1857 की क्रांति के अमर सपूत राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का शौर्य दिवस समारोह ढीमरखेड़ा में गरिमामय ढंग से संपन्न।
ओबीसी महासभा और लोधी क्रांति सेना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में दीप प्रज्वलन, पुष्पांजलि व सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच सामाजिक समानता, भाईचारे और बलिदानी परंपरा के आदर्शों को किया गया स्मरण।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:
कटनी जिले के ढीमरखेड़ा नगर में ऐतिहासिक मंगल भवन प्रांगण गुरुवार को उस समय देशभक्ति और शौर्य की भावनाओं से गूंज उठा, जब 1857 की क्रांति के अमर सेनानी राजा शंकर शाह और उनके वीर पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह की स्मृति में शौर्य दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर न केवल स्वतंत्रता संग्राम के महान बलिदानियों को नमन किया गया, बल्कि सामाजिक समानता और भाईचारे का संदेश भी पूरे उत्साह के साथ दिया गया।
समारोह की शुरुआत परंपरागत दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि कार्यक्रम से हुई। मंचासीन अतिथियों और उपस्थित जनसमूह ने शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पुष्पांजलि के दौरान पूरा सभागार "शहीदों अमर रहो" के नारों से गूंज उठा। इसके बाद स्थानीय बच्चों और युवाओं ने देशभक्ति गीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें शौर्यगाथा पर आधारित नृत्य और कविताएँ विशेष आकर्षण का केंद्र बनीं।
समारोह का आयोजन ओबीसी महासभा और लोधी क्रांति सेना संगठन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। आयोजन का मूल उद्देश्य युवाओं और समाज के विभिन्न वर्गों को यह संदेश देना था कि जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर यदि हम सभी समाज और राष्ट्र की एकता के लिए समर्पित हों तो यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन महान वीरों के प्रति, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर स्वतंत्रता की ज्योति प्रज्वलित की।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे आर. बी. सिंह पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान ने पूरे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता की अलख जगाई थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन ने उनकी देशभक्ति से भयभीत होकर उन्हें कठोर यातनाएं दीं, लेकिन इतिहास साक्षी है कि शहीदों के संकल्प को कोई शक्ति डिगा नहीं सकी।
मुख्य वक्ता इंजीनियर सत्यप्रकाश कुरील ने अपने वक्तव्य में कहा कि 1857 की क्रांति भारत की स्वतंत्रता यात्रा का पहला महासंग्राम था। इस संग्राम के दौरान राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह ने जिस साहस का परिचय दिया, वह आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग मिलकर इन अमर सपूतों के आदर्शों को अपनाएं और सामाजिक न्याय, समानता तथा भाईचारे की नींव को और अधिक मजबूत करें।
समारोह के आयोजन में डॉ. बी. के. पटेल, सुभास पटेल, ऋषिराम पटेल, संतराम पटेल, विजय चौधरी, सुरेश कोल, अतुल चौधरी, ओमकार चौधरी, इंद्रकुमार पटेल, जितेंद्र लोधी, जगदीश पटेल, महेंद्र लोधी, रामाधार पटेल और प्रकाश पटेल सहित कई समर्पित कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही। इन सभी ने एकजुट होकर आयोजन की सफलता सुनिश्चित की और समाज को संगठित स्वरूप में प्रस्तुत किया।
विशेष रूप से नवनियुक्त ओबीसी तहसील अध्यक्ष जयकरण पटेल, ब्लॉक प्रवक्ता दामोदर लोधी, रामवरण लोधी, अज्जू सोनी, पारस पटेल, बालमुकुंद लखेरा, लूनेश्वर गुड्डू पुरी, गोविंद गिरी और सुखचैन पटेल की मौजूदगी ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया। इनके अलावा क्षेत्र भर से सैकड़ों कार्यकर्ता, समाजसेवी और ग्रामीण इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने।
समारोह के दौरान वक्ताओं ने बार-बार इस बात पर बल दिया कि जिस प्रकार राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने अन्याय और दमन के खिलाफ आवाज बुलंद की थी, उसी प्रकार आज भी समाज को हर प्रकार के भेदभाव और असमानता के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता और भाईचारा ही किसी भी राष्ट्र की शक्ति का आधार होता है।
मंच से यह भी संदेश दिया गया कि समाज को इतिहास की उन महान विभूतियों को हमेशा स्मरण रखना चाहिए, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर स्वतंत्रता की लड़ाई को गति दी। आज जब युवा पीढ़ी आधुनिकता की ओर अग्रसर है, तब यह जरूरी है कि उसे अपने इतिहास और शहीदों के बलिदान का बोध कराया जाए।
समारोह का समापन राष्ट्रगान के सामूहिक गायन से हुआ। राष्ट्रगान की गूंज से पूरा मंगल भवन प्रांगण देशभक्ति की भावना से भर उठा और उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर से उन अमर बलिदानियों को नमन किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि वे समाज में भाईचारे की भावना को जीवित रखते हुए शहीदों के सपनों के भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे।
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