झिंझरी जेल में रक्षाबंधन पर्व पर भाईचारे, सेवा और संवेदना की मिसाल बनीं समाजसेवी अधिवक्ता रेखा अंजू तिवारी – प्रेम,संरक्षण और आत्मनिर्भरता का अद्भुत संगम।

 झिंझरी जेल में रक्षाबंधन पर्व पर भाईचारे, सेवा और संवेदना की मिसाल बनीं समाजसेवी अधिवक्ता रेखा अंजू तिवारी – प्रेम,संरक्षण और आत्मनिर्भरता का अद्भुत संगम।

बंदी मातृशक्तियों को सोलह श्रृंगार, मिठाई, राखी और बच्चों को उपहार देकर समाजसेवी बहनों ने लौटाई मुस्कान, दी नई सोच और नया आत्मबल।

कटनी,ग्रामीण खबर MP:

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं, बल्कि यह प्रेम, सुरक्षा, और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतीक भी है। इसी भावना को साकार करता एक हृदयस्पर्शी आयोजन झिंझरी उपकारागृह (जेल) परिसर में आयोजित हुआ, जहां भारत सरकार सूचीबद्ध मानवाधिकार संस्था एवं सर्वधर्म जनसेवा मंच समिति के संयुक्त तत्वावधान में समाजसेवी एवं अधिवक्ता रेखा अंजू तिवारी के नेतृत्व में रक्षाबंधन पर्व पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल भावनात्मक रूप से सशक्त था, बल्कि समाज के उपेक्षित वर्ग के प्रति दायित्वबोध का आदर्श उदाहरण भी बना।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि झिंझरी जेल अधीक्षक प्रभात चतुर्वेदी थे, जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी दादा भाई अरविंद कुमार शाह ने की। मंच पर विशिष्ट अतिथियों के रूप में महाविद्यालय शिक्षिका डॉ. गीताजंलि गौतम, जिला अधिवक्ता संघ कार्यकारिणी सदस्य मांडवी पांडेय, मानवाधिकार संस्था की अध्यक्ष सरस्वती सोनी और भाजपा विधि प्रकोष्ठ की संयोजक अधिवक्ता शिखा पांडेय की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से हुई, जिसके बाद रक्षासूत्र बंधन की आध्यात्मिक रस्म को बहनों ने गीतों के माध्यम से और भी भावपूर्ण बना दिया। बहनों ने श्रीकृष्ण से अपने जीवन में रक्षा, शक्ति और सही मार्गदर्शन की प्रार्थना की।

कार्यक्रम में अतिथियों का पारंपरिक तरीके से तिलक, माला और बैच के साथ स्वागत समाजसेवी लक्ष्मी रजक ने किया। इसके बाद सरस्वती वंदना और प्रेरक गीतों के माध्यम से उपस्थित महिलाओं को नई दिशा देने का प्रयास किया गया। समाजसेवी अधिवक्ता रेखा अंजू तिवारी ने ओजस्वी स्वागत गीत प्रस्तुत करते हुए मातृशक्तियों को आत्मविश्लेषण, सुधार और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर सभी बहनों ने जेल अधीक्षक प्रभात चतुर्वेदी को राखी बांधते हुए न केवल उनका धन्यवाद प्रकट किया, बल्कि यह भी संकल्प लिया कि वे समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर और शिक्षित बनाने हेतु हरसंभव योगदान देंगी। अधीक्षक प्रभात चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जेल में रह रहीं बहनों के जीवन में शिक्षा और आत्मबल ही पुनरुत्थान का मार्ग है। उन्होंने सभी प्रयासों को सराहते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन जेल की चारदीवारी के भीतर उम्मीद की एक नई किरण लाते हैं।

कार्यक्रम के दौरान बंदी महिलाओं को रक्षाबंधन पर्व की भावना के अनुरूप सोलह श्रृंगार की सामग्री – राखी, रूमाल, चूड़ियां, बिंदी, मेंहदी, कंघी, सिंदूर, मिठाई आदि वितरित की गई। साथ ही, जेल में रह रहे नन्हे-मुन्ने मासूम बच्चों को नए कपड़े, खिलौने और अन्य उपहार दिए गए। यह देख वहां मौजूद हर आंख नम थी और हर चेहरा मुस्कान से खिला हुआ।

समाजसेवी बहनों ने केवल भौतिक उपहार ही नहीं दिए, बल्कि उन मातृशक्तियों को नई सोच और नई आशा भी दी। उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि यदि वे अपनी गलतियों को समझें और आत्ममंथन करें तो समाज उन्हें फिर से स्वीकार करेगा। यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं था, बल्कि पुनर्वास और नारी सम्मान की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था।

कार्यक्रम को सफल बनाने में झिंझरी जेल में कार्यरत शिक्षिका दीप्ति श्रीवास्तव, प्रहरी दीपशिखा पांडेय, प्रहरी दिव्या कोल एवं अन्य स्टाफ सदस्यों का विशेष सहयोग रहा। इन सभी की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और अधिक बढ़ाया।

अंत में, सभी उपस्थित अतिथियों ने एक स्वर में इस बात पर जोर दिया कि ऐसे आयोजन न केवल समाज को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करते हैं, बल्कि जेल में रह रही माताओं और बहनों को नई राह दिखाने में भी सहायक होते हैं। समाजसेवी एवं अधिवक्ता रेखा अंजू तिवारी तथा उनकी टीम द्वारा विगत कई वर्षों से किए जा रहे जनसेवा व आत्मकल्याण के प्रयास अनुकरणीय व प्रशंसनीय हैं।

यह कार्यक्रम नारी सशक्तिकरण, मानवीय संवेदना और सर्वधर्म समभाव के एक समन्वयकारी उदाहरण के रूप में याद रखा जाएगा।

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