अस्पताल परिसर में खुले में फेंका जा रहा मेडिकल वेस्ट-संक्रमण का बड़ा खतरा,नियमों की खुली अवहेलना।

 अस्पताल परिसर में खुले में फेंका जा रहा मेडिकल वेस्ट-संक्रमण का बड़ा खतरा,नियमों की खुली अवहेलना।

डॉक्टर के निर्देश पर सफाई कर्मी कर रहा बायो-मेडिकल कचरे का खुले में निस्तारण-मैदान में घूमते बच्चे और बुजुर्ग,स्थानीय लोगों में आक्रोश।

उमरिया पान,ग्रामीण खबर MP।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरिया पान में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है, बल्कि आमजन के स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी गंभीर खतरे में डाल दिया है। अस्पताल परिसर के मैदान में मेडिकल वेस्ट का खुलेआम निस्तारण किया जा रहा है। इस मैदान में सिरिंज, ग्लव्स, सेलाइन बोतलें, ब्लड स्टेन वाले कॉटन, डायपर और अन्य संक्रमित मेडिकल अवशेष बिखरे पड़े हैं, जो संक्रमण का बड़ा स्रोत बन सकते हैं।

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि जब सफाई कर्मी सौरभ से इस संबंध में पूछा गया, तो उसने स्पष्ट कहा कि वह यह कार्य बीएमओ साहब के कहने पर करता है। यह सुनते ही लोगों में आक्रोश फैल गया। नागरिकों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा इस तरह का कदम स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है और यह नियमों की सीधी अवहेलना है।

अस्पताल के पीछे स्थित मैदान, जो कभी बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के टहलने का प्रमुख स्थान था, अब धीरे-धीरे मेडिकल कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन चुका है। दिनभर यहां से दुर्गंध फैलती रहती है और संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आने से क्षेत्र के लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। कई ग्रामीणों ने बताया कि यहां सुबह-शाम बच्चे क्रिकेट खेलते हैं, बुजुर्ग मॉर्निंग वॉक पर आते हैं, और कई बार छोटे बच्चे सिरिंज या ग्लव्स जैसी वस्तुएं हाथों में उठा लेते हैं। इससे किसी भी समय गंभीर संक्रमण या चोट की आशंका बनी रहती है।

गौरतलब है कि बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 के तहत देश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों, क्लीनिकों, नर्सिंग होम्स और लैबों को अपने यहां उत्पन्न मेडिकल कचरे को पृथक रूप से चिन्हित कंटेनरों में रखना और अधिकृत एजेंसी से उसका सुरक्षित निस्तारण कराना अनिवार्य है। इन नियमों के अनुसार किसी भी परिस्थिति में अस्पताल परिसर या सार्वजनिक स्थान पर मेडिकल वेस्ट फेंकना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।

जानकारों का कहना है कि इस तरह खुले में मेडिकल वेस्ट फेंकने से संक्रमण फैलने के अलावा पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। संक्रमित वस्तुएं मिट्टी, पानी और हवा में हानिकारक तत्व घोल देती हैं, जिससे क्षेत्र का पर्यावरण दूषित हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड स्टेन वाली सामग्री और उपयोग किए गए सिरिंजों से एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और अन्य गंभीर संक्रमण फैलने की संभावना होती है। यह स्थिति केवल अस्पताल कर्मियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए खतरा है।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि एसडीएम ढीमरखेड़ा और जिला स्वास्थ्य विभाग को इस लापरवाही का संज्ञान लेकर अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से अस्पताल परिसर में विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अस्पताल परिसर में पहले भी स्वच्छता से जुड़ी शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब जब मेडिकल वेस्ट खुले में फेंका जा रहा है, तब स्थिति और भी गंभीर हो गई है। यह केवल स्वच्छता का नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य का भी बड़ा मुद्दा बन चुका है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं केवल लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी की विफलता का उदाहरण हैं। अस्पताल जैसे स्थान से यदि इस तरह की अव्यवस्था फैलेगी, तो लोगों का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से उठ जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया है कि अस्पतालों को अपने बायो-मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए अधिकृत एजेंसियों के साथ अनुबंध करना चाहिए, ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।

जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले पर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि अस्पताल जैसी जगह पर ही स्वास्थ्य सुरक्षा नियमों का उल्लंघन होगा, तो आम नागरिकों से नियमों के पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उन्होंने जिला प्रशासन से जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।

ग्रामीणों ने अंत में एक स्वर में प्रशासन से अपील की है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरिया पान में बायो-मेडिकल वेस्ट निस्तारण की उचित व्यवस्था की जाए, ताकि गांव और आसपास के क्षेत्र में संक्रमण और प्रदूषण का खतरा समाप्त हो सके। साथ ही, भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अस्पतालों का काम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है, न कि बीमारी फैलाना। ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह तुरंत कार्रवाई करते हुए इस गंभीर लापरवाही को रोके और ग्रामीणों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करे।

ग्रामीण खबर MP-

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