यूट्यूबर पत्रकार पर अनुसूचित जाति की महिला की गरिमा भंग करने का आरोप,प्रकरण दर्ज करने की मांग।
कैमोर थाना में भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष ने दिया आवेदन, मानसिक पीड़ा, सार्वजनिक अपमान और सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचाने का लगाया आरोप।
कैमोर,ग्रामीण खबर MP।
कैमोर क्षेत्र में उस समय हलचल तेज हो गई जब भाजपा महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष सुनीता दाहिया ने भोपाल निवासी पत्रकार एवं यूट्यूबर रविन्द्र जैन के खिलाफ गंभीर शिकायत दर्ज कराई। सुनीता दाहिया ने थाना प्रभारी कैमोर को शिकायती पत्र सौंपते हुए मांग की है कि उनके विरुद्ध अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 तथा भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रासंगिक धाराओं के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए और प्राथमिकी दर्ज की जाए।
शिकायती पत्र में सुनीता दाहिया ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे लंबे समय से समाज सेवा और महिला कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत हैं। वे अपने विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजय पाठक से संबंधित भ्रामक व अर्धसत्य सूचनाओं का खंडन करती रही हैं, ताकि जनता तक वास्तविक तथ्य पहुंच सके। लेकिन इसी बीच भोपाल निवासी पत्रकार रविन्द्र जैन ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर वीडियो बनाकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और उन्हें विधायक संजय पाठक की "चमची" कहकर संबोधित किया।
सुनीता दाहिया के अनुसार यह टिप्पणी न केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान और गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है, बल्कि व्यापक स्तर पर सोशल मीडिया पर प्रसारित होने से उन्हें मानसिक पीड़ा, सार्वजनिक अपमान और सामाजिक छवि को गहरी क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति की महिला होने के नाते यह बयान असम्मानजनक, अमर्यादित और कानूनन दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
उन्होंने शिकायती पत्र में विस्तार से उल्लेख किया कि यह कृत्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(r) — जिसमें अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्य को जानबूझकर सार्वजनिक रूप से अपमानित करने पर दंड का प्रावधान है — तथा धारा 3(1)(s) — जिसमें भयभीत करने और असम्मानजनक व्यवहार पर दंड निर्धारित है — के तहत आता है। इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता 2023 की धारा 79(2), धारा 356, धारा 351 और धारा 352 भी इस प्रकरण पर लागू होती हैं।
सुनीता दाहिया ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच की जाए तथा अभियोग़ पत्र तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि रविन्द्र जैन को निर्देशित किया जाए कि वे तत्काल अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से मानहानि कारक सामग्री हटाएं और भविष्य में किसी भी प्रकार की प्रतिशोधात्मक अथवा उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न करें।
उन्होंने पुलिस प्रशासन से यह भी अनुरोध किया कि उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए, जिससे कि इस प्रकार के बयानबाजी और सार्वजनिक अपमान से न केवल उनकी व्यक्तिगत गरिमा की रक्षा हो सके, बल्कि अन्य महिलाओं और विशेषकर अनुसूचित जाति जनजाति की महिलाओं को भी हिम्मत मिले कि वे अन्याय और अपमान के खिलाफ आवाज उठा सकें।
थाना प्रभारी को सौंपे गए शिकायती पत्र के दौरान भाजपा मंडल अध्यक्ष भवानी मिश्रा, नगर परिषद उपाध्यक्ष संतोष केवट, पूर्व उपाध्यक्ष पप्पू शर्मा और महिला कार्यकर्ता किरण बर्मन भी मौजूद रहे। इस अवसर पर उन्होंने भी सुनीता दाहिया का समर्थन किया और कहा कि पत्रकारिता के नाम पर किसी की गरिमा और सामाजिक छवि से खिलवाड़ करना लोकतांत्रिक और सामाजिक मर्यादाओं के खिलाफ है।
इस पूरे घटनाक्रम ने कैमोर क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक हलचल को और बढ़ा दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पुलिस प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता और तेजी से कार्रवाई करता है। ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर महिलाओं और कमजोर वर्गों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का सिलसिला बढ़ सकता है।
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और किसी की व्यक्तिगत गरिमा, सम्मान और सामाजिक छवि की सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
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