सब जेल सिहोरा में कौशल विकास की अनूठी मिसाल, बंदियों ने बनाए ‘श्रद्धा ज्योति’ और ‘केश सुधा’ उत्पाद।

 सब जेल सिहोरा में कौशल विकास की अनूठी मिसाल, बंदियों ने बनाए ‘श्रद्धा ज्योति’ और ‘केश सुधा’ उत्पाद।

जेलर की पत्नी निधि नायक ने सिखाया आत्मनिर्भरता का हुनर, सीमित संसाधनों में नवाचार से बंदियों में जागी सकारात्मक ऊर्जा।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

सब जेल सिहोरा में बंदियों के कौशल विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐसी पहल की गई है जो समाज में सकारात्मक संदेश देने वाली है। यहां बंदियों को केवल दंड भुगतने तक सीमित न रखकर उन्हें जीवन में नया अवसर देने की कोशिशें की जा रही हैं। इसी क्रम में जेलर दिलीप नायक की धर्मपत्नी निधि नायक ने अपने ससुर स्व. पं. कुंजबिहारी नायक की पुण्यतिथि के अवसर पर एक नवाचार की शुरुआत की। उन्होंने न केवल समाज सेवा की भावना को प्रकट किया बल्कि यह भी साबित किया कि यदि इच्छाशक्ति हो तो सीमित संसाधनों में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

निधि नायक ने बंदियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें ‘रेडी टू यूज घी आरती बत्ती’ और ‘हर्बल हेयर पैक’ बनाने की विधि सिखाई। इस प्रशिक्षण के लिए उन्होंने लगभग पाँच हजार रुपये मूल्य की आवश्यक सामग्री दानस्वरूप जेल प्रशासन को उपलब्ध कराई। बंदियों ने इस सामग्री का उपयोग करते हुए स्वयं निर्माण और पैकेजिंग की जिम्मेदारी उठाई। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने ‘श्रद्धा ज्योति’ नाम से गाय के शुद्ध घी से निर्मित सुगंधित घी आरती बत्ती और ‘केश सुधा’ नाम से आठ जड़ी-बूटियों से तैयार हर्बल हेयर पैक तैयार किया। इन उत्पादों को शीघ्र ही कान्हा – मप्र जेल उत्पाद विक्रय केंद्र, भोपाल भेजा जाएगा ताकि इन्हें आम जनता तक पहुंचाया जा सके।

निधि नायक का कहना है कि उनकी सदैव से समाज सेवा में गहरी रुचि रही है। उनका मानना है कि जेलों में बंद व्यक्ति समाज से कट जाते हैं और जब वे बाहर आते हैं तो अक्सर बेरोजगारी और सामाजिक उपेक्षा का सामना करते हैं। ऐसे में यदि उन्हें जेल के भीतर ही कोई उपयोगी कौशल सिखाया जाए तो उनके लिए जीवन की राह आसान हो सकती है। उन्होंने इसे एक प्रारंभिक प्रयास बताया जिसे भविष्य में और विस्तृत करने का लक्ष्य रखा गया है।

वहीं जेलर दिलीप नायक ने बताया कि छोटी जेलों में संसाधन बहुत सीमित होते हैं और ऐसे में छोटे-छोटे नवाचार ही बंदियों के जीवन में परिवर्तन का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि बंदियों ने प्रशिक्षण के दौरान अत्यंत उत्साह और लगन दिखाई। यह प्रयास न केवल उनके भीतर आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना जागृत कर रहा है बल्कि जेल का वातावरण भी सकारात्मक ऊर्जा से भर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शासन और जेल विभाग का भी यही उद्देश्य है कि बंदियों को पुनर्वास की दिशा में अवसर मिले और वे समाज की मुख्यधारा में पुनः अपनी पहचान बना सकें।

इस पहल से जुड़े लोगों का कहना है कि बंदियों के लिए यह एक नया जीवन अनुभव है। यह प्रशिक्षण उन्हें केवल उत्पाद निर्माण ही नहीं सिखाता बल्कि अनुशासन, जिम्मेदारी और टीम वर्क का महत्व भी समझाता है। जब बंदी अपने हाथों से कुछ नया बनाते हैं और उसे बाजार तक पहुंचाने की संभावना देखते हैं, तो उनके भीतर आत्मसम्मान और उम्मीद का भाव पैदा होता है। यही भाव उनके जीवन में सुधार और भविष्य की दिशा तय करने में मदद करता है।

सब जेल सिहोरा में हुआ यह प्रयास पूरे प्रदेश की जेलों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है। यदि इस तरह के कौशल विकास कार्यक्रम नियमित रूप से चलाए जाएं तो बंदियों का पुनर्वास आसान हो जाएगा और उनकी छवि समाज में सकारात्मक रूप से स्थापित होगी। यह कदम केवल उत्पाद निर्माण तक सीमित नहीं है बल्कि यह विश्वास दिलाने का माध्यम है कि हर इंसान को सुधार और नए जीवन की दिशा पाने का अवसर मिलना चाहिए।

जेलर दिलीप नायक और उनकी पत्नी निधि नायक का यह प्रयास इस बात का जीवंत उदाहरण है कि संवेदनशीलता और नवाचार के साथ काम किया जाए तो सीमित साधनों में भी बड़ी मिसाल कायम की जा सकती है। यह पहल न केवल बंदियों के भविष्य को रोशन करने का कार्य करेगी बल्कि समाज के लिए भी यह संदेश देगी कि पुनर्वास और आत्मनिर्भरता ही सुधार का सच्चा मार्ग है।

ग्रामीण खबर MP-

जनमानस की निष्पक्ष आवाज

प्रधान संपादक:अज्जू सोनी |संपर्क:9977110734

Post a Comment

Previous Post Next Post