महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु संरक्षित खेती व नर्सरी प्रबंधन का प्रशिक्षण।

 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु संरक्षित खेती व नर्सरी प्रबंधन का प्रशिक्षण।

ग्रामीण आजीविका मिशन और आरसेटी कटनी की पहल, 33 महिलाओं को कृषि उद्यमिता के लिए किया जा रहा तैयार।

कटनी,ग्रामीण खबर MP।

मध्य प्रदेश शासन ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) कटनी द्वारा विकासखंड बहोरीबंद की ग्राम पंचायत अमंगवा की स्व सहायता समूह की 33 महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वरोजगार स्थापित करने के उद्देश्य से कृषि उद्यमिता का 13 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने तथा स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

इस प्रशिक्षण का संचालन संस्थान के प्रबंधक पवन कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन तथा प्रशिक्षण समन्वयक सुनील रजक के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा किया जा रहा है। प्रशिक्षण में महिलाओं को संरक्षित खेती के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी जा रही है, जिसमें पाली हाउस निर्माण की प्रक्रिया, प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर से सिंचाई की विधि, फर्टिगेशन प्रणाली तथा उन्नत तकनीकी उपायों का विस्तार से प्रदर्शन किया गया। इसका उद्देश्य यह है कि महिलाएं सब्जी उत्पादन एवं अन्य फसलों की खेती को वैज्ञानिक तरीके से कर सकें और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें।

नर्सरी प्रबंधन के अंतर्गत महिलाओं को पौध तैयार करने की विधियां सिखाई गईं। इसमें पौधशाला के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव, भूमि उपचार की विधियां, बीज उपचार की प्रक्रिया, क्यारी निर्माण की तकनीकें, बीजों को छिटकवा और कतार विधि से बोने की पद्धति, बीजों को उचित ढंग से ढकना, पौधशाला में सिंचाई की सही तकनीक, खरपतवार नियंत्रण और रोग नियंत्रण जैसे विषयों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नतशील बीजों की पहचान, प्रजनक आधार वाले बीजों का महत्व, प्रमाणित बीजों का उपयोग और सत्यरूप बीजों की विशेषताओं के बारे में भी बताया गया।

महिलाओं को कृषि यंत्रीकरण की ओर प्रेरित करने के लिए उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग पर भी प्रशिक्षण दिया गया। जुताई, निंदाई, गुड़ाई, बुवाई, कटाई और गहाई जैसे कार्यों के लिए आधुनिक यंत्रों के लाभ बताए गए। साथ ही, कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करने के लिए शासन द्वारा दी जा रही विभिन्न सुविधाओं और योजनाओं से भी अवगत कराया गया, ताकि महिलाएं समूह स्तर पर इनका लाभ उठा सकें और कृषि लागत में कमी लाकर अधिक लाभ अर्जित कर सकें।

प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को मिट्टी परीक्षण हेतु नमूना लेने की विधि समझाई गई तथा गोमूत्र से बीज उपचार का प्रायोगिक प्रदर्शन कराया गया। इसके अलावा पांच पत्ती काढ़ा बनाने की प्रक्रिया भी समझाई गई, जो प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में फसलों की सुरक्षा में कारगर सिद्ध होती है। इस प्रकार महिलाओं को जैविक कृषि के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया गया ताकि वे रासायनिक दवाओं पर निर्भर न रहकर पर्यावरण हितैषी और सस्ती तकनीकों का उपयोग कर सकें।

प्रशिक्षण के क्रम में कृषक खुशबू पति संजय लोधी के खेत में भ्रमण कराया गया। यहां महिलाओं ने प्रत्यक्ष रूप से उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग, मछली पालन की तकनीकें, सब्जी उत्पादन की वैज्ञानिक विधियां, औषधीय एवं फलदार पौधों की खेती और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का अवलोकन किया। इस भ्रमण से उन्हें व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हुआ जो आगे चलकर उनके स्वरोजगार में अत्यंत उपयोगी साबित होगा।

इस तरह का प्रशिक्षण ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जहां एक ओर यह उन्हें कृषि के आधुनिक स्वरूप से जोड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की ओर भी अग्रसर कर रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये महिलाएं न केवल अपनी आजीविका के साधन विकसित कर सकेंगी, बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी प्रेरित कर स्वावलंबन की राह दिखा सकेंगी। यह पहल वास्तव में ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय प्रयास है।

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