महेंद्र गोयनका के फार्म हाउस में तेंदुए का बेरहम शिकार उजागर।पीएम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, करंट लगाकर मारा गया था वन्य जीव।
निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के कैंपस में मिला तेंदुए का शव,दांत और नाखून गायब,अंग तस्करी की आशंका,स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वन विभाग की संयुक्त जांच शुरू।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।
महेंद्र गोयनका के फार्म हाउस से बरामद तेंदुए की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरे वन विभाग और पर्यावरण तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ है कि तेंदुए की मौत करंट लगने से हुई थी। शव से नाखून और दांत गायब पाए गए हैं, जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि घटना केवल शिकार की नहीं बल्कि संगठित अंग तस्करी गिरोह से जुड़ी हो सकती है। यह मामला अब राज्य के सबसे संवेदनशील वन्य जीव अपराधों में से एक के रूप में देखा जा रहा है।
तेंदुए का शव जब्त होने के बाद से पूरे जबलपुर और कटनी जिले के वन अमले में हड़कंप मचा हुआ है। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह कोई एक बार की घटना नहीं बल्कि लंबे समय से चल रहा अवैध शिकार का सिलसिला हो सकता है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 और 51 के तहत यह अपराध गैरजमानती और गंभीर श्रेणी में आता है।
टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वन विभाग की संयुक्त जांच शुरू।
घटना के बाद वन विभाग की स्थानीय टीम के साथ स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स की विशेष इकाई को भी जांच में लगाया गया है। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में कई ऐसे संकेत मिले हैं जो यह साबित करते हैं कि निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के फार्म हाउस में न केवल तेंदुआ बल्कि अन्य वन्य जीवों का भी शिकार किया गया था। 14 सितंबर को भी इसी परिसर में दो जंगली सुअरों को मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें फैक्ट्री के कर्मचारियों की भूमिका सामने आई थी। अब फोर्स यह जानने का प्रयास कर रही है कि क्या यह गतिविधियाँ गोयनका की जानकारी या इशारे पर चल रही थीं।
जांच अधिकारियों के अनुसार, जब्त किए गए विद्युत तार, लकड़ी के फंदे, जाल और खून के धब्बे स्पष्ट करते हैं कि यह क्षेत्र शिकार के लिए व्यवस्थित रूप से तैयार किया गया था। टीम ने घटनास्थल से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सीसीटीवी फुटेज भी कब्जे में लिए हैं, जिनकी जांच फॉरेंसिक प्रयोगशाला में कराई जा रही है।
डॉग स्क्वॉड और खुदाई से खुलेंगे और रहस्य।
जहां तेंदुए का शव बरामद हुआ, वहां डॉग स्क्वॉड की सहायता से विस्तृत तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। कुत्तों ने कई स्थानों पर खुदाई के लिए संकेत दिए हैं, जिसके बाद वन विभाग ने क्षेत्र में खुदाई शुरू करवाई है। माना जा रहा है कि यहां और भी वन्य जीवों के अवशेष दबे हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, जांच दल ने पहले ही चरण में जमीन के नीचे से कुछ हड्डियों और जानवरों के अंगों के अवशेष बरामद किए हैं, जिन्हें प्रयोगशाला भेजा गया है। इससे यह संदेह मजबूत हो रहा है कि फार्म हाउस को वर्षों से शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था।
औद्योगिक भूमि पर बना फार्म हाउस, शिकार के लिए तैयार की गई थी जगह।
महेंद्र गोयनका ने यह भूमि मध्य प्रदेश सरकार से औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए प्राप्त की थी। लेकिन सरकारी अनुमति से मिली भूमि पर फैक्ट्री के बजाय आलीशान फार्म हाउस बना लिया गया। फार्म हाउस परिसर में कृत्रिम तालाब, मचान, शेड और बंदोबस्त इस तरह किए गए थे कि शिकारियों को जानवरों को फँसाने और छिपाने में आसानी हो।
इस पूरे क्षेत्र को औद्योगिक विकास क्षेत्र घोषित किया गया था, परंतु वहां पर न तो किसी प्रकार का उत्पादन कार्य शुरू हुआ और न ही किसी औद्योगिक निवेश की गतिविधि। इसके उलट, स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार वहां रात में हथियारबंद लोगों की आवाजाही और जंगली जानवरों की चीखें सुनने की जानकारी दी थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
तीन बार पड़ा छापा,मैनेजर गिरफ्तार होकर जमानत पर छूटा।
वन विभाग ने बीते दस दिनों में इस फार्म हाउस पर तीन बार छापा मारा। पहले छापे में फैक्ट्री मैनेजर और दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें तेंदुए की खाल और कुछ संदिग्ध औजारों के साथ पकड़ा गया। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
जमानत पर रिहा होने के बाद मैनेजर ने सबूत मिटाने की कोशिश शुरू कर दी। उसने जेसीबी मशीन से फार्म हाउस परिसर में कई गड्ढे खुदवाकर शिकार किए गए जानवरों के अवशेषों को दबाने का प्रयास किया। लेकिन डीएफओ टीम की सतर्कता से मामला सामने आ गया। जांच में यह भी पाया गया कि छापे की सूचना पहले से लीक हो जाती थी, जिससे संदिग्ध लोगों को भागने का मौका मिल जाता था।
डीएफओ की कार्रवाई में तेंदुआ जब्त,विभागीय कर्मचारी सस्पेंड।
तीसरे छापे में डीएफओ की टीम को निर्णायक सफलता मिली। टीम ने फार्म हाउस के पिछले हिस्से में तेंदुए का शव जब्त किया, जो सड़े हुए हाल में था। प्राथमिक परीक्षण में करंट लगने से मौत की पुष्टि हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर से दांत और नाखून गायब पाए गए, जिससे अंग तस्करी की संभावना और मजबूत हुई।
जांच के दौरान यह भी उजागर हुआ कि वन विभाग के कुछ कर्मचारी महेंद्र गोयनका के संपर्क में थे और उन्होंने पहले के छापों की जानकारी लीक की थी। डीएफओ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ऐसे सभी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही विभाग ने शासन को रिपोर्ट भेजकर पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
वित्तपोषित लोगों से खुद को पाक-साफ बताने की कोशिश।
घटना उजागर होने के बाद महेंद्र गोयनका और उनके समर्थक सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं। वे इसे साजिश बताकर अपनी सफाई देने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ पेड पोस्ट और विज्ञापनों के माध्यम से वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि फार्म हाउस में कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं हुई।
लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिक जांच और जब्त किए गए उपकरणों ने इस दावे की सच्चाई उजागर कर दी है। अब जांच एजेंसियों का ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि क्या इस मामले के पीछे कोई संगठित वन्य जीव तस्करी नेटवर्क सक्रिय है, जो दुर्लभ जीवों के अंगों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी कर रहा है।
जांच के बाद खुल सकता है बड़ा नेटवर्क।
अधिकारियों का कहना है कि यह मामला केवल एक तेंदुए के शिकार का नहीं बल्कि एक बड़े रैकेट का हिस्सा है। जांच दल यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि गोयनका के औद्योगिक नेटवर्क के माध्यम से किन-किन इलाकों में इस तरह की गतिविधियाँ चल रही थीं।
फिलहाल, फार्म हाउस को सील कर दिया गया है और वहां सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। जबलपुर से लेकर भोपाल तक वन विभाग के उच्च अधिकारी लगातार इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस प्रकरण में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत दोष सिद्ध होने पर आरोपियों को सात वर्ष तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है। फिलहाल सभी साक्ष्य सुरक्षित कर फॉरेंसिक लैब भेजे जा रहे हैं, और उम्मीद है कि इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी।
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