गौरा में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भक्त झूमे,श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम।

 गौरा में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भक्त झूमे,श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम।

कथावाचक पंडित शशि तिवारी ने किया कंस के अत्याचार का वर्णन, बड़वारा विधायक ने पहुंचकर लिया आशीर्वाद।

सिलौंडी,ग्रामीण खबर MP।

सिलौंडी के समीपवर्ती ग्राम गौरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा पुराण में रविवार का दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष रहा। इस दिन कथावाचक पंडित शशि तिवारी जी ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रसंग का अत्यंत भावपूर्ण और मार्मिक वर्णन किया। जैसे ही उन्होंने कंस के कारागार में देवकी और वासुदेव से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाया, वैसे ही वातावरण में उल्लास और भक्ति का ऐसा रंग छा गया कि श्रद्धालु भक्तगण अपने को रोक नहीं सके और खुशी-खुशी नृत्य करने लगे। कथा स्थल हरि-नाम संकीर्तन और मधुर भजनों की गूंज से भर गया।

कथावाचक पंडित शशि तिवारी जी ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार मथुरा के राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और जीजा वासुदेव पर अत्याचार किए। उन्होंने बताया कि किस तरह देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाले प्रत्येक बालक को कंस ने मृत्यु के घाट उतार दिया और भय व आतंक का साम्राज्य स्थापित कर दिया। पंडित जी ने भाव-विभोर कर देने वाले स्वर में यह भी बताया कि ईश्वर ने सदैव धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए अवतार लिया है और श्रीकृष्ण का जन्म भी उसी श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी है।

कथा के दौरान भक्तगण जब-जब कंस के अत्याचारों का वर्णन सुनते, तब-तब भावुक हो उठते। और जब श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन आया तो पूरा पंडाल ‘नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ जैसे जयकारों से गूंज उठा। सभी उपस्थित लोगों ने ताली बजाकर, नृत्य कर और भजनों के साथ इस दिव्य प्रसंग का उत्सव मनाया।

इस धार्मिक आयोजन में संगीत की विशेष भूमिका रही। महेन्द्र सिंह और मुकेश दुबे ने अपने मधुर स्वर और वाद्य यंत्रों की संगति से कथा का माहौल और भी भक्ति रस से परिपूर्ण कर दिया। भक्तगण उनके प्रस्तुत भजनों और धुनों पर झूम उठे और बार-बार हरि-नाम का उच्चारण करते रहे।

आयोजन के बीच बड़वारा विधायक भी कथा स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कथावाचक पंडित शशि तिवारी जी का सम्मान किया और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। विधायक ने इस अवसर पर कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन गांव और समाज को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं और यह हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं। उन्होंने आयोजकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस प्रकार की कथाएं न केवल धर्म प्रचार का कार्य करती हैं बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे को भी मजबूत बनाती हैं।

कथा स्थल पर श्रद्धालुओं और ग्रामीणों की भारी भीड़ रही। आसपास के गांवों से भी लोग बड़ी संख्या में कथा सुनने के लिए आए। भक्तों में पंकज तिवारी, रिंकू तिवारी, राज दुबे, महेंद्र सिंह ठाकुर, पुरुषोत्तम दुबे, राकेश दुबे, राजेश तिवारी, रोहित दुबे, गंगाराम, पदम लाल, जगदीश, प्रमोद, रवि, राकेश, संतोष, शरद, उमेश, प्रदोष, वासुदेव, अशोक, अरविंद, अंतू, धनीराम, शोभाराम, कृष्णकांत, मुश्कि लाल, राजेश राय, दिनेश, मिलन सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

कथा में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि ऐसी आध्यात्मिक कथाएं उनके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करती हैं। उनका कहना था कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को उन्होंने जिस भक्ति और उल्लास के साथ मनाया, वह अविस्मरणीय है।

पूरे आयोजन में भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने ग्राम गौरा को एक दिव्य तीर्थस्थल का स्वरूप प्रदान कर दिया। श्रद्धालुओं का कहना था कि इस कथा से उन्हें न केवल आध्यात्मिक आनंद मिला, बल्कि यह अवसर उनके लिए जीवनभर की स्मृति बन गया।

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