कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान पर बवाल,महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी से मचा बवाल।

 कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान पर बवाल,महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी से मचा बवाल।

25 वर्ष की लड़कियों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरुद्ध खुशबू पाटनी, महिला संगठनों और जनसामान्य ने जताई नाराजगी।

मथुरा,ग्रामीण खबर mp:

प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज हाल ही में उस समय विवादों के घेरे में आ गए, जब उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। उक्त वीडियो में वे प्रवचन के दौरान 25 वर्ष की लड़कियों को लेकर ऐसा बयान देते देखे गए, जिसे कई वर्गों ने अशोभनीय, असंवेदनशील और महिला गरिमा के विरुद्ध करार दिया।

बयान में कथावाचक ने कहा कि "जब लड़कियां 25 साल की हो जाती हैं, तब तक वे 4-5 जगह मुँह मार चुकी होती हैं, इसलिए वे घर-परिवार की गरिमा संभालने योग्य नहीं रहतीं।" इस कथन को लेकर चारों ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं उठीं। महिला संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने इस बयान को भारतीय समाज की नारी के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण के विरुद्ध बताते हुए घोर आपत्ति जताई है।

उत्तर प्रदेश सरकार की वरिष्ठ मंत्री बेबीरानी मौर्य ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “आज की बेटियाँ शिक्षा, संस्कृति और आत्म-निर्भरता का प्रतीक हैं। इस प्रकार के बयान समाज को गलत दिशा में ले जाते हैं। धर्म और प्रवचन का उद्देश्य लोगों को जोड़ना है, तोड़ना नहीं।”

वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी की बहन खुशबू पाटनी, जो एक पूर्व सैन्य अधिकारी भी हैं, ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तीव्र नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, “अगर ऐसे लोग मंच से ऐसी बातें करेंगे, तो युवाओं पर इसका क्या असर होगा? यह मानसिक प्रदूषण फैलाने की एक शर्मनाक कोशिश है।”

मथुरा बार एसोसिएशन, राष्ट्रीय महिला आयोग, और विभिन्न छात्र संगठनों ने इस बयान की निंदा करते हुए अनिरुद्धाचार्य महाराज के विरुद्ध औपचारिक शिकायतें दर्ज कराई हैं और संबंधित अधिकारियों से कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

बढ़ते विवाद के बीच अनिरुद्धाचार्य महाराज ने सफाई दी है कि उनका बयान "कुछ विशेष परिस्थितियों और कुछ लड़कियों" को लेकर था, और उन्होंने कहा कि वायरल हो रहा वीडियो क्लिप तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनके कथन से किसी को ठेस पहुँची है, तो वे खेद प्रकट करते हैं।

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह प्रश्न समाज के समक्ष खड़ा कर दिया है कि क्या धार्मिक मंचों से बोलने वाले लोगों को अपनी भाषा और कथन की मर्यादा का ध्यान नहीं रखना चाहिए? क्या समाज में स्त्रियों की छवि को ठेस पहुंचाने वाले इस प्रकार के कथन सार्वजनिक मंचों पर स्वीकार्य माने जाने चाहिए?

सोशल मीडिया पर #Aniruddhacharya हैशटैग ट्रेंड कर रहा है और देशभर से नागरिक अपनी-अपनी राय प्रकट कर रहे हैं। एक ओर जहां कई लोग इस बयान को नारी विरोधी करार दे रहे हैं, वहीं कुछ समर्थक इसे मीडिया की अतिशयोक्ति बता रहे हैं।

जनमानस अब यह देख रहा है कि प्रशासन इस मामले में कितना गंभीर रुख अपनाता है और क्या भविष्य में ऐसे कथनों पर कोई नियामक व्यवस्था बनाई जाती है जिससे समाज में सौहार्द बना रहे और धार्मिक मंचों की गरिमा अक्षुण्ण रहे।

ग्रामीण खबर MP–

जनमानस की निष्पक्ष आवाज

प्रधान संपादक:अज्जू सोनी | संपर्क:9977110734

Post a Comment

Previous Post Next Post