देगवां महगवां पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर, सरपंच-सचिव-इंजीनियर की तिकड़ी ने योजनाओं को बनाया लूट का अड्डा, प्रशासन जाँच से बचता नजर आ रहा।

 देगवां महगवां पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर, सरपंच-सचिव-इंजीनियर की तिकड़ी ने योजनाओं को बनाया लूट का अड्डा, प्रशासन जाँच से बचता नजर आ रहा।

ग्रामवासियों की बार-बार शिकायतों के बावजूद नहीं हुई कोई कार्यवाही, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:

कटनी जिले की तहसील ढीमरखेड़ा के अंतर्गत ग्रामपंचायत देगवां महगवां में इन दिनों भ्रष्टाचार का जिन्न सिर चढ़कर बोल रहा है। इस पंचायत में विकास कार्यों की आड़ में भारी घोटाले किए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने पंचायत के सरपंच, सचिव और इंजीनियर पर मिलीभगत कर लाखों रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण विकास योजनाओं के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति की जा रही है, जबकि धरातल पर अधिकांश कार्य या तो हुए ही नहीं हैं या मानकों के विपरीत किए गए हैं। इसकी शिकायत उन्होंने पंचायत, जनपद, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बार-बार की, लेकिन न तो कोई जाँच हुई और न ही किसी प्रकार की कार्यवाही। इससे गांव के लोगों में गहरी नाराजगी है और सवाल यह उठ रहा है कि आखिर प्रशासन और जनप्रतिनिधि चुप क्यों हैं?

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में निर्मित बाउंड्री वॉल का कार्य केवल 80 mm का है, लेकिन इसे रिकॉर्ड में 110 mm दर्शाकर बड़ी राशि निकाल ली गई। इसके अतिरिक्त तालाब के जीर्णोद्धार कार्यों में भी लाखों रुपये के फर्जी बिल लगाकर सरकारी खजाने से रकम आहरित कर ली गई। नालातट सौंदर्यीकरण जैसे कार्यों के लिए भुगतान तो कर दिया गया, लेकिन मौके पर ऐसा कोई कार्य किया ही नहीं गया।

जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के सीईओ यजुर्वेन्द्र कोरी को भी इन तमाम गड़बड़ियों की सूचना लिखित रूप से दी गई, लेकिन सीईओ द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का कहना है कि या तो अधिकारी सरपंच-सचिव से भयभीत हैं या फिर उनके साथ मिलीभगत में शामिल हैं।

ग्रामीणों ने अपनी बात जिला स्तर से ऊपर तक पहुँचाई। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक धीरेन्द्र सिंह को भी सभी साक्ष्य सौंपे, लेकिन विधायक द्वारा भी किसी प्रकार की पहल नहीं की गई। यहाँ तक कि जब मंत्री प्रहलाद पटेल का कछारगांव बड़ा में प्रवास हुआ, तब भी ग्रामीणों ने उन्हें ज्ञापन सौंपा, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।

इन हालातों से ग्रामीणों में यह धारणा बन गई है कि प्रशासनिक अमला, जनप्रतिनिधि और भ्रष्ट पंचायत तंत्र एक ही पक्ष के हिस्से बन चुके हैं। विकास योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित हैं और सरकारी धन को व्यक्तिगत लाभ के लिए खुलेआम लूटा जा रहा है।

ग्रामवासियों ने बताया कि जब से यह पंचायत गठित हुई है, तब से लगातार भ्रष्टाचार की खबरें सामने आ रही हैं। कागजों में कार्यों का चित्रण शानदार किया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत बेहद शर्मनाक है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि पंचायत स्तर पर पुराने कार्यों को नया दिखाकर पुनः भुगतान लिया गया है। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता बेहद घटिया है और मजदूरी भुगतान में भी भारी गड़बड़ियाँ हैं।

इतना सब होने के बावजूद न तो जनपद पंचायत की निगरानी समिति सक्रिय हुई, न ही जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया। ग्रामीणों ने कहा कि यदि यह सब बिना किसी प्रशासनिक संरक्षण के हो रहा होता, तो अब तक दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाती।

अब ग्रामवासियों ने संभागायुक्त से सीधी मांग की है कि एक उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जाँच कराई जाए। उन्होंने कहा कि सरपंच, सचिव और इंजीनियर के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि आने वाले समय में कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी जनता की मेहनत की कमाई और सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग न कर सके।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने इस पर जल्द कार्यवाही नहीं की, तो वे पंचायत स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक विरोध प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ी तो राजधानी भोपाल में भी धरना देंगे।

यह मामला अब केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता और लोकतांत्रिक तंत्र में गहरी जड़ें जमा चुके संरक्षणवाद का बनता जा रहा है। यदि समय रहते प्रशासन नहीं जागा, तो यह प्रकरण जनआक्रोश का बड़ा रूप ले सकता है, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से शासन-प्रशासन पर होगी।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर MP
संपर्क सूत्र:9977110734

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