मध्यप्रदेश की 500 गौशालाएँ बंद,चालू कराने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

 मध्यप्रदेश की 500 गौशालाएँ बंद,चालू कराने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

लालू यादव सहित गौ सेवकों ने जताई नाराजगी,15 दिन में गौशाला नहीं खुली तो नेशनल हाईवे जाम और कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

मध्यप्रदेश में गौशालाओं की बदहाल स्थिति को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा होने की संभावना बन गई है। प्रदेशभर की 500 से अधिक गौशालाएँ लंबे समय से बंद पड़ी हुई हैं, जिससे न केवल गौ माता की सुरक्षा पर संकट खड़ा हो गया है बल्कि गौ सेवकों और आम नागरिकों की आस्था भी गहरी चोट खा रही है। इन्हीं हालातों से आक्रोशित होकर सिहोरा के गौ सेवक लालू यादव के नेतृत्व में स्थानीय गौ भक्तों और शहरवासियों ने जबलपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें स्पष्ट रखीं।

ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश की गौशालाएँ बंद रहने के कारण प्रतिदिन लगभग 500 से 1000 गौ माता की असमय मौत हो रही है। यह स्थिति न केवल अमानवीय है बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत चिंताजनक है। ज्ञापन में लिखा गया कि जिस प्रदेश को गौ माता की सेवा के लिए जाना जाता है, वहीं आज प्रशासन की लापरवाही से गौशालाओं के ताले बंद हैं और गौ माता इधर-उधर भटक रही हैं।

गौ सेवकों ने चेतावनी दी है कि यदि आगामी 15 दिनों के भीतर गौशालाओं को पुनः चालू नहीं किया गया तो वे मजबूरन नेशनल हाईवे पर चक्का जाम करेंगे और कलेक्ट्रेट का घेराव भी करेंगे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन यदि शासन-प्रशासन ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया तो स्थिति और भी विकट हो सकती है।

गौ सेवकों की यह भी प्रमुख मांग रही कि केवल गौशालाओं को चालू करना ही पर्याप्त नहीं होगा। हर एक गौशाला में स्थायी रूप से पशु चिकित्सक की नियुक्ति की जाए ताकि बीमार और घायल गौ माता का तत्काल इलाज हो सके। इसके अलावा, चारे और पानी की नियमित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए तथा गौशालाओं में सफाई और देखरेख का काम भी प्राथमिकता पर किया जाए।

ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया है कि यदि गौ सेवकों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा तो इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। गौ भक्तों का कहना है कि वे गौ माता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और यदि आवश्यक हुआ तो पूरे प्रदेशभर में आंदोलन की लहर उठेगी।

ज्ञापन सौंपने वाले लालू यादव और अन्य गौ सेवकों ने कहा कि गौ माता की सेवा केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। आज जब सड़कों पर बेसहारा गौ माता दुर्घटनाओं का शिकार हो रही हैं और भूख-प्यास से दम तोड़ रही हैं, तब शासन की चुप्पी असहनीय है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि करोड़ों रुपये गौशाला संचालन के लिए आवंटित होते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार और उदासीनता के कारण न तो गौशालाएँ खुल रही हैं और न ही उनका सही प्रबंधन हो पा रहा है।

इस पूरे मामले ने प्रशासन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कितनी संवेदनशीलता और तत्परता दिखाता है। गौ सेवकों की चेतावनी के चलते आने वाले दिनों में सड़कों पर बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है, जो प्रदेश की राजनीति और प्रशासन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा।

गौ माता की सुरक्षा और गौशालाओं की स्थिति को लेकर अब हर किसी की निगाह शासन-प्रशासन की कार्यवाही पर टिकी हुई है।

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