मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण एवं परीक्षा संपन्न,ग्रामीण महिलाओं ने सीखी खेती, तकनीक और आत्मनिर्भरता के सूत्र।

 मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण एवं परीक्षा संपन्न,ग्रामीण महिलाओं ने सीखी खेती, तकनीक और आत्मनिर्भरता के सूत्र।

10 दिवसीय प्रशिक्षण में स्व सहायता समूह की महिलाओं को दी गई मशरूम उत्पादन की जानकारी, विशेषज्ञों की मौजूदगी में लिखित व मौखिक परीक्षा लेकर किया गया मूल्यांकन।

मंडला,ग्रामीण खबर MP:

मध्य प्रदेश शासन ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत जिले की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और सराहनीय पहल की गई। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान मंडला में मशरूम उत्पादन का 10 दिवसीय प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस विशेष प्रशिक्षण में मंडला, बीजा डॉडी, बिछिया और मवई विकासखंड से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने भाग लिया और मशरूम की खेती की गहन जानकारी प्राप्त की।

प्रशिक्षण प्रबंधक राकेश राय के मार्गदर्शन में महिलाओं को खेती से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे बीज चयन, मशरूम उत्पादन की विधियां, किस्मों की पहचान, पोषण मूल्य, बाजार की मांग और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया। महिलाओं को यह भी समझाया गया कि मशरूम उत्पादन कम लागत में अधिक लाभ देने वाली तकनीकी खेती है और इसके माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आय के नए साधन खोले जा सकते हैं।

प्रशिक्षण के उपरांत प्रतिभागियों का मूल्यांकन करने हेतु परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा की देखरेख ओम प्रकाश चतुर्वेदी, परीक्षा नियंत्रक एवं प्रमाणीकरण रूडसे टी ब्रांच भोपाल के निर्देशन में की गई। परीक्षा में मशरूम उत्पादन से संबंधित विषय परीक्षक के रूप में रामसुख दुबे (कटनी) और बैंकिंग विषय परीक्षक के रूप में सतीश सिंगौर (मंडला) ने लिखित व मौखिक परीक्षा लेकर प्रतिभागियों का आकलन किया।

परीक्षा के दौरान महिलाओं से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे गए जिनमें मशरूम के प्रकार, उन्हें लगाने का समय, उत्पादन की तकनीकी जानकारी, औषधीय महत्व, बीमारियां एवं कीटों की पहचान और उनकी रोकथाम, उत्पादन के संरक्षण के तरीके, मशरूम आधारित व्यंजनों की विविधता, तथा खेती से होने वाले आर्थिक लाभ जैसे विषय प्रमुख रहे। साथ ही बैंकिंग से संबंधित प्रश्न भी पूछे गए, जिनका उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय प्रबंधन और उद्यमिता की दिशा में सक्षम बनाना था।

इस पूरे आयोजन में के. के. अवस्थी (एफएलसी), प्रशिक्षण समन्वयक राजीव शर्मा और आशीष अग्रवाल ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। उनके मार्गदर्शन से परीक्षा प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हुई और प्रतिभागियों को आत्मविश्वास के साथ अपनी योग्यता प्रदर्शित करने का अवसर मिला।

यह प्रशिक्षण न केवल तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान रहा बल्कि महिलाओं के आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हुआ। मशरूम उत्पादन को आजीविका का सशक्त साधन बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि यदि इसे सही तकनीक से अपनाया जाए तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने इस प्रशिक्षण के लिए शासन और संस्थान का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पहली बार इस स्तर की जानकारी मिली है। अब वे अपने-अपने गांवों में मशरूम उत्पादन शुरू कर आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। कई प्रतिभागियों ने इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बताया।

इस प्रकार यह प्रशिक्षण और परीक्षा न केवल ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ बल्कि महिलाओं के भविष्य की दिशा तय करने वाला भी साबित हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इन महिलाओं के प्रयासों से मंडला जिले में मशरूम उत्पादन एक नए उद्योग के रूप में उभरकर सामने आएगा और स्थानीय स्तर पर आजीविका संवर्धन के नए अवसर सृजित करेगा।

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