नीरज सिंह बघेल को न्यायपालिका व अधिवक्ता समाज की ओर से बोलने का अधिकार किसने दिया?-नूर मोहम्मद सिद्धकी।

 नीरज सिंह बघेल को न्यायपालिका व अधिवक्ता समाज की ओर से बोलने का अधिकार किसने दिया?-नूर मोहम्मद सिद्धकी।

सोशल मीडिया पर दिए गए बयान को लेकर अधिवक्ता संघ अध्यक्ष का कड़ा प्रतिवाद,न्यायिक गरिमा और अधिवक्ता स्वतंत्रता पर बताया हमला।

विजयराघवगढ़,ग्रामीण खबर MP।

विजयराघवगढ़ अधिवक्ता संघ के नव निर्वाचित अध्यक्ष नूर मोहम्मद सिद्धकी ने कांग्रेस नेता नीरज सिंह बघेल द्वारा सोशल मीडिया मंच पर जारी किए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने सवाल उठाया कि नीरज सिंह बघेल को यह अधिकार किसने दिया कि वे न्यायपालिका और अधिवक्ता समाज की ओर से बोलें या किसी कार्यक्रम के कथित बहिष्कार की पुष्टि सार्वजनिक रूप से करें।

अधिवक्ता संघ अध्यक्ष ने कहा कि न्यायपालिका और अधिवक्ता समाज अत्यंत जिम्मेदार और स्वतंत्र संस्थाएं हैं, जिनके निर्णय, मत या प्रतिक्रियाएं केवल अधिकृत मंच और विधिसम्मत प्रक्रिया के माध्यम से ही सामने आती हैं। सोशल मीडिया जैसे सार्वजनिक मंच पर बिना किसी अधिकृत सूचना के इस तरह की टिप्पणियां करना न केवल भ्रामक है, बल्कि यह न्यायिक मर्यादा और अधिवक्ता समाज की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य भी है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि नीरज सिंह बघेल द्वारा अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मोबाइल नंबर 9617239703 के माध्यम से की गई टिप्पणी में न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं, जिसे अधिवक्ता समाज ने गंभीरता से लिया है। इस टिप्पणी से पूरे अधिवक्ता समुदाय में रोष व्याप्त है और इसे न्यायपालिका की निष्पक्ष छवि को प्रभावित करने का प्रयास माना जा रहा है।

नूर मोहम्मद सिद्धकी ने कहा कि अधिवक्ता संघ के पास इस पूरे घटनाक्रम से संबंधित तथ्य, स्क्रीनशॉट और अन्य प्रमाण उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि अधिवक्ता समाज इस मामले को हल्के में लेने के पक्ष में नहीं है और यदि आवश्यकता पड़ी तो संबंधित बयान के विरुद्ध विधिसम्मत कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

अधिवक्ता संघ अध्यक्ष ने यह भी कहा कि न्यायपालिका किसी भी राजनीतिक दल, नेता या विचारधारा से ऊपर है। इसे राजनीति का मंच बनाना या सोशल मीडिया की अफवाहों से जोड़ना लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान की मूल भावना के विपरीत है। ऐसे गैर जिम्मेदाराना और तथ्यहीन बयान न केवल संस्थाओं की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में अनावश्यक भ्रम और तनाव भी उत्पन्न करते हैं।

उन्होंने अधिवक्ताओं और आम नागरिकों से अपील की कि वे इस तरह की अप्रमाणित सूचनाओं पर विश्वास न करें और केवल अधिकृत व तथ्यात्मक जानकारी पर ही भरोसा करें। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अधिवक्ता समाज अपनी गरिमा, स्वतंत्रता और न्यायिक मर्यादा की रक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।

अधिवक्ता संघ अध्यक्ष के इस सख्त रुख के बाद यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आगे नीरज सिंह बघेल की ओर से क्या प्रतिक्रिया सामने आती है तथा अधिवक्ता समाज और न्यायिक संस्थाएं इस पूरे प्रकरण में क्या कदम उठाती हैं। इतना तय माना जा रहा है कि अधिवक्ता समाज इस विषय पर न तो चुप रहेगा और न ही किसी भी प्रकार के भ्रामक प्रचार को स्वीकार करेगा।

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