संजय सागर नहर में घटिया निर्माण, अंतिम छोर के किसानों को नहीं मिला पानी।

 संजय सागर नहर में घटिया निर्माण, अंतिम छोर के किसानों को नहीं मिला पानी।

बिना सफाई के सीसी कार्य, पहली बारिश में ढहने की आशंका; किसानों ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग।

नटेरन, ग्रामीण खबर mp:

संजय सागर बांध परियोजना की बी1 और बी2 नहरों में करोड़ों रुपए की लागत से कराए जा रहे सीसी कार्य ने नहरों के भरोसे जीने वाले किसानों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। इस परियोजना से जुड़े दर्जनों गांवों के किसान इस बार नहर का पानी तक नहीं देख सके, जबकि डैम में पानी की कोई कमी नहीं रही।

क्षेत्र के अनेक गांव ऐसे हैं जहां सिंचाई के अन्य साधन जैसे ट्यूबवेल और कुएं पहले से ही निष्क्रिय हो चुके हैं। इन गांवों में खेती पूरी तरह नहर पर आधारित है। पहले जब नहरों से समय पर पानी छोड़ा जाता था, तब सूखी और बंजर मानी जाने वाली जमीनें भी हरियाली ओढ़ लेती थीं। लेकिन इस वर्ष नहरों की सफाई नहीं कराए जाने के कारण पानी का संचालन बाधित रहा, जिससे किसानों की फसलें सूख गईं।

किसानों का कहना है कि नहर की सफाई के नाम पर सिर्फ कागजों में काम हुआ, जबकि वास्तविकता में नहर जमी हुई गाद और झाड़ियों से अटी पड़ी रही। जब किसानों ने आंदोलन कर तहसील प्रांगण में विरोध दर्ज कराया, तब प्रशासन ने मात्र सात दिन के लिए नहर में पानी छोड़ा, जो अंतिम छोर तक पहुंच ही नहीं पाया। इससे किसानों में भारी आक्रोश है।

अब जब नहरों की सीमेंट कंक्रीट (सीसी) मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है, तब उसमें भी गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। किसानों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा मानकों की अनदेखी कर घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। सीमेंट, रेत और गिट्टी की जगह डस्ट मिलाकर काम किया जा रहा है। जगह-जगह पर सीसी में दरारें उभर आई हैं और मिट्टी के डेली बाहर निकलते देखे जा सकते हैं, जिससे पानी का रिसाव और सीपेज होना तय है।

सीसी कार्य बिना सही कुटाई के सीधे मिट्टी पर किया जा रहा है, जिससे उसकी मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कई स्थानों पर सीमेंट सतह पहले ही चटकने लगी है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर संदेह है। किसानों का कहना है कि यह निर्माण पहली ही बारिश में ध्वस्त हो जाएगा और सारा पैसा पानी में बह जाएगा।

इस मामले पर ओवरसियर कौशल से जब जानकारी लेने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने बहुत मुश्किल से फोन उठाया। न तो उन्होंने एस्टीमेट साझा किया, न ही उपयोग की गई सामग्री के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी दी। उनका केवल इतना कहना था कि दरार वाली सीसी को हटाकर दोबारा निर्माण कराया जाएगा।

किसानों का स्पष्ट आरोप है कि संबंधित अधिकारी और कर्मचारी ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर इस निर्माण में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। यदि समय रहते जांच नहीं हुई, तो न केवल ठेकेदार को करोड़ों रुपये का भुगतान हो जाएगा बल्कि किसान फिर एक बार पानी की बाट ही देखते रह जाएंगे।

इस पूरे मामले में किसानों ने क्षेत्रीय विधायक सूर्य प्रकाश मीणा से मांग की है कि संजय सागर नहर के सीसी कार्य की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण कर गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित किया जाए। किसान संजीव रघुवंशी का कहना है कि अगर निर्माण कार्य की यही स्थिति रही, तो नहर पहली बरसात में ही टूट जाएगी और वर्षों का भरोसा और सरकारी धन दोनों नष्ट हो जाएंगे।


रिपोर्ट:
मायावती अहिरवार,
ग्रामीण खबर एमपी, विदिशा जिला सह ब्यूरो चीफ

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