अतिक्रमणकारियों का प्रशासन पर तमाचा,गरीब का मकान गिराया,भूमाफिया को थमाई ज़मीन की चाबी।

 अतिक्रमणकारियों का प्रशासन पर तमाचा,गरीब का मकान गिराया,भूमाफिया को थमाई ज़मीन की चाबी।

ढीमरखेड़ा तहसीलदार आशीष अग्रवाल पर गंभीर आरोप,स्थगन आदेश के बावजूद भूमाफियाओं ने कब्जा जमाकर निर्माण कार्य पूर्ण किया।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:

कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत रामपुर स्थित बरेली गांव में हाल ही में घटित एक घटना ने पूरे क्षेत्र में प्रशासनिक निष्क्रियता और भूमाफियाओं के बढ़ते प्रभाव को उजागर कर दिया है। यह मामला न केवल एक गरीब बुजुर्ग की जीविका छिनने से जुड़ा है, बल्कि प्रशासनिक मशीनरी की विश्वसनीयता पर भी गहरे सवाल खड़े करता है।

बताया जा रहा है कि बरेली गांव के निवासी 70 वर्षीय शिवदास गर्ग वर्षों से खसरा नंबर 319 (297/2) के अंश भाग पर बने एक कच्चे मकान में निवास कर रहे थे। इसी मकान में उन्होंने एक छोटी सी दुकान भी चला रखी थी, जो उनकी आजीविका का एकमात्र साधन थी। स्थानीय लोगों के अनुसार शिवदास गर्ग एक सीधा-सादा, ईश्वरभक्त और मेहनती इंसान हैं, जिन्होंने कभी भी किसी अवैध गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया।

अचानक प्रशासन ने इस भूमि को "शासकीय" घोषित कर शिवदास गर्ग को बेदखल कर दिया। उनके आशियाने को बिना किसी पूर्व सूचना या पर्याप्त वैधानिक प्रक्रिया के तोड़ दिया गया। इस कार्रवाई में उनके मकान के साथ उनकी दुकान भी जमींदोज कर दी गई, जिससे न केवल उनका सर से छत छिन गया, बल्कि पेट भरने का जरिया भी खत्म हो गया।

इस पूरे घटनाक्रम में बड़ा मोड़ तब आया, जब कुछ ही समय बाद उसी भूमि पर कथित रूप से प्रभावशाली भूमाफिया ने कब्जा जमा लिया और वहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया। सूत्रों के अनुसार इस कार्य को खुलेआम अंजाम दिया गया और प्रशासनिक अमले ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई। यहाँ तक कि जब स्थानीय पत्रकारों द्वारा इस विषय को मीडिया के माध्यम से उजागर किया गया, तब जाकर तत्कालीन तहसीलदार आशीष अग्रवाल ने आनन-फानन में एक स्थगन आदेश (Stay Order) जारी कर दिया।

परन्तु, हैरानी की बात यह है कि इस स्थगन आदेश की न तो कोई निगरानी हुई और न ही कोई प्रभाव पड़ा। भूमाफिया ने आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए निर्माण कार्य को जारी रखा और आज उस स्थान पर एक पूर्ण रूप से निर्मित मकान खड़ा हो चुका है। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि यह आदेश केवल जनता और पत्रकारों की आँखों में धूल झोंकने के लिए जारी किया गया था, जबकि तहसील स्तर पर भूमाफियाओं को अंदरखाने से हर संभव सहयोग दिया जा रहा था।

स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि तहसीलदार आशीष अग्रवाल और संबंधित पटवारी की इस पूरी कार्रवाई में मिलीभगत थी। किसी गरीब को बिना पर्याप्त जांच के बेदखल करना और फिर उसी भूमि पर प्रभावशाली तत्वों को कब्जा करने देना अपने-आप में यह दर्शाता है कि प्रशासनिक निर्णय पारदर्शी नहीं थे।

यह घटना केवल एक व्यक्ति की बर्बादी नहीं, बल्कि संपूर्ण ग्रामीण व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर एक करारा तमाचा है। प्रशासन के रवैये से ग्रामीणों में जबरदस्त रोष व्याप्त है। सवाल उठता है कि क्या न्याय केवल धन, सत्ता और रसूख वालों का अधिकार बनकर रह गया है? क्या गरीबों के लिए न्याय मांगना अब गुनाह बन गया है?

गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने इस अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही है। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शिवदास गर्ग को न्याय नहीं मिला, तो यह एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा, जिसमें कोई भी गरीब किसी भी दिन अपने मकान से उजाड़ा जा सकता है और उसकी जमीन पर भूमाफिया कब्जा कर सकता है।

आज जब शासन और प्रशासन "गरीब कल्याण" और "भ्रष्टाचार मुक्त भारत" की बातें करते हैं, ऐसे मामलों में चुप्पी और निष्क्रियता सरकारी दावों को झूठा सिद्ध करती है। यदि समय रहते इस पूरे मामले में न्याय नहीं हुआ, तो जनता का प्रशासन पर से विश्वास पूरी तरह उठ जाएगा।

जनता पूछ रही है –

क्या गरीबों के लिए न्याय की कोई गारंटी नहीं बची है?

क्या राजस्व विभाग और प्रशासनिक अमला भूमाफियाओं के सामने नतमस्तक हो चुका है?

क्या स्थगन आदेश केवल कागज़ी हथकंडा बनकर रह गया है?

इस घटना ने पूरे क्षेत्र में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश की लहर खड़ी कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब चुप नहीं बैठेंगे, और यदि शिवदास गर्ग को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन की राह पकड़ी जाएगी।

ग्रामीण खबर MP-

जनमानस की निष्पक्ष आवाज

प्रधान संपादक:अज्जू सोनी

संपर्क:9977110734

Post a Comment

Previous Post Next Post