भूमि समाधि सत्याग्रह से चेती सरकार,मुख्यमंत्री ने मिलने का दिया समय।

 भूमि समाधि सत्याग्रह से चेती सरकार,मुख्यमंत्री ने मिलने का दिया समय।

आज रात जबलपुर में होगी मुख्यमंत्री मोहन यादव से लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति की वार्ता,सिहोरा जिला बनाने की मांग को लेकर दो दिनों से चल रहे टकराव का सुखद अंत।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

सिहोरा को जिला बनाए जाने की वर्षों पुरानी मांग ने आखिरकार एक निर्णायक मोड़ ले लिया है। भूमि समाधि सत्याग्रह के रूप में उभरे इस ऐतिहासिक आंदोलन ने न केवल प्रशासनिक तंत्र को सक्रिय किया बल्कि सरकार को भी गहन विचार के लिए मजबूर कर दिया। विगत दो दिनों से चल रहे इस सत्याग्रह में आंदोलनकारियों और प्रशासन के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी रही, परंतु शनिवार की रात और रविवार की सुबह घटनाक्रम ने ऐसा मोड़ लिया कि अब पूरा सिहोरा क्षेत्र एक नई उम्मीद से भर उठा है।

26 अक्टूबर की सुबह आंदोलनकारियों ने जब देखा कि प्रशासन ने एक बार फिर समाधि के लिए तैयार किए गए गड्ढों को मिट्टी से भर दिया है, तो उन्होंने विरोध का नया रूप अपनाया। रेत भरी ट्रालियों में बैठकर उन्होंने कहा कि “यदि भूमि नहीं दी जाती तो भी हम अपने संकल्प से पीछे नहीं हटेंगे।” इस प्रतीकात्मक समाधि ने आंदोलन को और भी प्रभावशाली बना दिया। उसी दौरान सिहोरा थाना प्रभारी के माध्यम से एसडीएम सिहोरा ने आंदोलनकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय का संदेश सुनाया, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं सिहोरा जिला के मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। यह बैठक आज रात 9 बजे जबलपुर में तय की गई है।

आंदोलन की पृष्ठभूमि में यदि झांका जाए तो सिहोरा के लोग कई वर्षों से जिला दर्जे की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। उनका कहना है कि सिहोरा भौगोलिक दृष्टि से, जनसंख्या के आधार पर और प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से जिला बनने की सभी शर्तें पूरी करता है। लेकिन बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद अभी तक यह मांग पूरी नहीं हुई। इस बार आंदोलन ने जब भूमि समाधि का स्वरूप लिया तो प्रशासन ने पहले ही दिन इसे रोकने का प्रयास किया। शुक्रवार को खोदे गए समाधि के गड्ढों को प्रशासन ने मिट्टी डालकर भर दिया। परंतु समिति के सदस्य पुनः उसी स्थान पर डटे रहे और शनिवार रात को प्रशासन के पुनः आने पर उन्होंने वहीं बैठकर समाधि ले ली।

रात का समय तनावपूर्ण था। प्रशासनिक अमला एक ओर था तो आंदोलनकारी दूसरी ओर। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की मध्यस्थता से स्थिति नियंत्रण में आई और किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं घटी। इसी बीच यह संदेश मिलने से कि मुख्यमंत्री ने स्वयं वार्ता का समय दिया है, माहौल में राहत का भाव आ गया।

रविवार सुबह जब समिति के सदस्य फिर से समाधि स्थल पहुंचे तो पाया कि रातभर में प्रशासन ने सभी गड्ढे भर दिए हैं और स्थल को समतल कर दिया गया है। आंदोलनकारियों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया और कहा कि वे अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। समिति ने रेत भरी ट्रालियों में बैठकर प्रतीकात्मक समाधि ली, जिससे प्रशासन और जनता दोनों ही स्तब्ध रह गए।

मुख्यमंत्री से प्रस्तावित वार्ता को लेकर पूरे नगर और ग्रामीण अंचलों में उत्साह का वातावरण है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री मोहन यादव सिहोरा की दशकों पुरानी मांग को समझेंगे और इसे न्याय दिलाएंगे। नगर के हर कोने में अब चर्चा का विषय यही है कि क्या आज रात सिहोरा के भाग्य का फैसला होगा।

विभिन्न सामाजिक संगठनों, व्यापारिक मंडलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है। उनका कहना है कि सिहोरा जिला बनने से न केवल प्रशासनिक कार्यों में सुविधा होगी बल्कि क्षेत्र का समग्र विकास भी संभव होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और रोजगार के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे।

वर्षों से उपेक्षा झेल रहे सिहोरा के लोगों में अब यह विश्वास जागा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव इस आंदोलन को सकारात्मक दिशा देंगे। भूमि समाधि सत्याग्रह, जो कभी प्रतीकात्मक विरोध था, अब उम्मीद का प्रतीक बन गया है। सिहोरा की जनता को भरोसा है कि इस बार उनके त्याग, संघर्ष और एकजुटता का परिणाम उन्हें अवश्य मिलेगा।

अब सभी की निगाहें जबलपुर की उस बैठक पर टिकी हैं, जहां आज रात मुख्यमंत्री मोहन यादव लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात न केवल सिहोरा के भविष्य का निर्धारण करेगी बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ सकती है।

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