ग्रामपंचायत कछारगाँव छोटा में सरपंच की मनमानी और भ्रष्टाचार पर भड़के ग्रामीण, सौंपा ज्ञापन।
अधूरी पुलिया, फर्जी भुगतान, बिना भूमि के नाम पर राशि आहरण, असुरक्षित स्थान पर भवन निर्माण जैसे गंभीर आरोपों की जांच की मांग।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:
जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा की ग्रामपंचायत कछारगाँव छोटा में सरपंच की कार्यप्रणाली को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए पंचायत में हुए निर्माण कार्यों की निष्पक्ष जांच की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच ने न सिर्फ सरकारी राशि का दुरुपयोग किया है, बल्कि फर्जी बिलों के माध्यम से बिना कार्य कराए ही भुगतान दर्शा दिया गया है।
ज्ञापन के अनुसार, लगभग दो वर्ष पूर्व ग्राम कछारगाँव छोटा से खेत की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर एक पुलिया निर्माण की स्वीकृति दी गई थी, जिसका कार्य प्रारंभ तो हुआ, लेकिन आज तक वह अधूरा पड़ा है। इस अधूरे निर्माण कार्य के बावजूद, सरपंच द्वारा पुलिया की पूरी राशि आहरित कर ली गई है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह सीधे तौर पर शासन की राशि का दुरुपयोग है और इस पर तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ग्राम में तालाब निर्माण और मेढ़ बंधान जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी केवल कागजों में ही कराए गए हैं। फर्जी बिलों के आधार पर राशि का आहरण कर लिया गया, जबकि स्थल पर कोई कार्य नहीं हुआ। विशेषकर मेढ़ बंधान के संदर्भ में संदीप पिता अशोक कुमार कोल के नाम पर भुगतान किया गया, जबकि उनके नाम से राजस्व अभिलेखों में कोई भूमि दर्ज ही नहीं है। इसी तरह अशोक कुमार पिता महेश कोल एवं प्रेमलाल पिता सरजू कोल के नाम पर भी भूमि का हवाला देकर भुगतान दर्शाया गया, जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।
एक और गंभीर मुद्दा, जो ग्रामीणों ने उठाया है, वह है ग्रामपंचायत के नवीन भवन का निर्माण। ग्रामीणों का कहना है कि भवन का निर्माण एक असुरक्षित और रेतीली भूमि पर कराया जा रहा है, जबकि ग्राम के भीतर ही सुरक्षित व मजबूत भूमि उपलब्ध है। यह वही भूमि है जिसे पूर्व में नल-जल योजना के तहत जल टंकी निर्माण के लिए चयनित किया गया था, लेकिन तकनीकी परीक्षण में असुरक्षित पाए जाने के कारण उसे अस्वीकार कर दिया गया था। बावजूद इसके, सरपंच ने उसी स्थान पर पंचायत भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया है। इससे स्पष्ट है कि ग्राम हितों और सुरक्षा की अनदेखी कर व्यक्तिगत हित साधे जा रहे हैं।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायत में पारदर्शिता का अभाव है। कार्यों की जानकारी ग्रामीणों को नहीं दी जाती, और योजनाओं का क्रियान्वयन बिना जनसुनवाई या पंचायत बैठक के ही कर दिया जाता है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि समस्त कार्य मनमाने ढंग से और भ्रष्ट मंशा से किए जा रहे हैं।
ज्ञापन में यह भी लिखा गया है कि जब भी कोई ग्रामीण इन अनियमितताओं की ओर ध्यान आकर्षित करता है, तो उसे दबाने या धमकाने की कोशिश की जाती है। कई ग्रामीणों ने बताया कि वे भय के माहौल में जी रहे हैं और सरकारी योजनाओं में हो रही गड़बड़ियों को उजागर करने पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से टारगेट किया जाता है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन तत्काल प्रभाव से इन मामलों की निष्पक्ष जांच कराए, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और स्थान का भौतिक निरीक्षण किया जाए, तथा जिन व्यक्तियों के नाम पर बिना भूमि होते हुए राशि आहरित की गई है, उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही पंचायत भवन निर्माण स्थल को बदलने की दिशा में भी विचार किया जाए ताकि सरकारी धन की बर्बादी और जन-धन की हानि रोकी जा सके।
ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र ही कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और जनआंदोलन की राह अपनाएंगे।
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