भीखाखेड़ा के सैकड़ों ग्रामीणों ने विधायक संतोष बरकड़े को सौंपा ज्ञापन,किसानों की खाद,ट्रांसफार्मर,समर्थन मूल्य,शिक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान की रखी मांग।
ग्रामीणों ने सोसायटियों में खाद उपलब्ध कराने, कृषि ट्रांसफार्मर व स्थायी कनेक्शन, मझगवां में स्कूल-आईटीआई स्वीकृति, अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति, सामाजिक योजनाओं का लाभ और सड़क-नहर सुधार की उठाई मांग।
भीखाखेड़ा,ग्रामीण खबर MP।
आज 24 सितंबर को ग्राम भीखाखेड़ा में बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हुए और क्षेत्रीय विधायक संतोष बरकड़े को एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन जिला मीडिया प्रभारी ओबीसी जितेन्द्र कुमार कुर्मी और किसान मोर्चा ब्लाक अध्यक्ष संतकुमार पटैल के नेतृत्व में सौंपा गया। इसमें ग्रामीणों ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों और समस्याओं का विस्तार से उल्लेख करते हुए तत्काल समाधान की अपील की।
ज्ञापन की प्रमुख मांगों में किसानों के लिए खाद और उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल रहा। ग्रामीणों ने कहा कि सभी सोसायटियों और विपणन समितियों में यूरिया, डीएपी और 18:46:46 खाद का पर्याप्त स्टॉक रखा जाए ताकि किसानों को बोआई के समय किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने यह भी मांग की कि खाद वितरण में किसी प्रकार की लापरवाही न हो और किसानों को आसानी से समय पर खाद उपलब्ध हो।
कृषि से संबंधित अन्य समस्याओं पर भी विशेष जोर दिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में ट्रांसफार्मर की क्षमता कम होने से किसानों को अपने पंप और उपकरण चलाने में परेशानी आ रही है। अतः सभी कृषि ट्रांसफार्मरों को लोड के अनुसार अधिक क्षमता वाले ट्रांसफार्मरों से बदला जाए। इसके साथ ही किसानों को स्थायी बिजली कनेक्शन दिलाए जाएं और सब्सिडी पर नए ट्रांसफार्मर बैठवाने की योजना को दोबारा चालू किया जाए। कृषि लाइन के खंभों को सीधा करने और कृषि पंपों के बढ़ाए गए हार्सपावर लोड को ठीक कराने की भी मांग रखी गई।
समर्थन मूल्य को लेकर ग्रामीणों ने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलना चाहिए। इसके लिए धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल और गेहूं का समर्थन मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाए। साथ ही खरीदी केंद्रों पर किसानों को बिना कमीशन और दलालों के हस्तक्षेप के पारदर्शी व्यवस्था में उपज बेची जाने की गारंटी दी जाए।
ग्रामीणों ने शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी गंभीर चिंता जताई। ज्ञापन में मझगवां सरौली में कन्या हायर सेकंडरी स्कूल स्वीकृत करने, मझगवां में महाविद्यालय और आईटीआई खोलने की मांग की गई। इसके अतिरिक्त मझगवां अस्पताल में पर्याप्त संख्या में एमबीबीएस डॉक्टर नियुक्त करने पर बल दिया गया ताकि ग्रामीणों को इलाज के लिए शहरों का रुख न करना पड़े।
सामाजिक योजनाओं के अंतर्गत ग्रामीणों ने मांग की कि वृद्धा पेंशन योजना से छूटे हुए वृद्धजन, सम्मान निधि से वंचित छोटे किसान और लाड़ली बहना योजना से छूटी हुई महिलाएं, माताएं और बहनों को इन योजनाओं का लाभ तुरंत दिलाया जाए। ग्रामीणों का कहना था कि इन योजनाओं का वास्तविक उद्देश्य तभी पूरा होगा जब पात्र सभी लोगों को इसका लाभ बिना भेदभाव के मिले।
क्षेत्र की अन्य समस्याओं में खरीदी केंद्रों पर धान, गेहूं और मूंग की खरीदी में कमीशन बंद कराना, ग्राम सेवकों को ग्राम पंचायत में नियमित रूप से बैठने के आदेश देना, खितौला से लेकर प्रतापपुर तक बेलगाम ट्रक और हाइवा चालकों की तेज गति पर अंकुश लगाना, सड़कों पर बैठे आवारा मवेशियों की व्यवस्था करना और नहरों पर मुरम रोड स्वीकृत करना शामिल था। साथ ही प्रतापपुर से बड़ी नहर के गेट तक गहरीकरण कर गेट को 2 फीट नीचे लगाने और सभी मुरम रोड का डामरीकरण करने की भी मांग की गई।
ज्ञापन में ओबीसी आरक्षण 27% लागू करने और वर्तमान में लागू 13% होल्ड को तुरंत हटाने की भी प्रमुख मांग रखी गई। ग्रामीणों का कहना था कि यह सामाजिक न्याय का विषय है और सरकार को इसमें किसी प्रकार की देरी नहीं करनी चाहिए।
इस ज्ञापन कार्यक्रम में विनीत पटेल, आशिष पटेल, जुगल दाहिया, प्रकाश पटेल, इंद्रजीत पटेल, सत्यम पटेल, मदन पटेल, बिहारी पटेल, हल्के राम पटेल, अखिलेश पटेल, गणेश पटेल, मयंक पटेल, रबि पटेल, मोनू विश्वकर्मा, अनिल दाहिया, राहुल पटैल, पवन पटेल, साहिल पटेल सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे और उन्होंने अपनी सामूहिक आवाज से क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। ग्रामीणों का कहना था कि यदि समय रहते उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
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