बसांडी में ईओडब्ल्यू का छापा,सहकारी समिति के सेल्समेन के घर से मिली बेहिसाब संपत्ति,ढीमरखेड़ा में भी कई पर शिकंजा कसने की तैयारी।
आय से कई गुना अधिक संपत्ति की जांच में जब्त हुए दस्तावेज, नकदी और गोल्ड लोन के कागजात,सहकारिता विभाग के अन्य कर्मचारियों पर भी गहराएगा ईओडब्ल्यू का शक।
बड़वारा,ग्रामीण खबर MP।
जबलपुर ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) की टीम ने मंगलवार सुबह बड़वारा विकासखंड के ग्राम बसांडी में सहकारी समिति के सेल्समेन सुशील गुप्ता के निवास और ठिकानों पर छापा मारा। यह कार्रवाई सुबह करीब 7:40 बजे शुरू हुई और देर दोपहर तक चलती रही। कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर की गई थी, जिसकी जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 1991 में सुशील गुप्ता की कुल आय मात्र 19 लाख रुपये के आसपास थी। लेकिन वर्ष 2025 तक आते-आते उनकी संपत्ति में लगभग 150 गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। जांच अधिकारियों का अनुमान है कि वर्ष के अंत तक यह वृद्धि 300 गुना तक पहुंच सकती है। इस वृद्धि ने विभागीय अमले को भी चौंका दिया है।
ईओडब्ल्यू की टीम ने एक साथ कई ठिकानों — जिसमें आवासीय मकान, मिल, वेयरहाउस और फार्महाउस शामिल हैं — पर तलाशी की। तलाशी के दौरान 33,000 रुपये नकद, बैंक खातों से संबंधित गोल्ड लोन के दस्तावेज और कई अचल संपत्तियों के कागजात बरामद किए गए। प्रारंभिक जांच के अनुसार, बरामद दस्तावेजों से संपत्ति का एक बड़ा जाल सामने आया है, जिसकी जांच अब बैंक खातों और संपत्ति पंजीयन रिकॉर्ड से मिलान कराई जा रही है।
यह कार्रवाई ईओडब्ल्यू जबलपुर की 20 सदस्यीय टीम द्वारा की गई, जिसकी अगुवाई मनजीत सिंह सेठी ने की। टीम ने मौके पर मौजूद ग्रामीणों और पड़ोसियों से भी पूछताछ की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पिछले कुछ वर्षों में सुशील गुप्ता की संपत्ति में इतनी तेजी से वृद्धि कैसे हुई।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, छापे की कार्रवाई केवल बसांडी तक सीमित नहीं रहेगी। ढीमरखेड़ा तहसील के कई सहकारी समिति सेल्समेन भी ईओडब्ल्यू के रडार पर हैं। इन कर्मचारियों की नियुक्ति के पहले की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी, लेकिन नियुक्ति के बाद कुछ ही वर्षों में इनकी आर्थिक स्थिति में भारी सुधार हुआ। कई के पास अब आलीशान मकान, महंगी गाड़ियाँ और जमीन-जायदाद के कई टुकड़े हैं, जिनका हिसाब उनके घोषित वेतन से मेल नहीं खाता।
सूत्रों का कहना है कि यह मामला केवल आय से अधिक संपत्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सरकारी अनाज घोटाले का भी गहरा संबंध हो सकता है। बताया जाता है कि बीते कुछ वर्षों पहले सरकारी ट्रकों के ट्रक अनाज भेजे गए, परंतु ट्रक ऐसे भी थे जो गंतव्य तक कभी पहुंचे ही नहीं। इन लापता ट्रकों की अब तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। स्थानीय जागरूक नागरिकों ने इस मामले में आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगे जाने की बात कही है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि आखिर वह अनाज कहां गया — जमीन में समा गया या आसमान निगल गया।
ढीमरखेड़ा क्षेत्र में सहकारिता विभाग के अंदर भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। कई सेल्समेन और गोदाम प्रभारी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी नियुक्ति के कुछ ही वर्षों में करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली, जबकि विभागीय जांचें अब तक सिर्फ औपचारिकता भर साबित हुई हैं। अब ईओडब्ल्यू की कार्रवाई से इन कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग के अंदर वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार पर अब से पहली बार किसी सख्त एजेंसी की नजर पड़ी है। लोगों को उम्मीद है कि आने वाले समय में कई बड़े चेहरे और नाम भी सामने आएंगे, जो अब तक पर्दे के पीछे से यह सारा खेल संचालित कर रहे थे।
गांव में चर्चा है कि सहकारी समितियों में अनाज घोटाले और कालाबाजारी का बड़ा रैकेट सक्रिय है, जो किसानों के हिस्से का अनाज बाजार में ऊँचे दामों पर बेच देता है। ट्रक भर-भरकर भेजा गया अनाज लापता हो जाता है और गरीब किसानों को उसका उचित लाभ नहीं मिल पाता।
लोगों का कहना है कि अगर ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की गहराई से जांच की, तो सहकारिता विभाग की कई शाखाओं में बैठे भ्रष्ट कर्मचारियों की पोल खुलेगी। विभागीय मिलीभगत के कारण वर्षों से ये अनियमितताएँ चलती आ रही थीं, लेकिन अब जनता को न्याय की उम्मीद जगी है।
जैसा कि स्थानीय सूत्रों ने कहा — यह तो बस शुरुआत है। आने वाले दिनों में और कई खुलासे होंगे। मोहन राज में भ्रष्टाचार नहीं चलने वाला।
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