अवैध खनन पर प्रशासन की चुप्पी से उठ रहे सवाल,दबंग ठेकेदार के रसूख के आगे बौना साबित हो रहा खनिज विभाग।

 अवैध खनन पर प्रशासन की चुप्पी से उठ रहे सवाल,दबंग ठेकेदार के रसूख के आगे बौना साबित हो रहा खनिज विभाग।

कन्हवारा में अस्पताल निर्माण के नाम पर सरकारी भूमि से मुरूम की अवैध खुदाई,ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई,सीएम हेल्पलाइन तक गूंजी आवाज।

कटनी,ग्रामीण खबर MP।

कटनी जिले के कन्हवारा गांव में विकास कार्य के नाम पर एक नया विवाद जन्म ले चुका है। विधायक संदीप जायसवाल के अथक प्रयासों से 68 लाख रुपए की लागत से बनने वाले नवीन अस्पताल का निर्माण कार्य जहां ग्रामीणों के लिए एक बड़ी सौगात साबित होना था, वहीं अब उसी निर्माण स्थल से अवैध खनन का मामला सामने आने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार ने रात के सन्नाटे में सरकारी भूमि से मुरूम की अवैध खुदाई करवाई और उसी मुरूम का उपयोग अस्पताल भवन की फीलिंग में किया गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, ठेकेदार चड्ढा ने लगातार तीन रातों तक जेसीबी मशीन से चीर घर के पास पड़ी सरकारी जमीन में उत्खनन कराया, जिसके चलते सैकड़ों ट्रॉली मुरूम को अवैध रूप से निकाला गया।

इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर कन्हवारा के जागरूक ग्रामीणों ने तत्काल सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत किए कई सप्ताह बीत जाने के बावजूद अब तक न तो राजस्व विभाग का अमला जांच के लिए पहुंचा और न ही खनिज विभाग के अधिकारी। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि जब आम नागरिक किसी छोटी गलती पर भी कार्रवाई के घेरे में आ जाता है, तो फिर इतना बड़ा अवैध खनन होने के बावजूद ठेकेदार पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?

ग्रामीणों के अनुसार, ठेकेदार चड्ढा इलाके का रसूखदार व्यक्ति है, जिसके प्रभाव के चलते प्रशासन के अधिकारी भी उसके खिलाफ बोलने से बच रहे हैं। गांव में चर्चा आम है कि “बड़ा आदमी है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” यही कारण है कि शिकायत दर्ज होने के बाद भी न तो सर्वे हुआ और न ही मुरूम के उत्खनन की वास्तविक स्थिति का आकलन किया गया।

सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल की नींव की भटाई और फीलिंग में जो मुरूम इस्तेमाल की गई है, वह पूरी तरह उसी सरकारी भूमि से निकाली गई थी, जिससे लाखों रुपये की बचत ठेकेदार ने की। यदि यह तथ्य सही पाया गया, तो यह न केवल भ्रष्टाचार बल्कि सरकारी संपत्ति की चोरी का भी मामला बनता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी जमीन से अवैध खुदाई करना गंभीर अपराध है, परंतु प्रशासन की खामोशी से साफ झलकता है कि रसूखदारों के आगे कानून बेबस है।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से यह भी कहा कि यदि यह मामला किसी सामान्य व्यक्ति से जुड़ा होता, तो तत्काल पुलिस और खनिज विभाग की संयुक्त टीम पहुंचकर एफआईआर दर्ज कर देती। लेकिन इस मामले में प्रशासनिक चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है — क्या कानून केवल गरीबों के लिए है? क्या सरकारी अधिकारी प्रभावशाली लोगों के दबाव में काम कर रहे हैं?

इस मामले में जब खनिज निरीक्षक कटनी पवन कुशवाहा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि “मामला संज्ञान में आया है, मैं कटनी लौटने के बाद उत्खनन स्थल का निरीक्षण करूंगा। जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कार्रवाई कब और कितनी प्रभावी साबित होती है।

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि प्रशासन की इस निष्क्रियता से आम जनता का विश्वास कम होता जा रहा है। वर्षों से सरकारी जमीनों पर इस तरह के छोटे-बड़े अवैध खनन होते रहे हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में दोषियों को बचा लिया जाता है। वहीं युवा वर्ग का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में अवैध खनन पर रोक लगाना चाहती है, तो उसे ऐसे प्रभावशाली ठेकेदारों के खिलाफ उदाहरण पेश करने वाली कार्रवाई करनी चाहिए।

पर्यावरण प्रेमियों का भी कहना है कि लगातार मुरूम और मिट्टी की खुदाई से गांव का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। जहां कभी हरियाली और पेड़ थे, वहां अब गहरे गड्ढे बन गए हैं जो दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस क्षेत्र का सीमांकन कर सरकारी भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

कन्हवारा के लोगों ने सामूहिक रूप से जिला प्रशासन और खनिज विभाग से मांग की है कि वे तुरंत जांच दल गठित कर इस पूरे प्रकरण की जांच करवाएं, और दोषी ठेकेदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों और रसूखदार ठेकेदारों पर सख्त कार्यवाही नहीं होगी, तब तक सरकारी जमीनें और प्राकृतिक संसाधन यूं ही लालच की भेंट चढ़ते रहेंगे।

स्थानीय नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन कर प्रशासन को जगाने का काम करेंगे। उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब अवैध खनन करने वालों पर उदाहरण पेश करने वाली कार्रवाई हो, ताकि कोई भी व्यक्ति सरकारी भूमि को अपनी संपत्ति समझने की गलती न करे।

कुल मिलाकर, कन्हवारा में अस्पताल निर्माण के नाम पर हुए इस कथित अवैध उत्खनन ने यह साबित कर दिया है कि प्रभावशाली लोगों के सामने प्रशासन आज भी बेबस नजर आ रहा है। सवाल यह है कि क्या अब भी प्रशासन नींद से जागेगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

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