बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को गांव-गांव ले जाएगा जागरूकता रथ,कलेक्टर ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना।

 बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को गांव-गांव ले जाएगा जागरूकता रथ,कलेक्टर ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना।

100 दिवसीय विशेष अभियान के तहत जिले में शुरू हुई जागरूकता पहल,ग्रामीण अंचलों में बाल विवाह के दुष्परिणामों पर व्यापक संदेश देगा रथ।

कटनी,ग्रामीण खबर MP।

जिले में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को प्रभावी रूप से धरातल तक पहुंचाने के लिए प्रशासन ने 100 दिवसीय विशेष जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह अभियान पूरे जिले में व्यापक स्तर पर संचालित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य है कि समाज के हर वर्ग तक बाल विवाह के दुष्परिणामों की जानकारी सरल और प्रभावी रूप में पहुंच सके। इसी कड़ी में शुक्रवार को कलेक्टर आशीष तिवारी ने जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रथ आने वाले दिनों में गांव-गांव पहुंचेगा और विभिन्न माध्यमों से लोगों को संवेदनशील बनाते हुए बाल विवाह जैसी कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए प्रेरित करेगा।

जागरूकता रथ में आडियो, पोस्टर, फ्लेक्स, जीवन अनुभवों पर आधारित संदेश, परामर्श संबंधी सामग्री और बाल अधिकारों से जुड़े निर्देशात्मक तथ्यों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य है कि ग्रामीण परिवार, पंचायत प्रतिनिधि, किशोर-किशोरियाँ और समुदाय के वरिष्ठ सदस्य बाल विवाह से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों, शिक्षा में बाधा, मानसिक दुष्परिणाम तथा कानूनन दंडनीय प्रावधानों की जानकारी प्राप्त कर सकें। रथ के माध्यम से यह भी बताया जाएगा कि बाल विवाह केवल एक पारंपरिक प्रथा नहीं, बल्कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर गहरा प्रभाव डालने वाली गंभीर सामाजिक समस्या है।

अभियान के अंतर्गत जिले के सभी विकासखंडों और ग्राम पंचायतों में जागरूकता सभाएँ, किशोर-किशोरी समूह संवाद, आंगनवाड़ी केंद्रों पर विशेष बैठकें, स्कूलों में बाल अधिकार कार्यक्रम और महिलाओं के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से परामर्श गतिविधियाँ भी आयोजित की जाएँगी। रथ इन सभी गतिविधियों को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बनेगा और अभियान के संदेश को सीधा आम लोगों तक पहुंचाएगा।

रथ रवाना करते हुए कलेक्टर आशीष तिवारी ने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम केवल कानून का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। उन्होंने ग्रामीण समुदाय से अपील की कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें और बच्चों को सुरक्षित, शिक्षित और स्वतंत्र भविष्य देने में प्रशासन का सहयोग करें। कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन बाल विवाह की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है और हर ग्राम स्तर पर निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया गया है।

अभियान के दौरान बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत विभागों—महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, पंचायत एवं ग्रामीण विकास—के बीच समन्वय को और अधिक सुदृढ़ किया जा रहा है। जिले में बाल संरक्षण से जुड़े अधिकारियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, पंचायत सचिवों और जनप्रतिनिधियों को भी विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि बाल विवाह की किसी भी घटना को प्रारंभिक स्तर पर ही रोका जा सके।

जागरूकता कार्यक्रम के बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग की सहायक संचालक वनश्री कुर्वेती ने बताया कि समुदाय-आधारित प्रयास ही बाल विवाह पर स्थायी रोक लगाने का सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा कि रथ के माध्यम से मिलने वाले संदेश ग्रामीण समाज में चर्चाओं और सोच में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य करेंगे। डिप्टी कलेक्टर ज्योति लिल्हारे ने भी अभियान को अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि इस प्रकार की पहल से बच्चों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है। परियोजना अधिकारी सतीश पटेल ने बताया कि प्रत्येक विकासखंड में कार्यक्रमों की कैलेंडर वाइज योजना बनाई गई है, जिसका क्रियान्वयन सतत रूप से किया जाएगा।

रथ को रवाना करने के अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, परियोजना स्तर के कर्मचारी, आंगनवाड़ी स्टाफ तथा जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में यह संकल्प दोहराया कि जिले को बाल विवाह मुक्त बनाना प्रशासन और समाज दोनों की साझा जिम्मेदारी है।

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