पिछड़े वर्ग को मिलेगा हक और भागीदारी का पूरा अधिकार, जातिगत जनगणना से होगा वास्तविक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित:राकेश सिंह लोधी।

 पिछड़े वर्ग को मिलेगा हक और भागीदारी का पूरा अधिकार, जातिगत जनगणना से होगा वास्तविक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित:राकेश सिंह लोधी।

ओबीसी महासभा की 15 वर्षों की संघर्षशील मुहिम रंग लाई, केंद्र सरकार ने लिया सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय।

कटनी:

कटनी ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह लोधी ने स्थानीय पत्रकारों के समक्ष आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता में कहा कि देश की सबसे उपेक्षित और वंचित आबादी को उनका संवैधानिक हक दिलाने का कार्य अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुँच गया है। उन्होंने बताया कि जातिगत जनगणना को लेकर ओबीसी महासभा ने बीते 15 वर्षों से एक व्यापक, सुनियोजित और निरंतर जन-जागरण अभियान चलाया है। यह केवल एक संगठनात्मक अभियान नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और हक-अधिकारों की लड़ाई थी, जिसमें हजारों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

राकेश सिंह लोधी ने कहा कि भारत में पिछली बार जातिगत जनगणना 1931 में ब्रिटिश शासनकाल में कराई गई थी, जिसके बाद स्वतंत्र भारत में इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई। इस कारण पिछड़े वर्ग की वास्तविक संख्या, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और उनका उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना संभव नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि ओबीसी महासभा ने यह महसूस किया कि जब तक आंकड़े नहीं होंगे, तब तक अधिकार भी अधूरे रहेंगे।

उन्होंने बताया कि महासभा ने अपने अभियान की शुरुआत मध्यप्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से की। गाँव-गाँव, घर-घर जाकर कार्यकर्ताओं ने जातिगत जनगणना की जरूरत को आम जनता के बीच रखा। सामाजिक समरसता, समानता और प्रतिनिधित्व के प्रश्न को लोगों से जोड़ते हुए उन्होंने इसे जन आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया। इस अभियान के तहत प्रत्येक माह की 13 तारीख को देशभर के जिलों में प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसे संगठन की एक विशेष रणनीति के रूप में स्थापित किया गया।

ओबीसी महासभा ने केवल सड़क पर आंदोलन नहीं किया बल्कि राजनीतिक चेतना का परिचय भी दिया। उन्होंने विपक्षी दलों पर संगठित दबाव बनाते हुए उन्हें संसद और विधानसभा में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाने के लिए बाध्य किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, डीएमके के मुख्यमंत्री स्टालिन और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह से मुलाकात कर जातिगत जनगणना की माँग को राष्ट्रीय एजेंडा बनाने की अपील की गई। इन सभी नेताओं ने महासभा की मांग का समर्थन करते हुए इस मुद्दे को देश की सामाजिक व्यवस्था से जुड़ा अत्यंत आवश्यक कदम बताया।

महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने सपा, बसपा, जदयू, टीएमसी, एनसीपी और मध्यप्रदेश की अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के प्रमुखों से संवाद स्थापित कर उनका समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर इस विषय को उठाया और देश के राजनीतिक विमर्श में इसे मजबूती से स्थापित किया। इस व्यापक जनसमर्थन और राजनीतिक दबाव का ही परिणाम रहा कि आज केंद्र सरकार को इस ऐतिहासिक फैसले की घोषणा करनी पड़ी।

ओबीसी महासभा की राष्ट्रीय कोर कमेटी और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्षों के नेतृत्व में देशभर में हजारों जनसभाएं, पद यात्राएं, हस्ताक्षर अभियान, सोशल मीडिया अभियान और धरना-प्रदर्शन आयोजित किए गए। इन आंदोलनों में बड़ी संख्या में युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों और छात्रों की भागीदारी रही। राकेश सिंह लोधी ने कहा कि यह सामूहिक चेतना का परिणाम है कि जातिगत जनगणना अब वास्तविकता बनने जा रही है। यह कदम पिछड़े वर्गों को उनके हक और पहचान की दिशा में सबसे बड़ा और निर्णायक साबित होगा।

उन्होंने कहा कि इस संघर्ष का श्रेय न केवल संगठन को, बल्कि उन लाखों-करोड़ों आवाजों को जाता है जिन्होंने इस मुद्दे को अपनी अस्मिता से जोड़ा। यह विजय उन अनगिनत कार्यकर्ताओं की है जिन्होंने 15 वर्षों तक बिना रुके, बिना थके इस मुद्दे को जीवित रखा और सरकार की नींद तोड़ी।

प्रेस वार्ता में राकेश सिंह लोधी के साथ ओबीसी महासभा के जिलाध्यक्ष संतोष पाल, जिला पंचायत सदस्य अजय गौंटिया, नारायण पटेल, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष रामसरोवर कुशवाहा और कार्यकारी अध्यक्ष सीताराम विशेष रूप से उपस्थित रहे। सभी पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।


प्रधान संपादक: अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp
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