सिंलौंडी-नेगई को जोड़ने वाला 30 साल पुराना पुल बदहाली की कगार पर।
पुल पर बने गहरे गड्ढों से वाहन फंस रहे, ग्रामीणों का जीवन जोखिम में, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:
लगभग तीन दशक पुराना सिंलौंडी और नेगई को जोड़ने वाला पुल आज अपनी खस्ताहाल स्थिति के कारण ग्रामीणों के लिए परेशानी का बड़ा कारण बन चुका है। पुल की ऊंचाई शुरू से ही बहुत कम थी, जिससे बरसात के दिनों में जलभराव की समस्या बनी रहती है, लेकिन अब पुल के ऊपर की सतह पर लगभग 1 फीट तक गहरे गड्ढे बन चुके हैं। इन गड्ढों के कारण इस मार्ग पर गुजरने वाले वाहनों के पहिए अक्सर फंस जाते हैं, जिससे घंटों तक यातायात बाधित रहता है और राहगीरों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
आज सुबह भी एक वाहन पुल पर बने गहरे गड्ढे में फंस गया, और बड़ी मुश्किल से निकाला गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है, बल्कि पिछले कई वर्षों से पुल की मरम्मत को लेकर अनदेखी की जा रही है। पुल के दोनों ओर से आने-जाने वाले लोग रोजाना डर के साए में सफर करते हैं, क्योंकि जर्जर सतह और गहरे गड्ढे दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे हैं।
बरसात के मौसम में यह खतरा और भी बढ़ जाता है। गड्ढों में पानी भर जाने से सड़क और गड्ढों का अंतर साफ नजर नहीं आता, जिससे वाहन चालक गड्ढों में फंस जाते हैं या दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि कई बार दुपहिया वाहन चालक गिरकर चोटिल हो चुके हैं, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
युवक कांग्रेस ढीमरखेड़ा के ब्लॉक उपाध्यक्ष शिवा नामदेव ने बताया कि पुल की बदहाली को लेकर उन्होंने हाल ही में कलेक्टर कटनी को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें पुल की तत्काल मरम्मत की मांग की गई थी। उनका कहना है कि ज्ञापन दिए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही न होना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 30 साल पुराना यह पुल अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन जिम्मेदार नेताओं और अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह स्थिति बनी हुई है।
शिवा नामदेव ने आगे कहा कि वारिस के समय यह पुल और भी खतरनाक हो जाता है। गड्ढों में गिरने का डर इतना ज्यादा होता है कि लोग यहां से गुजरते समय दिल थाम लेते हैं। कई बार ट्रैक्टर, ऑटो और अन्य वाहन फंस जाने के कारण यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
ग्रामीणों ने कहा कि पुल केवल एक मार्ग नहीं, बल्कि सिंलौंडी और नेगई के बीच जीवन रेखा है। इसी पुल के सहारे दोनों गांवों के लोग स्कूल, अस्पताल, बाजार और अन्य जरूरी स्थानों तक पहुंच पाते हैं। इसकी जर्जर हालत न केवल आवागमन को प्रभावित कर रही है, बल्कि किसी भी समय बड़ा हादसा भी हो सकता है।
ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से मांग की है कि पुल की मरम्मत तत्काल प्रभाव से शुरू की जाए, वरना वे मजबूर होकर आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। उनका कहना है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी अब बर्दाश्त से बाहर है और जनता की जान से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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