हरितालिका तीज पर महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत,शिव-पार्वती की पूजा कर मांगी अखंड सौभाग्य की कामना।

 हरितालिका तीज पर महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत,शिव-पार्वती की पूजा कर मांगी अखंड सौभाग्य की कामना।

उमरिया पान व ढीमरखेड़ा क्षेत्र में महिलाओं ने बड़े उत्साह से किया व्रत पालन,रात्रि भर जागरण कर गाए भजन-कीर्तन।

उमरिया पान,ग्रामीण खबर MP:

सावन-भादो का पावन संगम भारतीय संस्कृति और आस्था के लिए विशेष महत्व रखता है। इसी क्रम में उमरिया पान, ढीमरखेड़ा एवं आसपास के ग्रामीण अंचलों में इस बार हरितालिका तीज का पर्व बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा भाव से मनाया गया। सुबह से ही गाँव की गलियों और मंदिरों में महिलाओं और कन्याओं की भीड़ उमड़ पड़ी। विवाहित महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना की, वहीं अविवाहित युवतियों ने माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर योग्य वर की प्राप्ति हेतु पूजा-अर्चना की। पूरे दिन महिलाओं में इस पर्व को लेकर जोश और उत्साह चरम पर रहा।

क्यों मनाई जाती है हरितालिका तीज?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। कथा में वर्णित है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। जब उनका मायका पक्ष इस तपस्या के लिए सहमत नहीं था, तब उनकी सखियों ने उन्हें हरि (हरकर ले जाना) और तालिका (सखी) के रूप में मायके से निकालकर जंगल में ले जाकर तपस्या करने का अवसर दिया। इसी घटना के आधार पर इस पर्व का नाम ‘हरितालिका’ पड़ा। तभी से यह व्रत नारी आस्था, श्रद्धा और पति के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

व्रत की विधि और अनुष्ठान:

प्रातःकाल महिलाएँ स्नान कर नए या साफ-सुथरे वस्त्र धारण करती हैं और सोलह शृंगार करती हैं। मिट्टी या बालू से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ बनाकर पूजन किया जाता है। बेलपत्र, धतूरा, आक के पुष्प, सुहाग की सामग्री, फल-फूल और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं। पूरे दिन निर्जला उपवास रखा जाता है, जिसमें न तो जल ग्रहण किया जाता है और न ही अन्न। संध्या समय महिलाओं ने सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन किए और शिव-पार्वती की महिमा का गान किया। रात्रि भर जागरण कर कथा वाचन और भक्ति गीतों से वातावरण गूंजता रहा। अगले दिन प्रातः कथा सुनने के पश्चात दान-दक्षिणा देकर व्रत का समापन किया गया।

धार्मिक और सामाजिक महत्व:

यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए तथा अविवाहित कन्याएँ अच्छे पति की प्राप्ति हेतु यह तप करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार पर आने वाले संकट टल जाते हैं। यह पर्व नारी के त्याग, श्रद्धा और पारिवारिक समर्पण का सशक्त प्रतीक है। सामाजिक दृष्टि से भी यह पर्व महिलाओं के बीच एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का कार्य करता है।

स्थानीय स्तर पर भक्ति और उत्सव:

उमरिया पान, ढीमरखेड़ा और आसपास के गाँवों के शिव मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। मंगल भवन, ग्राम पंचायत प्रांगण और प्रमुख मंदिरों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजन कर रात्रि भर भक्ति गीतों के साथ रात जागरण किया। गाँव की गलियों में सोलह शृंगार से सजी महिलाएँ पारंपरिक गीत गाते हुए मंदिर पहुँचीं तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। कई स्थानों पर अखंड दीप जलाकर महिलाओं ने पूरी रात भक्ति में लीन रहकर पूजा-अर्चना की। युवतियों ने माता पार्वती की आराधना कर योग्य वर की प्रार्थना की।

व्रती महिलाओं की आस्था:

व्रत करने वाली महिलाओं ने बताया कि यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु की गहरी आस्था का प्रतीक है। निर्जला उपवास कठिन अवश्य है, परंतु शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए यह तपस्या उन्हें सुखद अनुभूति प्रदान करती है।

तीज और भारतीय संस्कृति:

हरितालिका तीज भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के तप, त्याग और विश्वास की अनूठी मिसाल है। यह पर्व यह दर्शाता है कि स्त्री अपने परिवार और पति के कल्याण के लिए किसी भी कठिनाई को सहन करने को तत्पर रहती है। धार्मिक दृष्टि से यह व्रत शिव-पार्वती के पवित्र दांपत्य की स्मृति है और सामाजिक दृष्टि से पारिवारिक बंधन को मजबूत बनाने का अवसर।

:समापन

इस प्रकार उमरिया पान, ढीमरखेड़ा और आसपास के क्षेत्रों में हरितालिका तीज का पर्व बड़े हर्षोल्लास और धार्मिक उत्साह के साथ संपन्न हुआ। निर्जला व्रत रखकर और रात्रि भर जागरण करने वाली व्रती महिलाओं ने भगवान शिव-पार्वती से अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु की कामना की। इस दौरान गाँवों में भक्ति, संस्कृति और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिला।

ग्रामीण खबर MP

जनमानस की निष्पक्ष आवाज

प्रधान संपादक:अज्जू सोनी | संपर्क:9977110734

Post a Comment

Previous Post Next Post