रेतीली और असुरक्षित जमीन पर ग्रामपंचायत भवन निर्माण के खिलाफ भड़के ग्रामीण,सरपंच पर लगाया मनमानी और शासकीय राशि दुरुपयोग का आरोप।
कछारगाँव छोटा में प्रस्तावित नवीन पंचायत भवन के निर्माण स्थल को बताया तकनीकी रूप से असुरक्षित,ग्रामीणों ने सौंपा एसडीएम को ज्ञापन।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:
जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्रामपंचायत कछारगाँव छोटा में प्रस्तावित नवीन ग्रामपंचायत भवन का निर्माण क्षेत्र में चर्चा और विरोध का विषय बन गया है। ग्रामीणों ने सरपंच पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भवन का निर्माण एक ऐसी भूमि पर कराया जा रहा है जो तकनीकी दृष्टिकोण से न केवल असुरक्षित है बल्कि भविष्य में जान-माल की हानि का कारण भी बन सकती है। इसी संदर्भ में ग्रामीणों ने मंगलवार को अनुविभागीय अधिकारी, ढीमरखेड़ा को एक लिखित ज्ञापन सौंपते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
ज्ञापन में ग्रामवासियों ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि ग्राम के बाहर स्थित जिस मैदान में पंचायत भवन का निर्माण कार्य प्रस्तावित है, वह जगह पूर्व में नल-जल योजना के अंतर्गत पानी की टंकी के लिए चयनित की गई थी। लेकिन स्थान की भौगोलिक स्थिति और तकनीकी जांच के उपरांत यह पाया गया कि वह क्षेत्र रेतीली, अस्थिर और निर्माण के लिए पूर्णतः अनुपयुक्त है। इसलिए पानी की टंकी का निर्माण कार्य वहाँ से हटाकर दूसरे स्थान पर किया गया था। अब उसी खतरनाक और अनुपयुक्त जगह पर सरपंच द्वारा पंचायत भवन का निर्माण कराया जा रहा है, जो न केवल जनविरोधी कदम है बल्कि शासकीय निधि के सीधे दुरुपयोग का भी मामला है।
ग्रामवासियों का कहना है कि ग्रामपंचायत क्षेत्र में कई सुरक्षित और ठोस भूखंड मौजूद हैं जहां पंचायत भवन का निर्माण न केवल सुरक्षित होगा बल्कि लंबे समय तक टिकाऊ भी रहेगा। इसके बावजूद सरपंच द्वारा ग्रामीणों की राय और तकनीकी सलाहों को दरकिनार कर निर्माण कार्य को एकतरफा ढंग से असुरक्षित क्षेत्र में प्रारंभ कर दिया गया है। इससे भविष्य में भवन के क्षतिग्रस्त होने, ढहने या अन्य आपदाजनक स्थिति उत्पन्न होने की पूरी आशंका बनी हुई है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि सरपंच ने निर्माण स्थल चयन में पंचायत सदस्यों से चर्चा नहीं की, न ही किसी ग्रामसभा का आयोजन कर ग्रामवासियों से राय ली। यह सीधे-सीधे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी और प्रशासनिक मनमानी है। सरपंच की यह कार्यप्रणाली जनहित के विरुद्ध है और इससे ग्रामवासियों में व्यापक असंतोष व्याप्त है।
ज्ञापन में ग्रामीणों ने यह स्पष्ट रूप से मांग की है कि इस निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा स्थल का दोबारा परीक्षण कर निर्माण हेतु नई सुरक्षित जगह का चयन किया जाए। साथ ही यदि वर्तमान स्थल पर निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है, तो उसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर प्रशासनिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
ज्ञापन देने वालों में गाँव के युवाजन और जनप्रतिनिधि शामिल रहे। सभी ने एक स्वर में प्रशासन से अपील की कि शासकीय राशि की बर्बादी रोकी जाए और गाँव के विकास कार्यों में पारदर्शिता व सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
ग्रामीणों की इस पहल से यह स्पष्ट है कि वे अब विकास कार्यों में भागीदारी और जवाबदेही की माँग कर रहे हैं, जो लोकतंत्र की सच्ची भावना है। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस प्रकरण में शीघ्रता से कार्रवाई कर जनविश्वास बनाए रखे और विकास कार्यों को पारदर्शी, तकनीकी और जनहितकारी दिशा दे।
ग्रामीण खबर MP-
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