कटनी जिले के बड़वारा आगमन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को जिला पंचायत सदस्य कविता पंकज राय ने सौंपा मांग पत्र, विरासनी माता मंदिर के जीर्णोद्धार और भारत के केंद्र बिंदु करौदी को नेशनल पार्क घोषित करने की मांग।
क्षेत्र की आस्था और विकास से जुड़े मुद्दों को लेकर रखी गई दो अहम मांगें, पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने पर दिया जोर।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कटनी जिले के बड़वारा आगमन के अवसर पर जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 4 की सदस्य कविता पंकज राय ने उन्हें एक विस्तृत मांग पत्र सौंपा। इस मांग पत्र में उन्होंने ढीमरखेड़ा क्षेत्र की आस्था, इतिहास और विकास से जुड़े दो बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने रखा, जिन पर कार्य होने से पूरे क्षेत्र का सामाजिक और आर्थिक स्वरूप बदल सकता है।
कविता राय ने सबसे पहले ग्राम कचनारी स्थित प्रसिद्ध विरासनी माता मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है और इसका ऐतिहासिक तथा धार्मिक महत्व अत्यधिक है। मंदिर घने जंगल और ऊंची पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां विरासनी माता की 24 भुजाओं वाली दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है, जो प्राचीन कला और आस्था का अद्वितीय उदाहरण है। कई वर्षों पूर्व जब इस क्षेत्र में खुदाई की गई थी, तब यहां से प्राचीन कुआं, मंदिर के अवशेष और खंडित प्रतिमाएं प्राप्त हुई थीं। ये अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि यहां एक भव्य और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर विद्यमान थी।
विरासनी माता मंदिर ढीमरखेड़ा के साथ-साथ जबलपुर, सिहोरा, कुण्डम और आसपास के जिलों की आस्था का केंद्र माना जाता है। नवरात्रि के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। ऐसे में यहां के अव्यवस्थित स्वरूप और जीर्ण अवस्था को देखते हुए मंदिर के संरक्षण और जीर्णोद्धार की आवश्यकता महसूस होती है। कविता राय ने मांग की कि इस मंदिर को पर्यटन विभाग के संरक्षण में लिया जाए और जीर्णोद्धार कर इसे ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाया जाए। इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे।
दूसरी महत्वपूर्ण मांग उन्होंने ग्राम करौदी को नेशनल पार्क घोषित करने की रखी। कविता राय ने बताया कि करौदी ग्राम को वर्ष 1956 में जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य एस. पी. चक्रवर्ती और उनके छात्रों ने भारत का भौगोलिक केंद्र बिंदु घोषित किया था। इस स्थान से कर्क रेखा गुजरती है, जो इसे वैज्ञानिक और भौगोलिक दृष्टि से भी विशिष्ट बनाती है।
वर्ष 1987 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर को इस केंद्र बिंदु की जानकारी दी गई, तो वे स्वयं जबलपुर आए और करौदी का भ्रमण किया। उसी समय उन्होंने यहां एक स्मारक निर्माण की घोषणा की। बाद में 15 दिसंबर 1987 को यहां एक सुंदर स्मारक का निर्माण कराया गया, जो आज भी विद्यमान है। इसके बाद वर्ष 2013 में करौदी को पर्यटक मेगा सर्किट में शामिल किया गया, लेकिन विडंबना यह है कि इतने वर्षों के बाद भी यहां कोई ठोस विकास कार्य नहीं हो सका है।
कविता राय ने मांग की कि करौदी को नेशनल पार्क घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र शाहडार और बांधवगढ़ के घने जंगलों से जुड़ा हुआ है, जो जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यदि इस क्षेत्र को नेशनल पार्क का दर्जा दिया जाता है, तो यहां पर्यटन को व्यापक बढ़ावा मिलेगा और आदिवासी बाहुल्य ढीमरखेड़ा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। वर्तमान समय में यह क्षेत्र कटनी जिले का सबसे पिछड़ा विकासखंड माना जाता है। ऐसे में पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से विकास की नई राहें खुल सकती हैं।
कविता पंकज राय ने मुख्यमंत्री से करौदी और विरासनी माता मंदिर दोनों के विकास के लिए त्वरित और सकारात्मक कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन मांगों के पूरा होने से न केवल ढीमरखेड़ा बल्कि पूरे कटनी जिले की आस्था और पहचान को नया स्वरूप मिलेगा, साथ ही सामाजिक और आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
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