मां वीरासन मार्ग पर जंगल में बढ़ती अवैध कटाई से पर्यावरण संकट गहराया।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से घट रही हरियाली,खेतों में बदल रही वनभूमि,ग्रामीणों ने रोक लगाने की मांग उठाई।
सिलौंडी,ग्रामीण खबर MP:
सिलौंडी से मां वीरासन मार्ग पर ग्राम पंचायत नेगाई के अंतर्गत आने वाले गांव तिलमन के आगे का जंगल इन दिनों तेजी से सिमटता जा रहा है। जहां कभी घने पेड़-पौधों की छांव में ग्रामीण चैन की सांस लेते थे, वहीं अब जगह-जगह खाली पड़ी भूमि दिखाई देने लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से लगातार पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। ग्रामीणों के अनुसार, लोग पेड़ काटकर जमीन को कृषि योग्य बना रहे हैं और जंगल की भूमि को खेतों में तब्दील कर रहे हैं।
इस लगातार हो रही कटाई से जंगल का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। लोग चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यही हाल रहा तो आने वाले वर्षों में यह पूरा जंगल समाप्त हो जाएगा और केवल बंजर भूमि ही दिखाई देगी। खेती के लालच में हो रही इस अवैध गतिविधि से न केवल हरियाली घट रही है, बल्कि क्षेत्र की जैव विविधता भी प्रभावित हो रही है। यहां निवास करने वाले वन्यजीव अपने प्राकृतिक आवास से वंचित हो रहे हैं और धीरे-धीरे पलायन की स्थिति में पहुंच रहे हैं।
जागरूक ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग से गुहार लगाई है कि इस अवैध कटाई को तुरंत रोका जाए। उनका कहना है कि अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो न केवल जंगल खत्म हो जाएंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी इसके दुष्परिणाम भुगतेंगी। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जहां पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ेगा, वहीं बारिश का पैटर्न भी प्रभावित होगा और जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
ग्रामीणों ने चिंता जताई कि जंगल खत्म होने से मिट्टी का कटाव बढ़ेगा और भूमि की उर्वरता घट जाएगी। इससे आने वाले वर्षों में किसानों की खेती भी प्रभावित होगी। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
स्थानीय समाजसेवियों ने कहा कि जंगल केवल हरियाली का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन का आधार भी है। यह न केवल स्वच्छ हवा और पानी का स्रोत है, बल्कि यहां रहने वाले जानवरों, पक्षियों और अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी जीवनदायिनी है। यदि जंगल नष्ट हो गए तो प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा और इसका सीधा असर मानव जीवन पर भी देखने को मिलेगा।
वन विभाग से मांग की गई है कि जंगल की सुरक्षा के लिए नियमित निगरानी व्यवस्था की जाए और ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो जो पेड़ों की अवैध कटाई में संलिप्त पाए जाएं। इसके साथ ही ग्रामीणों में जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें जंगल और पेड़ों के महत्व से अवगत कराया जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि जंगल केवल आज की जरूरत नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरोहर है। यदि इसे सुरक्षित नहीं रखा गया तो भविष्य में सिलौंडी और आसपास के गांव गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना करेंगे।
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