कटनी में नियमों की धज्जियां उड़ा अपनी जेब भर रहे धरती के भगवान,नहीं छूट रहा निजी प्रैक्टिस का मोह।

 कटनी में नियमों की धज्जियां उड़ा अपनी जेब भर रहे धरती के भगवान,नहीं छूट रहा निजी प्रैक्टिस का मोह।

सरकारी अस्पतालों में सेवाएं सुधारने सरकार कर रही निजी डॉक्टरों से अनुबंध, फिर भी सरकारी चिकित्सक खुलेआम चला रहे निजी क्लीनिक — प्रशासन मौन।

कटनी,ग्रामीण खबर MP।

जिले के सरकारी अस्पतालों में पदस्थ कई डॉक्टर नियमों को ताक पर रखकर निजी प्रैक्टिस में लिप्त हैं। सरकार जहां एक ओर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर कुछ डॉक्टर अपने सरकारी दायित्वों की अनदेखी कर निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त हैं। यह स्थिति न केवल शासन के निर्देशों की अवहेलना है, बल्कि मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ भी है।

राज्य सरकार ने हाल ही में यह सुनिश्चित करने के लिए विचार-विमर्श किया है कि सरकारी डॉक्टरों को अतिरिक्त भत्ता (एनपीए) दिया जाए, ताकि वे निजी प्रैक्टिस छोड़कर पूर्णकालिक रूप से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं दें। बावजूद इसके कटनी जिला अस्पताल के कई डॉक्टर इस नियम को दरकिनार कर निजी क्लीनिकों का संचालन कर रहे हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिला चिकित्सालय में पदस्थ शिशु रोग एवं चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष मिश्रा लंबे समय से आजाद चौक पुरानी बस्ती गाटरघाट में निजी क्लीनिक चला रहे हैं। यह क्लीनिक खुलेआम संचालित हो रहा है और मरीजों को वहां इलाज के लिए सरकारी अस्पताल से भेजे जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यदि कोई डॉक्टर एनपीए प्राप्त करता है तो वह किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकता। यदि डॉक्टर एनपीए नहीं भी लेता, तो भी निजी क्लीनिक खोलने से पहले शासन से अनुमति लेना आवश्यक है। इसके बावजूद जिला चिकित्सालय में पदस्थ कई डॉक्टर इन प्रावधानों की अनदेखी कर रहे हैं और वर्षों से निजी क्लीनिकों के माध्यम से लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं।

भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य महेश दत्त चौबे ने बताया कि वे हाल ही में इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन ओपीडी में ड्यूटी समय के दौरान डॉक्टर मनीष मिश्रा नहीं मिले। चौबे ने आरोप लगाया कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में भेजा जा रहा है, जहां मोटी फीस ली जा रही है। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राज सिंह की जानकारी में होते हुए भी चल रहा है।

उन्होंने प्रशासन पर मौन समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि सीएमएचओ स्तर पर कठोर कार्रवाई की जाए, तो सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था सुधर सकती है। चौबे ने चेतावनी दी है कि यदि आने वाले दिनों में इस पर कार्यवाही नहीं की गई, तो वे उच्च अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री तक इस मामले को उठाएंगे।

स्थानीय लोगों ने भी इस पूरे प्रकरण पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि जब डॉक्टर अस्पतालों में नहीं मिलते, तो मजबूरी में उन्हें निजी क्लीनिक जाना पड़ता है, जहां इलाज के नाम पर भारी रकम वसूली जाती है। यह व्यवस्था गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों के लिए आर्थिक बोझ बन गई है।

स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि यह समस्या सिर्फ कटनी तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में सरकारी डॉक्टर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी अस्पतालों से जुड़कर मरीजों को वहां भेज रहे हैं। यह प्रवृत्ति सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता को गहराई तक प्रभावित कर रही है।

इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। जिला अस्पताल में निगरानी व्यवस्था होने के बावजूद कोई अधिकारी वास्तविक स्थिति पर ध्यान नहीं दे रहा है। न तो औचक निरीक्षण किए जा रहे हैं, न ही समयपालन की समीक्षा। परिणामस्वरूप सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति आम हो गई है और मरीजों की संख्या लगातार घट रही है।

जनता का कहना है कि डॉक्टरों को सरकारी वेतन, भत्ते और सुविधाएं इसी उद्देश्य से दी जाती हैं कि वे जनता की सेवा करें, लेकिन जब वही डॉक्टर निजी लाभ के लिए सरकारी समय में निजी क्लीनिक चला रहे हों, तो यह न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी है बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ विश्वासघात भी है।

जानकारों का मानना है कि यदि सरकार वाकई में इस समस्या का समाधान चाहती है, तो उसे न केवल नियमों को सख्ती से लागू करना होगा बल्कि ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ निलंबन या सेवा समाप्ति जैसी कठोर कार्रवाई करनी होगी।

कटनी में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा यह मामला अब चर्चा का केंद्र बन चुका है। लोग सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों तक इस विषय पर सवाल उठा रहे हैं। हर कोई यही पूछ रहा है कि जब सरकार खुद बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रयासरत है, तो उसके ही अधीनस्थ डॉक्टर नियमों का उल्लंघन कर कैसे बच रहे हैं।

स्पष्ट है कि जब तक प्रशासन अपनी आंखें खोलकर कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक जिले के “धरती के भगवान” यूं ही नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी जेबें भरते रहेंगे, और आम जनता इलाज के लिए भटकती रहेगी।

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