पत्रकार पर हमले का मास्टरमाइंड रामलाल लोनी? पुलिस की मेहरबानी पर उठे सवाल।
दीपचंद पर एफआईआर दर्ज, मगर साजिशकर्ता रामलाल के खिलाफ कार्रवाई से बचती दिख रही पुलिस, मिलीभगत की आशंका, श्रमजीवी पत्रकार संगठन पुलिस अधीक्षक को सौंपेगा ज्ञापन।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:
पत्रकार मुकेश यादव पर हुए हमले ने एक बार फिर पुलिस की निष्पक्षता और कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, पत्रकार ने हाल ही में ग्राम पंचायत गूंडा के ग्राम भैंशवाही से जुड़ी कुछ अनियमितताओं को समाचार पत्र में प्रकाशित किया था। इस खुलासे से बौखलाए ग्राम गूंडा निवासी रामलाल लोनी ने कथित रूप से एक सुनियोजित साजिश रची।
रामलाल लोनी ने फोन कर पत्रकार मुकेश यादव को यह कहकर ग्राम गूंडा बुलाया कि वह और भी अनियमितताओं से जुड़े तथ्य उजागर करना चाहता है। तय योजना के तहत, पत्रकार जैसे ही गूंडा चौराहे पर पहुंचकर रामलाल को फोन करता है, तभी दीपचंद लोनी पिता दर्शन लोनी, मुंह पर रुमाल बांधकर और हाथ में डंडा लेकर वहां आ धमका। अचानक हमला कर उसने पत्रकार पर प्राणघातक वार किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना के बाद पुलिस ने हमलावर दीपचंद लोनी के खिलाफ धारा 296, 115(2) और 351(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। हालांकि, पत्रकार को वारदात की जगह बुलाने और साजिश रचने वाले रामलाल लोनी पर कोई मामला दर्ज न होना अब गंभीर संदेह के घेरे में है। ग्रामीणों और पत्रकार संगठनों का कहना है कि पुलिस का यह रवैया निष्पक्ष नहीं माना जा सकता और इसमें मिलीभगत की बू आ रही है।
स्थानीय पत्रकार समाज का मत है कि यदि योजना के पीछे मास्टरमाइंड की भूमिका निभाने वाले रामलाल लोनी पर भी कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं। उनका कहना है कि जब तक षड्यंत्रकारियों को सजा नहीं मिलती, तब तक पत्रकारों पर हमले होते रहेंगे और निष्पक्ष पत्रकारिता दबाव में आ जाएगी।
इसी बीच मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संगठन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। संगठन का मानना है कि यदि पुलिस केवल हमलावर तक ही कार्रवाई सीमित रखेगी और साजिशकर्ता को बचाने का प्रयास करेगी, तो यह सीधे-सीधे पत्रकार सुरक्षा कानून की धज्जियां उड़ाने जैसा होगा। संगठन ने घोषणा की है कि वह शीघ्र ही पुलिस अधीक्षक कटनी को ज्ञापन सौंपेगा और मांग करेगा कि रामलाल लोनी को भी आरोपियों की सूची में शामिल कर उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
पत्रकार संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि पुलिस ने साजिशकर्ता पर कार्रवाई नहीं की तो जिले और प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, क्योंकि कलम की ताकत को दबाने के लिए इस तरह की वारदातें लोकतंत्र पर सीधा हमला हैं।
अब सबकी निगाहें पुलिस प्रशासन पर टिकी हुई हैं। देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस निष्पक्षता का परिचय देती है और साजिशकर्ता रामलाल लोनी पर भी मुकदमा दर्ज करती है या फिर रसूख और दबाव के चलते इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
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