जिले में बिना ‘स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम’ वाले हार्वेस्टर पर सख्ती,अब नहीं जलेगी नरवाई।
कलेक्टर आशीष तिवारी ने जारी किया आदेश — बिना सिस्टम वाले हार्वेस्टर पर लगेगा दंड, बेलर की व्यवस्था अनिवार्य।
कटनी,ग्रामीण खबर MP।
कटनी जिले में अब खेतों में नरवाई जलाने की घटनाओं पर प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। जिले के कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी आशीष तिवारी ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि जिले में फसल कटाई के दौरान उपयोग किए जाने वाले सभी कम्बाईन हार्वेस्टर में स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगाना अनिवार्य होगा। बिना स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम वाले किसी भी हार्वेस्टर को खेतों में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कलेक्टर श्री तिवारी ने अपने आदेश में कहा है कि यदि किसी हार्वेस्टर में स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित हार्वेस्टर मालिक को बेलर की व्यवस्था करनी होगी, जिससे फसल अवशेषों को एकत्रित कर उनका उचित प्रबंधन किया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी है कि आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति पर दण्ड अधिरोपित करने की कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन इस निर्देश का कठोरता से पालन सुनिश्चित करेगा ताकि जिले में नरवाई जलाने की प्रवृत्ति पर पूर्ण नियंत्रण पाया जा सके।
कलेक्टर को उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग और सहायक कृषि यंत्री द्वारा यह जानकारी दी गई थी कि जिले में बड़ी संख्या में कम्बाईन हार्वेस्टर बिना स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि बिना सिस्टम के हार्वेस्टर खेतों में भूसे और फसल अवशेषों को फैला देते हैं, जिसके बाद किसान इन्हें जलाने के लिए विवश हो जाते हैं। इससे न केवल वातावरण प्रदूषित होता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता और जीवांश तत्वों पर भी विपरीत असर पड़ता है।
प्रशासन ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से नरवाई जलाने की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। खेतों में फसल अवशेष जलने से वायु प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि होती है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों में इजाफा होता है। इसके अलावा खेत की ऊपरी सतह की मिट्टी कठोर हो जाती है और उसमें उपस्थित सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। यह स्थिति कृषि उत्पादन पर भी दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव डालती है।
कलेक्टर आशीष तिवारी ने कहा है कि जिले में नरवाई जलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यदि किसी भी क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की शिकायत प्राप्त होती है, तो संबंधित किसान, हार्वेस्टर संचालक या खेत मालिक के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और प्रदूषण नियंत्रण नियमों के अंतर्गत सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सहायक कृषि यंत्री को निर्देश दिए हैं कि जिले में उपलब्ध और बाहर से आने वाले सभी कम्बाईन हार्वेस्टर मालिकों को इस आदेश की जानकारी दी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी हार्वेस्टर बिना स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के संचालित न हो।
प्रशासन ने कृषि यंत्र विक्रेताओं को भी चेताया है कि वे ऐसे हार्वेस्टर की बिक्री या किराये पर उपलब्धता न कराएं जिनमें स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम नहीं लगा हो। जिला प्रशासन ने इस नियम के पालन की निगरानी के लिए तहसीलवार दल गठित करने के निर्देश दिए हैं। ये दल समय-समय पर हार्वेस्टर मशीनों की जांच करेंगे और यदि किसी भी किसान या मशीन मालिक द्वारा नियमों का उल्लंघन पाया गया तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष जलाने की परंपरा को समाप्त करें और आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करें। प्रशासन ने कहा कि स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, बेलर और रीपर-कम-बाइंडर जैसे यंत्र न केवल खेतों को स्वच्छ बनाए रखते हैं, बल्कि फसल अवशेषों को जैविक खाद, पशु आहार या ईंधन के रूप में पुनः उपयोग में लाने का अवसर भी प्रदान करते हैं। यह न केवल पर्यावरण की दृष्टि से लाभकारी है बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
कलेक्टर श्री तिवारी ने कहा कि आधुनिक तकनीक और पर्यावरणीय जागरूकता के युग में किसानों को पारंपरिक नुकसानदायक तरीकों से दूर रहना चाहिए। नरवाई जलाने की समस्या केवल खेत या गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वायुमंडल, जलवायु और जनस्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला गंभीर मुद्दा है। इसलिए जिला प्रशासन का यह निर्णय खेती और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब कटनी जिले में फसल अवशेष जलाने जैसी घटनाओं को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आदेश के उल्लंघन पर न केवल जुर्माना लगाया जाएगा बल्कि आवश्यकतानुसार प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।
अंत में, प्रशासन ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि वे यदि फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़ी किसी भी तकनीकी सहायता या उपकरण की आवश्यकता महसूस करते हैं, तो कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। विभाग द्वारा उन्हें आवश्यक सहयोग, तकनीकी जानकारी और रियायती दरों पर उपकरण उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, ताकि जिले में स्वच्छ, सुरक्षित और टिकाऊ खेती को बढ़ावा दिया जा सके।
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