महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय करौंदी में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल, परीक्षा से फीस तक अनियमितताओं की बाढ़।

 महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय करौंदी में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल, परीक्षा से फीस तक अनियमितताओं की बाढ़।

मोबाइल से पेपर सॉल्विंग, पैसे लेकर दूसरों से परीक्षा,एडमिशन कैंसिल के बाद भी फीस वसूली; पीड़ित छात्र बोले— शिक्षा मंदिर में मचा है भ्रष्टाचार का तांडव।

उमरिया पान,ग्रामीण खबर MP

कटनी जिले की तहसील ढीमरखेड़ा के ग्राम करौंदी स्थित महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में है। स्थानीय सूत्रों, छात्रों और अभिभावकों ने इस प्रतिष्ठित माने जाने वाले विश्वविद्यालय में शिक्षा व्यवस्था, परीक्षा प्रक्रिया और फीस वसूली में भारी अनियमितताओं का खुलासा किया है।

आरोपों के अनुसार, विश्वविद्यालय के परीक्षा हाल मैं मोबाइल फोन के जरिए पेपर करवाये जाते हैं,और शिक्षक स्वयं छात्रों को ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से उत्तर लिखवाते हैं। इसके अलावा, कई मामलों में पैसे लेकर अन्य व्यक्तियों को परीक्षा में बैठाकर उत्तर पुस्तिकाएं भरवाई जाती हैं। यह स्थिति तब और भी चौंकाने वाली हो जाती है जब पता चलता है कि परीक्षा देने वाला व्यक्ति कई बार विश्वविद्यालय का छात्र भी नहीं होता, बल्कि बाहरी व्यक्ति होता है जिसे राशि लेकर नियुक्त किया जाता है।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यहां डिग्री पाना बेहद आसान बना दिया गया है। कोई भी व्यक्ति, चाहे एक वर्ष में कितनी भी डिग्रियां हासिल करना चाहता हो, यह कथित तौर पर सीमांत कुमार शर्मा नामक शिक्षक के माध्यम से आसानी से संभव हो जाता है। आरोप यह भी है कि यदि छात्र परीक्षा में अनुपस्थित हो, तो उसकी जगह विश्वविद्यालय के लोग किसी अन्य को बिठाकर पेपर दिलवा देते हैं, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।

एक पीड़ित छात्र ने बताया कि उसके पिता की गंभीर बीमारी के कारण उसने एडमिशन रद्द करवा दिया था। वह पिछले दो महीने से 200 किलोमीटर दूर से विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहा है ताकि टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) मिल सके, लेकिन विश्वविद्यालय न केवल टीसी देने से इनकार कर रहा है, बल्कि उससे पूरे तीन साल की फीस जमा करने का दबाव डाल रहा है। छात्र का कहना है कि यह न केवल आर्थिक शोषण है, बल्कि मानसिक उत्पीड़न भी है, जिससे उसकी पढ़ाई और भविष्य दोनों पर असर पड़ा है।

इन घटनाओं ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक साख, नैतिक मानकों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और संस्थानों की विश्वसनीयता के लिए बड़ा खतरा है। यह न केवल विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शिक्षा के प्रति विश्वास को कमजोर करने वाला मामला है।

क्षेत्र के जागरूक नागरिकों, अभिभावकों और छात्र संगठनों ने जिला प्रशासन, पुलिस और उच्च शिक्षा विभाग से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और त्वरित जांच कर दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस प्रकार की धोखाधड़ी, अनियमितताओं और शोषण पर लगाम नहीं लगाई गई, तो आने वाली पीढ़ियां उच्च शिक्षा से विमुख हो सकती हैं और निजी संस्थानों में भ्रष्टाचार का बोलबाला और बढ़ जाएगा।

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