सरपंच सुशील राजपाल पर शासकीय भूमि कब्जाने का आरोप,आदिवासी ग्रामीणों ने तहसीलदार से की सख़्त कार्यवाही की माँग।

 सरपंच सुशील राजपाल पर शासकीय भूमि कब्जाने का आरोप,आदिवासी ग्रामीणों ने तहसीलदार से की सख़्त कार्यवाही की माँग।

ग्राम खाम्हा में खसरा नंबर 856 की लगभग एक एकड़ शासकीय भूमि पर सरपंच द्वारा अवैध अतिक्रमण,ग्रामीणों ने सौंपा लिखित आवेदन,माँगी निष्पक्ष जाँच।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर mp:

कटनी जिले के जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत खाम्हा में सरपंच सुशील राजपाल पर शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। ग्राम खाम्हा के निवासी सुनील कुमार कोल समेत अन्य आदिवासी ग्रामीणों ने तहसीलदार ढीमरखेड़ा को एक लिखित शिकायत पत्र सौंपकर सरपंच के विरुद्ध जाँच और कठोर कानूनी कार्रवाई की माँग की है।

ग्रामीणों के अनुसार, खाम्हा स्थित खसरा नंबर 856 की भूमि मध्यप्रदेश शासन के नाम दर्ज है, जिस पर ग्राम विकास या सार्वजनिक हित के कार्य किए जाने थे। किंतु सरपंच ने अपने पद और पहुँच का दुरुपयोग करते हुए लगभग एक से तीन एकड़ तक की शासकीय भूमि पर निजी रूप से अतिक्रमण कर लिया है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि यह कार्य केवल भूमि कब्जा नहीं, बल्कि प्रशासनिक और नैतिक जिम्मेदारियों का घोर उल्लंघन है।

ग्रामीणों ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरपंच का यह आचरण पूरे ग्राम समाज के लिए एक गलत मिसाल बन रहा है। जब पंचायत का मुखिया ही नियमों को ताक पर रखकर शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करेगा, तो अन्य नागरिकों को कानून का कितना भय रहेगा? यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरी ग्राम पंचायत व्यवस्था की साख पर सवाल खड़ा कर रही है।

शिकायत में ग्रामीणों ने यह भी उल्लेख किया है कि पूर्व में भी सुशील राजपाल पर ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं और पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। कई बार संबंधित मामलों को लेकर मीडिया में भी समाचार प्रकाशित हुए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे सरपंच के हौसले और बुलंद हो गए हैं।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सरपंच के इस कदम से सामाजिक असंतुलन पैदा हो रहा है, खासकर उन लोगों के बीच जो वर्षों से गाँव में ईमानदारी और सीमित संसाधनों के साथ जीवन बिता रहे हैं। आदिवासी समुदायों में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त है कि शासन की जमीन पर यदि कोई आम नागरिक झोपड़ी भी बना दे, तो उस पर तुरंत कार्रवाई होती है, लेकिन जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही ऐसा करता है तो प्रशासन मौन क्यों रहता है?

तहसीलदार को दिए गए आवेदन में स्पष्ट रूप से मांग की गई है कि संबंधित खसरा नंबर 856 की मौके पर जाकर भूमि की स्थिति का निरीक्षण किया जाए, पंचनामा तैयार किया जाए, और दोषी पाए जाने पर तत्काल अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के साथ-साथ कानूनी धाराओं में मामला पंजीबद्ध कर उचित दंड दिया जाए।

ग्रामवासियों का कहना है कि इस प्रकार के मामलों में यदि प्रशासन समय रहते कठोर कदम नहीं उठाता, तो ग्राम स्तर पर अराजकता फैल सकती है और जनप्रतिनिधियों का दुरुपयोग और बढ़ेगा। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से भी अपेक्षा जताई है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उदाहरणीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, जिससे भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि अपने पद का दुरुपयोग कर सार्वजनिक सम्पत्ति पर हाथ न डाले।

अब देखना यह है कि तहसील प्रशासन इस शिकायत को किस स्तर पर लेता है, और क्या वह समय रहते कार्रवाई कर ग्रामीणों के विश्वास को पुनः कायम कर पाएगा या यह मामला भी अन्य अनेक मामलों की तरह फाइलों में ही दम तोड़ देगा। प्रशासन की निष्क्रियता न केवल ग्रामीणों के बीच असंतोष बढ़ा सकती है, बल्कि शासन की छवि को भी प्रभावित कर सकती है।

ग्राम खाम्हा के निवासी इस पूरे मामले को लेकर अब आंदोलन की राह भी अख्तियार करने पर विचार कर रहे हैं। यदि समय पर न्याय नहीं मिला तो यह मामला बड़े स्तर पर पहुँच सकता है।

प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp

संपर्क सूत्र:9977110734

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