गंगा की प्रलयंकारी बाढ़ से उत्तर भारत में मची तबाही,सैकड़ों गांव जलमग्न,लाखों लोग विस्थापित,फसलें और जीवनचर्या पूरी तरह बर्बाद।

 गंगा की प्रलयंकारी बाढ़ से उत्तर भारत में मची तबाही,सैकड़ों गांव जलमग्न,लाखों लोग विस्थापित,फसलें और जीवनचर्या पूरी तरह बर्बाद।

वाराणसी,प्रयागराज,बलिया,भोजपुर,बांदा समेत कई जिलों में गंगा और यमुना नदियों ने रौद्र रूप धारण किया; खतरे के निशान से ऊपर बहती नदियों ने जनजीवन को किया अस्त-व्यस्त, प्रशासनिक राहत प्रयास भी बाढ़ के वेग के आगे लाचार।

उत्तर प्रदेश,ग्रामीण खबर mp:

गंगा नदी का रौद्र और प्रलयंकारी स्वरूप इस समय उत्तर भारत के अनेक जिलों में जनजीवन को गहराई तक प्रभावित कर रहा है। मानसून की भारी वर्षा और हिमालयी क्षेत्र से आई जलराशि के कारण गंगा और उसकी सहायक नदियाँ उफान पर हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, प्रयागराज, बलिया, बांदा और बिहार के भोजपुर जैसे जिले बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं। जलस्तर खतरे के निशान से लगातार ऊपर बह रहा है, जिससे खेत, घर, रास्ते, मंदिर, स्कूल — सब कुछ जलमग्न हो चुका है।

वाराणसी जनपद में गंगा का उफान इस कदर है कि 44 गांव और 24 नगरीय मोहल्ले पूरी तरह जल में डूब चुके हैं। गंगा के तटीय इलाकों में रहने वाले लगभग एक लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। प्रशासन द्वारा बनवाए गए राहत शिविरों में अब तक 6,000 से अधिक लोगों को स्थानांतरित किया गया है, जबकि हजारों लोग अभी भी ऊँचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। लगभग 327.9 हेक्टेयर कृषि भूमि डूबने से 1,469 किसान परिवार आर्थिक संकट में आ गए हैं। गंगा की उग्र धारा ने मिट्टी और जीवन की नींव दोनों को बहा दिया है।

प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियाँ अपने उफान पर हैं। जलस्तर लगभग एक मीटर तक खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। 62 से अधिक स्थानों पर जल भराव की स्थिति बन गई है, जिससे 10,000 से अधिक घर पानी में घिर चुके हैं। करीब 1,300 परिवारों को प्रशासन ने राहत शिविरों में पहुंचाया है। लेकिन भारी बारिश, तेज़ हवाओं और टूटे सम्पर्क मार्गों ने राहत कार्य को बाधित किया है। संचार और विद्युत व्यवस्था चरमरा चुकी है, जिससे अस्पताल, विद्यालय और जन सेवाएँ ठप हो गई हैं।

बलिया जिले के चक्की नौरंगा गांव में गंगा का तेज़ कटाव लगातार 15 से अधिक मकानों को अपने गर्त में समा चुका है। लोग अपने घरों को आंखों के सामने मिटते देख रहे हैं, लेकिन रोकने का कोई साधन नहीं है। उधर बिहार के भोजपुर जिले के जवनिया गांव में सात दिनों के भीतर ही करीब 50 मकान नदी में बह चुके हैं। मंदिर, पीपल के पेड़ और प्राथमिक विद्यालय तक जमींदोज हो गए हैं। यह सिर्फ भौतिक नुकसान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक विरासत का विघटन भी है।

उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी हालात कम गंभीर नहीं हैं। 37 तहसीलों के 402 गांव बाढ़ की सीधी चपेट में हैं। शासन के मुताबिक 84,392 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से केवल 47,906 लोगों को ही राहत सहायता प्राप्त हो पाई है। बांदा जिले में केन और चंद्रावल नदियों के उफान से सैकड़ों गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से टूट चुका है। चारों ओर पानी ही पानी और उसके बीच फंसी है लाखों जिंदगियाँ।

इस आपदा ने केवल मानव जीवन को प्रभावित नहीं किया, बल्कि पशुधन, कृषि, मकान, पेयजल स्रोत और स्कूल जैसे बुनियादी ढांचे को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। कई गांवों में चूल्हा नहीं जला, राशन की थैलियाँ भीग गईं और मवेशियों के चारे तक की व्यवस्था ठप हो गई। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी बुरी तरह प्रभावित हुई है — नदियों के घाट डूबे हुए हैं और श्मशान तक पहुंच पाना कठिन हो गया है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने सरकार से मांग की है कि प्रभावित जिलों को "आपदा क्षेत्र" घोषित किया जाए और तत्काल आर्थिक सहायता के साथ दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँ। गंगा तटीय क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण हेतु नए तटबंध, जल निकासी प्रणाली, कटाव रोधी कार्य और पुनर्वास नीति की तत्काल आवश्यकता है।

इस बाढ़ ने यह साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित अतिक्रमण और कुप्रबंधन मिलकर जब प्रकृति के कोप को आमंत्रित करते हैं, तो जन-जन को उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। गंगा की धारा, जो कभी जीवनदायिनी कहलाती थी, आज विनाश का पर्याय बन चुकी है। लेकिन यह संकट केवल आपदा नहीं, एक चेतावनी भी है — अगर अब भी समय रहते ठोस नीति, योजना और जनसहभागिता नहीं बनी, तो आने वाले वर्षों में ऐसे दृश्य और भी भयानक रूप में दोहराए जा सकते हैं।

बाढ़ में डूबे गांवों की आंखें आज आसमान की ओर टिकी हैं — किसी मदद, किसी उम्मीद, किसी चमत्कार की तलाश में। लेकिन असल चमत्कार तभी होगा, जब हम इसे केवल एक "घटना" नहीं बल्कि "सबक" मानकर, स्थायी समाधान की दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ेंगे।

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