऐसे में सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेकर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
सभा में शामिल प्रमुख किसान नेताओं और कार्यकर्ताओं में नोकेलाल प्रजापति, विवेक पटेल, के.के. अग्रवाल, रूपेंद्र पटेल, एड. रामगोपाल पटेल, अनिल पटेल, विनय पटेल, ओमप्रकाश पटैल, अवसर पटेल, संतकुमार पटेल, सुनील विश्वकर्मा, प्रमोद पटेल, रंजीत पटेल, अनूप पटैल, मुकेश पटेल, दिलीप पटेल, संदीप पटेल, कप्तान पटेल, गोकुल पटेल, बीरेंद्र पटेल, प्रदोष पटेल, अमित विश्वकर्मा, लक्ष्मीनारायण पटेल, अशोक पटैल, उमेश पटैल, दीपक यादव, राकेश पटेल, मदन पटेल, मोनू विश्वकर्मा, अरुण पटैल, प्रवीण पटेल, सुरेंद्र पटेल, अमित पटेल, सुनील पटेल, रणजीत दाहिया, श्याम साहु, राजकुमार पटैल, अजीत पटेल, प्रदीप पटैल समेत हजारों किसान शामिल रहे।
सभा के अंत में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि यदि मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो किसान एकजुट होकर सड़कों पर उतरेंगे और चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। किसानों ने कहा कि यह संघर्ष केवल धान या खाद का नहीं, बल्कि गांव, जमीन और आत्मनिर्भर कृषि व्यवस्था की रक्षा का है। इस आंदोलन को जिले के हर गांव और हर किसान तक पहुंचाने का संकल्प भी लिया गया।
सभा के समापन पर किसान यूनियन के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन यदि सरकार ने उपेक्षा की तो किसान सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे। हजारों किसानों की उपस्थिति ने आज स्पष्ट कर दिया कि किसान अब संगठित हैं और अपने हक की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ेंगे।
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