500 ग्राम अतिरिक्त तौल के बावजूद खरीदी प्रभारी की अनियमित मांग, तहसीलदार ने दिए जांच के आदेश, किसान समुदाय में रोष।
गेहूं खरीदी में धांधली,मुरवारी केंद्र पर किसानों से जबरन मांगे गए अतिरिक्त 2 किलो गेहूं।
ढीमरखेड़ा (कटनी)।
जिले के उमरिया पान विपणन अंतर्गत मुरवारी खरीदी केंद्र पर किसानों के साथ किए जा रहे व्यवहार ने अब एक बड़े विवाद का रूप ले लिया है। 24 अप्रैल 2025 को हुए गेहूं तौल के दौरान शनकुई निवासी किसान नवीन बैरागी को खरीदी प्रभारी सुरेंद्र बर्मन द्वारा दो किलो अतिरिक्त गेहूं देने के लिए बाध्य किया गया। किसान के द्वारा अतिरिक्त गेहूं देने से मना करने पर उसके गेहूं की फीडिंग नहीं की गई, पास नहीं किया गया और यहां तक कि भुगतान रोके जाने की धमकी दी गई।
इस गंभीर प्रकरण के विरोध में किसान नवीन बैरागी ने तहसीलदार ढीमरखेड़ा को एक लिखित शिकायत सौंप दी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार ने हल्का पटवारी को जांच करने और प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जांच के दौरान पटवारी ने जो तथ्य उजागर किए, वह किसानों के शोषण की पुष्टि करते हैं।
जांच में पाया गया कि मुरवारी खरीदी केंद्र पर प्रति बोरी गेहूं की तौल में 500 ग्राम अधिक गेहूं लिया जा रहा है। शासन द्वारा निर्धारित मानक अनुसार एक बोरी का वजन 50 किलो 700 ग्राम होना चाहिए, जबकि केंद्र पर 51 किलो 200 ग्राम तौला जा रहा है। इसका अर्थ है कि पहले से ही हर बोरी में आधा किलो गेहूं अधिक लिया जा रहा है, जो कि लंबे समय में किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
किसान नवीन बैरागी की ही नहीं, अन्य किसानों की शिकायतें भी सामने आई हैं। एक किसान ने बताया कि उसके 75 क्विंटल गेहूं की तौल के दौरान उससे कुल 50 किलो गेहूं अतिरिक्त ले लिया गया। वहीं एक अन्य किसान ने बताया कि उसकी 35 कट्टियों में से एक पूरी कट्टी, यानी 51 किलो 200 ग्राम गेहूं अतिरिक्त मांग ली गई।
इस घटनाक्रम के बाद यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब पहले से ही तौल में अतिरिक्त गेहूं लिया जा रहा है, तो फिर दो किलो गेहूं अलग से किसके आदेश पर और क्यों मांगा गया? क्या यह व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया शोषण है या फिर इसके पीछे कोई संगठित तंत्र काम कर रहा है?
किसानों के अनुसार यह पूरी प्रक्रिया उनकी मेहनत का शोषण करने वाली और शासन के नियमों का उल्लंघन करती प्रतीत होती है। यह भी देखा जाना बाकी है कि तहसीलदार द्वारा दिए गए जांच आदेश के बाद खरीदी प्रभारी सुरेंद्र बर्मन एवं उनके सहयोगी सचिन काछी पर कोई कठोर कार्रवाई होती है या नहीं।
किसान समुदाय इस मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है। यदि दोषियों को जल्द दंडित नहीं किया गया, तो यह मामला और भी गहराने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसानों के हितों की रक्षा करते हुए ऐसे मामलों पर सख्त और त्वरित निर्णय ले।