ढीमरखेड़ा के पड़रिया में बीपीएल कार्ड का दुरुपयोग, पति-पत्नी और पुत्री ने लिया योजनाओं का अनुचित लाभ।
10 एकड़ जमीन होने के बावजूद बीपीएल कार्डधारी, पत्नी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पुत्री सहायिका बनीं; आपत्तियों के बाद नियुक्ति निरस्त होने की संभावना।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:
कटनी जिले की जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत बारहटा के ग्राम पड़रिया में बीपीएल कार्ड के दुरुपयोग का गंभीर मामला प्रकाश में आया है। यह मामला न केवल प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि इस बात की भी ओर इशारा करता है कि कैसे कुछ लोग नियम-कायदों को ताक पर रखकर वर्षों से सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठाते आ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, ग्राम पड़रिया निवासी छब्बी लाल पिता रामप्रसाद मेहरा लगभग 10 से 12 एकड़ कृषि भूमि के मालिक हैं। इतनी भूमि का स्वामित्व होने के बावजूद वे बीपीएल श्रेणी में दर्ज हैं और उनका बीपीएल कार्ड क्रमांक-20 है। गरीबों और वंचितों के लिए बनी यह योजना ऐसे परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए है, जिनके पास जीवन-यापन की न्यूनतम सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। मगर छब्बी लाल और उनका परिवार वर्षों से इस योजना का दुरुपयोग कर रहे हैं।
आरोप है कि छब्बी लाल की पत्नी संगीता बाई को भी बीपीएल कार्ड का लाभ दिखाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद पर नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति करीब 15 वर्ष पहले हुई थी और आज तक वे उसी पद पर कार्यरत हैं। वहीं, हाल ही में आंगनबाड़ी सहायिका की भर्ती प्रक्रिया के दौरान भी परिवार ने बीपीएल का लाभ उठाकर अपनी पुत्री मुस्कान मेहरा को चयनित करा लिया।
स्थानीय ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया नियमविरुद्ध और धोखाधड़ी पूर्ण है। जिस परिवार के पास 10 एकड़ से अधिक उपजाऊ भूमि है, वह किसी भी परिस्थिति में बीपीएल श्रेणी में आ ही नहीं सकता। इसके बावजूद परिवार लगातार लाभ लेता रहा और यहां तक कि मां-बेटी दोनों को आंगनबाड़ी व्यवस्था में पदस्थ करा लिया गया। ग्रामीणों ने इस मामले में तीखी आपत्ति जताई है और नियुक्ति को रद्द करने की मांग की है।
इस विवाद पर जब परियोजना अधिकारी ढीमरखेड़ा आरती यादव से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि शिकायत के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए जाते हैं, तो संबंधित नियुक्ति को निरस्त कर दिया जाएगा। उनका कहना है कि बीपीएल लाभ का अनुचित उपयोग किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है। क्या भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी करने वाले इस परिवार पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी फाइलों और रसूखदारों के दबाव में दबकर रह जाएगा? यह मुद्दा केवल एक परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सैकड़ों वास्तविक गरीब परिवारों के अधिकारों से भी जुड़ा हुआ है, जो वर्षों से बीपीएल जैसी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।
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