मूंग-उड़द की फसल बेचने से वंचित किसान,स्लाट बुकिंग साइट बंद होने से सरकारी समर्थन मूल्य पर उपार्जन अधर में।

 मूंग-उड़द की फसल बेचने से वंचित किसान,स्लाट बुकिंग साइट बंद होने से सरकारी समर्थन मूल्य पर उपार्जन अधर में।

हफ्तों से साइट ठप, किसान मोबाइल स्क्रीन पर निगाहें गड़ाए और दुकानों के चक्कर काटने को मजबूर, शासन से तत्काल समाधान की मांग।

कटनी,ग्रामीण खबर mp:

जिलेभर के हजारों किसानों के लिए इस बार मूंग और उड़द की फसल मुसीबत बनती जा रही है। कारण है — सरकारी समर्थन मूल्य पर फसल बेचने की प्रक्रिया में अनिवार्य स्लाट बुकिंग वेबसाइट का लगातार बंद रहना। शासन द्वारा पंजीयन की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई, किसानों को पंजीयन रसीदें भी मिल गईं, लेकिन बिना स्लॉट बुक किए उपार्जन केंद्रों पर फसल नहीं बेची जा सकती। 29 जुलाई स्लाट बुकिंग की अंतिम तारीख बताई जा रही है।ऐसे में साइट का ठप रहना किसानों के लिए रोजमर्रा की चिंता का विषय बन गया है।

ग्रामों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसान दिन-रात मोबाइल पर वेबसाइट को खोलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ‘साइट बंद है’ का ही संदेश प्राप्त होता है। मोबाइल नेटवर्क और तकनीकी संसाधनों की कमी के चलते अधिकांश ग्रामीण किसान पास की दुकानों, साइबर कैफे और कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) का सहारा ले रहे हैं। कई किसान रोजाना दो-तीन बार दुकानों तक जाकर चक्कर काट रहे हैं, पर निराशा ही हाथ लग रही है।

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ किसानों की फसल अब खराब होने की कगार पर है। लगातार बारिश, भंडारण की कमी, और स्लाड बुकिंग की साइट बंद होने से किसान परेशान हैं। सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य का लाभ मिलने की आस लगाए बैठे किसानों के लिए अब सवाल यह है कि वे फसल किसे बेचें और कैसे बेचें।

पिछले सप्ताह कुछ मिनटों के लिए वेबसाइट खुली जरूर थी, परंतु स्थानीय लोगों ने बताया कि उस दौरान कुछ ही लोगों को स्लॉट बुक करने का मौका मिला, और वो भी उन्हीं को जिनके पास तेज इंटरनेट या "जान-पहचान" की सुविधा थी। बाकी किसानों के लिए तो यह प्रक्रिया एक मज़ाक बन कर रह गई है।

अब किसान यह मांग कर रहे हैं कि —

1.स्लॉट बुकिंग वेबसाइट को तत्काल सुचारु रूप से चालू किया जाए।

2.जब तक साइट नियमित नहीं चलती, तब तक स्लॉट बुकिंग की तिथि को आगे बढ़ाया जाए।

3.फसलों की सीधी खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, जिससे उन किसानों को राहत मिले जिनकी फसल खराब होने के कगार पर है।

किसानों का यह भी कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं किया गया तो उन्हें मजबूरी में अपनी उपज सस्ते दामों पर निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ेगी, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, कुछ किसान यह मुद्दा लेकर तहसील और जिला मुख्यालय तक पहुंचने की योजना भी बना रहे हैं।

तकनीकी लापरवाही का यह उदाहरण यह भी दर्शाता है कि डिजिटल इंडिया की योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी असफल हो सकती हैं, जब मूलभूत सुविधा — एक वेबसाइट — ही सही समय पर काम न करे। सरकारी मशीनरी की निष्क्रियता के चलते किसानों की मेहनत, उम्मीद और उपज — तीनों ही खतरे में पड़ गई हैं।

यदि शासन प्रशासन ने शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए,तो किसानों को मूंग उड़द की फसल मैं भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp

संपर्क सूत्र:9977110734

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