सावन के अंतिम सोमवार पर 35 कावड़ियों ने किया नर्मदा जल से शिव का भव्य जलाभिषेक।
ग्वारीघाट से पैदल सिलौंडी पहुंचे भक्तों का गांववासियों ने पुष्प वर्षा और जलपान से किया आत्मीय स्वागत।
सिलौड़ी,ग्रामीण खबर mp:
श्रावण मास के अंतिम सोमवार को ग्राम सिलौंडी में श्रद्धा, आस्था और भक्ति का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। जब 35 कावड़ियों का एक अनुशासित और उत्साही जत्था पवित्र नर्मदा तट ग्वारीघाट से नर्मदा जल लेकर करीब 40 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर सिलौंडी पहुंचा, तो पूरे ग्राम में भक्तिमय वातावरण छा गया। दोपहर लगभग 12 बजे जैसे ही कावड़ियों का दल सिलौंडी बस स्टैंड पहुंचा, ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। फूलों की वर्षा की गई, तिलक वंदन किया गया और जय शिव शंकर के गगनभेदी नारों से आकाश गूंज उठा।
कावड़ यात्रा में शामिल सभी युवाओं ने पूरी यात्रा के दौरान धार्मिक अनुशासन और समर्पण का परिचय दिया। ग्रामीणों ने श्रद्धा से ओतप्रोत इस यात्रा को आत्मीयता से अपनाया और प्रत्येक मोहल्ले, गली, चौराहे पर कावड़ियों के स्वागत हेतु जल, पेय, फल एवं विश्राम की व्यवस्था की। बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक, सभी ने अपने घरों से निकलकर कावड़ियों का अभिनंदन किया।
गांव के प्रमुख धार्मिक स्थल छोटी मढ़िया स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भगवान शिव शंकर का विधिवत पूजन-अर्चन कर पवित्र नर्मदा जल से जलाभिषेक किया गया। मंत्रोच्चारण, ढोल-नगाड़े और शंखध्वनि के साथ पूरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। इसके पश्चात मंदिर परिसर में सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों ग्रामवासियों ने श्रद्धा से भाग लिया।
इस आयोजन की सबसे भावुक और प्रेरणादायक बात यह रही कि 35 श्रद्धालुओं में कई 12 से 13 वर्ष की आयु के बालक भी शामिल थे, जिन्होंने पूरी पदयात्रा में न केवल उत्साह दिखाया, बल्कि अनुशासन और श्रद्धा का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जिसने सभी ग्रामीणों को भाव-विभोर कर दिया। इन नन्हे कावड़ियों की भक्ति ने सबके हृदय को छू लिया।
यात्रा संयोजकों ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य केवल नर्मदा जल लाकर जलाभिषेक करना नहीं, बल्कि युवा वर्ग में धार्मिक चेतना, सामाजिक समरसता और सेवा की भावना का संचार करना भी था। कावड़ यात्रा ने ग्राम में सामाजिक एकता और धार्मिक वातावरण को और अधिक सशक्त किया है।
इस पावन आयोजन में ग्राम के अनेक वरिष्ठ नागरिकों, युवाओं और महिलाओं ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्रद्धालुओं ने कंधे पर कावड़ रखकर दिन-रात बिना थके, बिना रुके शिवभक्ति में लीन रहकर यह संदेश दिया कि आस्था यदि सच्ची हो तो कोई भी दूरी, कोई भी कठिनाई बाधा नहीं बनती।
ग्रामवासियों ने इस आयोजन को हर वर्ष और भी बड़े स्तर पर मनाने का संकल्प लिया है ताकि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी रहे।
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