कैमोर में ऐतिहासिक दशहरा पर्व की धूम,85 फुट रावण दहन और दुर्गा विसर्जन बना आकर्षण।
रामलीला मंचन,मां दुर्गा स्थापना,आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजा पर्व,मेले में उमड़ा जनसैलाब।
कैमोर,ग्रामीण खबर MP।
एशिया में प्रसिद्ध औद्योगिक नगरी कैमोर में एसीसी दशहरा उत्सव समिति द्वारा ऐतिहासिक दशहरा पर्व का आयोजन वर्षों से चली आ रही परंपरा अनुरूप इस वर्ष भी भव्य रूप से किया जा रहा है। दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष अतुल दत्ता (अदानी एसीसी कैमोर चीफ प्लांट हेड) ने बताया कि समिति द्वारा लगातार लगभग 90 वर्षों से रावण का विशालकाय पुतला तैयार किया जाता रहा है। इस बार भी लगभग 85 फुट ऊंचा रावण का पुतला कुशल कारीगरों द्वारा बनाया गया है। इसके साथ ही मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन भी विजयदशमी, 2 अक्टूबर की रात 8 बजे इलेक्ट्रॉनिक तीर और अद्भुत आतिशबाजी के बीच हुआ।
कैमोर का दशहरा पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है, जिसे देखने प्रतिवर्ष आसपास के जिलों और गांवों से हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। विजयदशमी के दिन यहां का नजारा जनसैलाब में बदल जाता है और करीब एक लाख लोगों की मौजूदगी इस आयोजन को ऐतिहासिक बना देती है।
श्री वाराणसी रामलीला मंडल का मंचन:
विजयदशमी पर्व का शुभारंभ 18 सितंबर से सुप्रसिद्ध वाराणसी रामलीला मंडली के मंचन के साथ किया गया। रामलीला मैदान में सजे भव्य मंच पर भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन प्रसंगों का जीवंत चित्रण किया जा रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की भूमिकाओं को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों दर्शक जुट रहे हैं। यह रामलीला परंपरा यहां की पहचान बन चुकी है।
मां दुर्गा की स्थापना और नवरात्र उत्सव:
दुर्गा पूजा समिति के प्रमुख अनिल मौर्या, पंकज पीडिया और मनीष नवैत ने बताया कि परंपरा के अनुसार रामलीला मैदान में ही मां दुर्गा सहित नौ देवियों की स्थापना की गई है। कोलकाता के कुशल कारीगरों द्वारा सजाए गए आकर्षक पंडाल में माता की प्रतिमाएं भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र बनी हुई हैं। नवरात्रि भर श्रद्धालु यहां दर्शन और पूजा-अर्चना कर रहे हैं। मां दुर्गा का विसर्जन भी 2 अक्टूबर को दशहरे के दिन धूमधाम से किया जाएगा।
दशहरा मेला और प्रदर्शनी का आकर्षण:
कैमोर का दशहरा मेला वर्षों से आसपास के जिलों और गांवों के लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां प्रदर्शनी में घरेलू सामग्री के स्टॉल, खानपान के विविध व्यंजन, मनोरंजन के साधन और बड़े-छोटे झूले सजाए गए हैं। दूसरे शहरों से आई दुकानों और मनोरंजन के साधनों की रौनक मेले को और भी खास बना रही है।
आतिशबाजी और रावण दहन की भव्यता:
2 अक्टूबर की रात 8 बजे 85 फुट ऊंचे रावण का पुतला इलेक्ट्रॉनिक तीर से दहन किया गया। इसके साथ ही मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का भी दहन हुआ। भव्य आतिशबाजी से पूरा आकाश रोशनी से जगमगा उठा और हजारों की भीड़ इस अद्भुत दृश्य की साक्षी बनी। यह क्षण असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक बनकर दर्शकों के मन में नई ऊर्जा का संचार करेगा।
सुरक्षा व्यवस्था:
ऐतिहासिक आयोजन की शांति और सुरक्षा के लिए दशहरा उत्सव समिति, सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। रामलीला मैदान और झूला मैदान में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सुरक्षा गार्ड और बाउंसर तैनात हैं। कंट्रोल रूम और अस्थाई पुलिस चौकी भी मैदान में बनाई गई। अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ पुतले के चारों ओर बेरिकेटिंग की गई ताकि दर्शक सुरक्षित दूरी से रावण दहन और आतिशबाजी का आनंद ले सकें।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला:
दशहरे के बाद भी रामलीला मैदान में उत्सव का रंग जारी रहेगा। 3 अक्टूबर को स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोहेंगे। 4 अक्टूबर को जबलपुर की एमपी इवेंट एंड म्यूजिकल ग्रुप (आर्केस्ट्रा) प्रस्तुति देगा। 5 अक्टूबर को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कवि प्रताप फौजदार, मुन्ना बैटरी मंदसौर, अतुल ज्वाला इंदौर, पंकज प्रसून मांडव और श्रृंगार रस कवित्री प्रेरणा ठाकरे अपनी रचनाओं से श्रोताओं को आनंदित करेंगे। इसी दौरान लकी ड्रा का भी आयोजन होगा।
परंपरा और आधुनिकता का संगम:
कैमोर का दशहरा पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। लगभग एक सदी पुरानी परंपरा को यहां आज भी पूरे उत्साह और श्रद्धा से निभाया जा रहा है। यहां का दशहरा पर्व लोगों के लिए आस्था, उत्साह और सामाजिक मेलजोल का प्रतीक बन चुका है। आधुनिक युग में भी कैमोर का यह आयोजन अपनी ऐतिहासिक पहचान और सांस्कृतिक वैभव को बनाए हुए है।
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