कंपनी को हड़पने की महेन्द्र गोयनका की साजिश हुई नाकाम।
कटनी के विधायक संजय पाठक के पूर्व कर्मचारी गोयनका ने रची थी साजिश,कंपनी के 3 डायरेक्टरों की गिरफ्तारी को रोकने आईजी के पत्र पर हाईकोर्ट ने जताई हैरानी।
कंपनी के डायरेक्टरों की अपील खारिज कर हाईकोर्ट ने कहा- आईजी सिर्फ विवेचना अधिकारी बदल सकते हैं, गिरफ्तारी नहीं रोक सकते।
अब गिरफ्तार हो सकेंगे यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी के तीनों फरार डायरेक्टर।
जबलपुर:
कटनी की एक इस्पात कंपनी को हड़पने के संबंध में महेन्द्र गोयनका की साजिश नाकाम हो गई है। कटनी के भाजपा विधायक संजय पाठक के पूर्व कर्मचारी गोयनका ने कंपनी हड़पने का यह पूरा ताना बाना रचा था इस साजिश में शामिल कंपनी के 4 डायरेक्टरों की अपील हाईकोर्ट से खारिज हो गई है। मामले में आईजी की भूमिका पर सवाल उठने के बाद मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने विस्तृत फैसले में कहा है कि आईजी वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते किसी भी मामले का विवेचना अधिकारी तो बदल सकते हैं, लेकिन अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद वे आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं रोक सकते। इसके साथ ही युगलपीठ ने रायपुर में रहने वाले उन 4 डायरेक्टरों की अपील को खारिज कर दिया, जिनपर महेन्द्र गोयनका के इशारे पर कटनी की एक कंपनी को हड़पने के आरोप लगे हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मामले में फरार चल रहे कंपनी के तीनों डायरेक्टरों की गिरफ्तारी हो सकेगी।
गौरतलब है कि कटनी के माधव नगर में रहने वाले हरनीत सिंह लाम्बा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके जबलपुर आईजी के 9 अक्टूबर 2024 के उस पत्र को चुनौती दी थी, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट तक से अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त होने के बावजूद जबलपुर आईजी ने कटनी के हरगढ़ में स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड के छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल की गिरफ्तारी न करने के निर्देश दिए गए थे। बीते 22 अप्रैल को आईजी के 9 अक्टूबर 2024 को जारी पत्र को आड़े हाथों लेते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने न सिर्फ आईजी को तलब किया था, बल्कि कंपनी की रायपुर में 24 अप्रैल को होने वाली एनुअल जनरल मीटिंग को रोकने के भी निर्देश डीजीपी को दिए थे। एकलपीठ के इसी फैसले को चुनौती देकर डायरेक्टर हिमान्शु श्रीवास्तव की ओर से यह अपील हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी।
अपील पर हुई सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता हरनीत सिंह लाम्बा की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व सुश्री शमिला इरम फातिमा व राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए उस पर न सिर्फ दखल से इंकार किया, बल्कि हिमान्शु श्रीवास्तव की अपील को भी खारिज कर दिया।
अब हो सकेगी डायरेक्टरों की गिरफ्तारी:
अपने विस्तृत आदेश में बेंच ने कहा है कि इस मामले में कंपनी के डायरेक्टर हिमान्शु श्रीवास्तव, सन्मति जैन और सुनील अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट तक से अपना भाग्य आजमाया, लेकिन उन्हें अग्रिम जमानत नहीं मिली। हर एक अदालत में जांच एजेन्सी का यही कहना रहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी जरूरी है। इस मामले में रायपुर में रहने वाले डायरेक्टरों से पूछताछ जरूरी है। उनसे दस्तावेज भी प्राप्त करना हैं, जिनके बिना फाईनल रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकती। चूंकि आरोपियों को देश की सबसे बड़ी अदालत तक से राहत नहीं मिली है, इसलिए तीनों डायरेक्टरों को कोई भी अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के इस फैसले के बाद तीनों डायरेक्टरों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।
नहीं हो सकेगी कंपनी की मीटिंग:
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने साफ किया है कि रायपुर में होने वाली कंपनी की एजीएम मीटिंग पर एकलपीठ ने रोक लगाई थी। फिलहाल यह विवादित है कि कंपनी के डायरेक्टर पद से हरनीत सिंह लाम्बा और सुरेन्द्र सिंह सलूजा ने इस्तीफा दिया या नहीं। अभी जो इस्तीफा सामने आया है, उस पर दोनों ने सवाल उठाकर एफआईआर दर्ज कराई है। चूंकि हरनीत सिंह और सुरेन्द्र सिंह एजीएम मीटिंग में शामिल नहीं हो सकते, इसलिए उस मीटिंग पर रोक लगाने का एकलपीठ का आदेश एकदम सही है।