लगातार वर्षा से धान की फसल हुई बर्बाद,किसानों को मुआवज़ा दिलाने की माँग,लोधी क्रांति सेना व भीम आर्मी ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन।
अति वर्षा से मूंग-उड़द के बाद अब धान की फसल भी नष्ट,बिजली,खाद और राजस्व विभाग की उदासीनता पर जताया रोष,कहा,खेतों में खड़ी मेहनत की फसल हुई बर्बाद,प्रशासन तत्काल करे जाँच और मुआवज़े की घोषणा।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP।
क्षेत्र के किसानों पर इस वर्ष प्राकृतिक विपदाओं का दोहरा प्रहार हुआ है। ग्रीष्मकाल में जहाँ अत्यधिक वर्षा से मूंग और उड़द की फसलें खेतों में ही सड़ गईं, वहीं अब लगातार बरसात के चलते धान की फसलें भी पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। इस गंभीर स्थिति से परेशान किसानों की आवाज़ को उठाने के लिए लोधी क्रांति सेना और भीम आर्मी ने मंगलवार को अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा को एक ज्ञापन सौंपते हुए प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की माँग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्ष 2025 के ग्रीष्म ऋतु में हुई असामयिक और अत्यधिक वर्षा के कारण मूंग और उड़द की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई थीं। किसानों ने उस समय भी अपनी समस्या राजस्व विभाग को बताई थी, किंतु अधिकारियों और कर्मचारियों ने खेतों का सर्वेक्षण तक नहीं किया। परिणामस्वरूप, किसानों को फसल हानि का मुआवज़ा नहीं मिला। अब वही स्थिति दोबारा उत्पन्न हो गई है — इस बार खरीफ की धान की फसलें बर्बाद हो रही हैं। खेतों में पानी भरने और लगातार नमी रहने से अधिकांश धान की बालियाँ काली पड़ गई हैं और फसल उत्पादन लगभग असंभव हो गया है।
किसानों का कहना है कि लगातार नुकसान के कारण वे गंभीर आर्थिक संकट में फँस चुके हैं। खाद, बीज और मजदूरी के लिए लिया गया ऋण अब बोझ बन गया है। बावजूद इसके प्रशासनिक अमला किसानों की पीड़ा को अनसुना कर रहा है। किसानों ने मांग की है कि राजस्व विभाग तत्काल क्षेत्र के प्रत्येक ग्राम में जाकर फसल नुकसान का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार करे, ताकि मुआवज़ा वितरण शीघ्र शुरू हो सके।
ज्ञापन में यह भी बताया गया कि कृषि विद्युत आपूर्ति की स्थिति भी दयनीय है। कई बार बिजली देर रात या अलसुबह दी जाती है, जिससे किसान अपने खेतों की सिंचाई नहीं कर पाते। उन्होंने माँग की कि विद्युत वितरण कंपनी कृषि विद्युत आपूर्ति का समय निश्चित करे और प्रतिदिन कम से कम 12 घंटे तक निर्बाध बिजली दी जाए, ताकि आगामी रबी सीजन की फसलों को बचाया जा सके।
इसी तरह खाद वितरण केंद्रों पर भी किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अनेक केंद्रों पर खाद या तो उपलब्ध नहीं है या फिर बहुत सीमित मात्रा में दी जा रही है। खुले बाजार में खाद की कीमतें सरकारी दर से कई गुना अधिक वसूली जा रही हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है। ज्ञापन में प्रशासन से आग्रह किया गया है कि पर्याप्त खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और मनमानी कीमतों पर रोक लगाई जाए।
लोधी क्रांति सेना और भीम आर्मी ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, परंतु आज वे सबसे अधिक उपेक्षित और संकटग्रस्त वर्ग बन चुके हैं। खेती लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही है और किसानों के सामने रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी कठिन हो गया है। ऐसे में प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेकर फसल निरीक्षण कराना, नुकसान का सही मूल्यांकन करना और सभी प्रभावित किसानों को समय पर मुआवज़ा दिलाना अति आवश्यक है।
दोनों संगठनों ने यह भी कहा कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो किसानों के साथ मिलकर तहसील स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि फसल नुकसान का सर्वेक्षण और राहत वितरण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ज्ञापन सौंपने के दौरान लोधी क्रांति सेना एवं भीम आर्मी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे। उपस्थित किसानों ने कहा कि वे प्रशासन से न्याय की अपेक्षा रखते हैं और आशा करते हैं कि इस बार उनकी मेहनत और परिश्रम की कीमत उन्हें अवश्य मिलेगी।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि वह किसानों की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए तत्काल खेतों का निरीक्षण करवाए, राहत राशि स्वीकृत करे और कृषि संबंधी समस्याओं — बिजली, खाद व सिंचाई — का स्थायी समाधान निकाले, ताकि भविष्य में किसान ऐसी विपरीत परिस्थितियों में दोबारा न फँसें।
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