कैमोर पुलिस की निष्क्रियता से व्यथित अनुसूचित जाति महिला पहुंची SP ऑफिस,कहा मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा और गरिमा से खिलवाड़ करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई।

 कैमोर पुलिस की निष्क्रियता से व्यथित अनुसूचित जाति महिला पहुंची SP ऑफिस,कहा मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा और गरिमा से खिलवाड़ करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई।

यूट्यूबर पर मानहानि, जातीय टिप्पणी और मानसिक उत्पीड़न का लगाया आरोप — 20 दिन बाद भी कार्रवाई न होने से आहत सुनीता दाहिया ने एएसपी को सौंपा पत्र, बोलीं न्याय न मिलने पर करूंगी उच्च अधिकारियों से शिकायत और न्यायालय का दरवाजा खटखटाऊंगी।

कटनी,ग्रामीण खबर MP।

कैमोर क्षेत्र की समाजसेविका, महिला अधिकारों की मुखर आवाज और भाजपा महिला मोर्चा कैमोर मंडल अध्यक्ष सुनीता दाहिया मंगलवार को अपने समर्थकों और महिला सहयोगियों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचीं। वहां उन्होंने पुलिस अधीक्षक की अनुपस्थिति में एडिशनल एसपी संतोष डहेरिया को एक विस्तृत शिकायती पत्र सौंपा।

पत्र में सुनीता दाहिया ने उल्लेख किया कि लगभग बीस दिन पूर्व उन्होंने थाना कैमोर में एक लिखित शिकायत दी थी, जिसमें भोपाल निवासी पत्रकार रविन्द्र जैन द्वारा उनके खिलाफ सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनल “सबकी खबर” के माध्यम से किए गए अपमानजनक और मानहानिकारक बयानों की जानकारी दी थी। लेकिन इतने दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया और न ही आरोपी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की गई।

सुनीता दाहिया ने बताया कि संबंधित यूट्यूबर ने अपने पॉडकास्ट में उनके बारे में यह कहते हुए सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की कि “सुनीता दाहिया विधायक संजय पाठक की चमची हैं।” यह बयान न केवल एक महिला के सम्मान के विपरीत है बल्कि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यक्तिगत गरिमा और संगठन की साख को ठेस पहुँचाने वाला भी है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार की भाषा और आरोप प्रयोग किए गए, वे समाज में एक महिला की छवि धूमिल करने वाले हैं।

अपने शिकायती पत्र में सुनीता दाहिया ने कहा कि यह कृत्य अनुसूचित जाति वर्ग की एक महिला के प्रति जानबूझकर की गई मानहानि और भयादोहन का उदाहरण है। इस घटना को उन्होंने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(r) और 3(1)(s) के अंतर्गत दंडनीय बताया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 79(2), 356, 351 और 352 का भी हवाला देते हुए कहा कि यह सभी धाराएँ आरोपी के कृत्य पर लागू होती हैं।

उन्होंने कहा कि पुलिस को समाज के हर वर्ग, विशेषकर महिलाओं और वंचित वर्गों की सुरक्षा के लिए निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। लेकिन कैमोर पुलिस की निष्क्रियता और लापरवाही ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या न्याय केवल रसूखदारों के लिए है?

पत्र सौंपने के बाद मीडिया से चर्चा में सुनीता दाहिया ने कहा कि उन्होंने एएसपी से मांग की है कि थाना कैमोर प्रभारी को उनके पूर्व में दिए गए शिकायत पत्र पर शीघ्र कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया जाए ताकि न्याय में देरी न हो। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस अब भी चुप रहती है, तो वह आईजी, डीजीपी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत करेंगी और अंततः न्यायालय की शरण में जाकर न्याय की मांग करेंगी।

सुनीता दाहिया ने यह भी कहा कि एक महिला के रूप में उनकी गरिमा को सार्वजनिक मंचों पर ठेस पहुँचाना केवल व्यक्तिगत अपमान नहीं बल्कि महिला समुदाय का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि जब समाजसेवा और महिला कल्याण के लिए कार्य करने वाली महिलाओं पर इस तरह के अनर्गल आरोप लगाए जाते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है, तो यह समाज के लिए चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि जीवन में संघर्षों से ऊपर उठकर उन्होंने समाज में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन कुछ लोग सोशल मीडिया के माध्यम से गलत प्रचार कर उनके सम्मान को ठेस पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आरोपी के खिलाफ शीघ्र कानूनी कार्रवाई नहीं हुई तो वह सामाजिक आंदोलन छेड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगी।

इस मौके पर उनके साथ भाजपा कैमोर मंडल अध्यक्ष भवानी राजा मिश्रा, मंडल उपाध्यक्ष लक्ष्मी कोल, आश्चर्य तिवारी, निशा विश्वकर्मा, सुषमा बर्मन, किरण बर्मन, नीलू दाहिया, नंदन तिवारी, ऋषि मिश्रा, इंद्रा गौड़, शालू कोल, गौरा कोल, फगुनी कोल, अघनिया कोल सहित अनेक महिला कार्यकर्ता और स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

सभी ने एक स्वर में कहा कि पुलिस को इस मामले में शीघ्र निष्पक्ष जांच कर दोषी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि किसी भी महिला के साथ भविष्य में इस तरह का व्यवहार न हो और समाज में न्याय व्यवस्था पर जनता का विश्वास कायम रहे।

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