सिहोरा विकासखंड के किसानों को नरवाई जलाने की बजाय उसका सही प्रबंधन कर जैविक और टिकाऊ खेती में उपयोग करने के लिए किया जागरूक।

 सिहोरा विकासखंड के किसानों को नरवाई जलाने की बजाय उसका सही प्रबंधन कर जैविक और टिकाऊ खेती में उपयोग करने के लिए किया जागरूक।

कृषि विस्तार अधिकारी अदिति सिंह राजपूत ने किसानों को फसल अवशेष के लाभकारी उपयोग और पर्यावरण संरक्षण के महत्व से अवगत कराया।

गोसलपुर,ग्रामीण खबर MP।

मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत किसानों को नरवाई और अन्य फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम के तहत सिहोरा विकासखंड में ग्राम पंचायत कछपुरा और गोसलपुर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों का संचालन कृषि विस्तार अधिकारी अदिति सिंह राजपूत द्वारा किया गया, जिनमें किसानों को फसल अवशेष न जलाने और उनका सही उपयोग करने के तरीके विस्तारपूर्वक बताए गए।

कार्यक्रम में किसानों को समझाया गया कि नरवाई जलाने की बजाय उसका उपयोग जैविक खाद बनाने, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और टिकाऊ खेती के लिए किया जा सकता है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होता है, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर भी उत्पन्न होते हैं। उन्होंने किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान, वायुमंडलीय प्रदूषण और मिट्टी की उर्वरता पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।

किसानों को फसल अवशेषों के उपयोग के लाभकारी तरीकों के बारे में भी बताया गया। इसमें सुपर सीड्रिल, हैप्पी हैप्पी सीड्रिल रैपर और जीरो टिलेज पद्धति जैसे आधुनिक कृषि यंत्र और विधियों का प्रयोग करके खेत में सीधी बुवाई करने की विधि शामिल है। विशेष रूप से हैप्पी सीड्रिल का उपयोग करने पर नरवाई का सही प्रबंधन होने के साथ-साथ मिट्टी का स्वास्थ्य भी सुधरता है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, किसानों को जैविक खाद बनाने, वर्मी कंपोस्ट तैयार करने और फसल अवशेषों का सही समय पर खेत में लौटाने के तरीकों की भी जानकारी दी गई।

इस अवसर पर ग्राम पंचायत गोसलपुर की सरपंच गिरिजा जितेंद्र पालीवाल, सचिव प्रदीप यादव, ग्राम पंचायत कछपुरा के सरपंच देवेंद्र पटेल और सचिव विजय पटेल के साथ कई प्रगतिशील किसान भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किए और नरवाई प्रबंधन के लिए आधुनिक यंत्रों और तकनीकों के उपयोग पर अपनी रुचि दिखाई।

कार्यक्रम का उद्देश्य केवल नरवाई प्रबंधन तक सीमित नहीं था, बल्कि किसानों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखना और खेती से आय के अतिरिक्त स्रोत विकसित करना भी था। कार्यक्रम में किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और टिकाऊ खेती के लाभों के बारे में विस्तृत चर्चा के माध्यम से समझाया गया।

इस जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई कि किसान केवल खेती में उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान न दें, बल्कि फसल अवशेषों का सही प्रबंधन कर पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता और आय के नए अवसर भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

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