9 माह बाद भी सिहोरा में ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं, सांसद का पत्र रह गया अनसुना।
रेलवे की अनदेखी से नागरिकों में नाराजगी, सांसद को स्मरण दिलाने की तैयारी।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP
पश्चिम मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले सिहोरा रोड रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के स्टॉपेज को लेकर जबलपुर सांसद आशीष दुबे द्वारा भेजे गए पत्र को अब नौ माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन रेलवे द्वारा इस संबंध में अब तक कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
सांसद दुबे ने दिनांक 31 अगस्त 2024 को पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर मंडल के डीआरएम को पत्र भेजकर कुल छह महत्वपूर्ण ट्रेनों के सिहोरा स्टेशन पर ठहराव की मांग की थी। इस पत्र में उन्होंने उल्लेख किया था कि सिहोरा रोड रेलवे स्टेशन न केवल सिहोरा बल्कि मझौली और बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्रों के हजारों नागरिकों की रेल यात्रा की एकमात्र सुविधाजनक कड़ी है।
सांसद द्वारा जिन ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग की गई थी, उनमें रीवा-इतवारी, शहडोल-नागपुर, पवन एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, वेरावल एक्सप्रेस और जबलपुर-हरिद्वार एक्सप्रेस शामिल हैं। इन ट्रेनों का सिहोरा में रुकना यात्रियों की सुविधा को देखते हुए अत्यंत आवश्यक बताया गया था।
गौरतलब है कि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के सांसदों द्वारा की गई ऐसी ही मांगों को रेलवे ने समय पर स्वीकार किया है और वहां ट्रेनों के नए स्टॉपेज घोषित किए गए हैं। इसके विपरीत, सिहोरा की मांग पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होने से यहां के नागरिकों में निराशा और नाराजगी का माहौल है।
रेल सुविधाओं के अभाव में सिहोरा, मझौली और बहोरीबंद अंचलों के व्यापारी, छात्र, नौकरीपेशा नागरिक, वृद्धजन तथा गंभीर मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। कई बार दूर के स्टेशनों तक जाना उनकी मजबूरी बन जाता है, जिससे समय, श्रम और धन – तीनों की बर्बादी हो रही है।
इस मुद्दे को पुनः रेलवे और सांसद के समक्ष उठाने के लिए स्थानीय व्यापारी संगठनों, छात्रों और समाजसेवियों ने मिलकर एक सामूहिक स्मरण कार्यक्रम की योजना बनाई है। 2 मई को जब जबलपुर सांसद आशीष दुबे सिहोरा के दौरे पर आ रहे हैं, तब उन्हें इस विषय की गंभीरता से अवगत कराया जाएगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सिहोरा भी सांसद के लोकसभा क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा है और यहां की रेल सुविधाएं लगातार उपेक्षित हैं। यदि शीघ्र ही इस दिशा में कार्रवाई नहीं हुई तो विरोध प्रदर्शन की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
रेल मंत्रालय से अपेक्षा है कि जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों को नजरअंदाज करने की बजाय, जनता की वास्तविक जरूरतों के अनुसार निर्णय लिए जाएं, ताकि देश के हर नागरिक को समान रूप से बुनियादी सुविधाएं प्राप्त हो सकें।