सिलौंडी के बालक हायर सेकंडरी स्कूल की 6 साल पुरानी इमारत हुई जर्जर,दीवारों में दरारें,छत से टपकता पानी,प्लास्टर झड़ा,बच्चों की जान खतरे में।

 सिलौंडी के बालक हायर सेकंडरी स्कूल की 6 साल पुरानी इमारत हुई जर्जर,दीवारों में दरारें,छत से टपकता पानी,प्लास्टर झड़ा,बच्चों की जान खतरे में।

संकुल केंद्र के रूप में चिन्हित इस शासकीय भवन में शिक्षक और विद्यार्थी रोज कर रहे जान जोखिम में, ग्रामीणों ने की मरम्मत व दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग।

सिलौंडी,ग्रामीण खबर mp:

कटनी जिले के ग्राम सिलौंडी में स्थित शासकीय बालक हायर सेकंडरी स्कूल संकुल केंद्र की छः वर्ष पूर्व निर्मित नई बिल्डिंग आज जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। जिस भवन को सरकार ने बच्चों की बेहतर शिक्षा और सुरक्षित वातावरण के उद्देश्य से निर्मित कराया था, वह आज अपने ही भार से चरमराने लगा है।

बारिश के मौसम में बिल्डिंग की खामियां और अधिक उजागर हो जाती हैं। कई कमरों की छतें टपक रही हैं, जिससे विद्यार्थियों को कक्षाओं के दौरान भीगते हुए पढ़ाई करनी पड़ रही है। कक्ष क्रमांक 1 और 2 में दीवारों की पपड़ी उतर रही है और प्लास्टर गिर रहा है। कई जगहों पर इतनी गहरी दरारें पड़ गई हैं कि किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

इस भवन की खास बात यह है कि यह क्षेत्रीय संकुल केंद्र भी है। इसका अर्थ है कि आसपास के अन्य विद्यालयों के शिक्षक भी इसी भवन में बैठकें, प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक कार्यों के लिए नियमित रूप से आते रहते हैं। ऐसे में भवन की स्थिति ना केवल विद्यार्थियों, बल्कि शिक्षकों के लिए भी खतरा बन चुकी है।

ग्रामीणों ने बताया कि बिल्डिंग को बने अभी महज 5 से 6 वर्ष ही हुए हैं, लेकिन इसमें पहले ही दरारें और जर्जरता दिखाई देने लगी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्य में गंभीर स्तर की लापरवाही बरती गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग किया गया था और निर्माण कार्य के दौरान किसी प्रकार की गुणवत्ता जांच नहीं की गई।

स्कूल कार्यालय भी इससे अछूता नहीं है। वहां भी छत से पानी टपक रहा है और जरूरी फाइलें और दस्तावेज सुरक्षित नहीं हैं। बारिश के दौरान कर्मचारियों को फाइलों को इधर-उधर हटाकर सूखा रखने की कोशिश करनी पड़ती है।

इसके अलावा, स्कूल में बने शौचालयों की स्थिति और भी अधिक चिंताजनक है। महिला शिक्षिकाओं और छात्राओं के लिए बनाए गए शौचालयों में दरवाजे नहीं हैं। टंकियां जर्जर हैं, और अंदर गंदगी का अंबार लगा रहता है। इससे विद्यालय में पढ़ने आने वाली बालिकाओं और महिला कर्मचारियों को अत्यधिक असुविधा होती है। कई बार इन कमियों के कारण वे शौचालय का उपयोग करने से कतराती हैं, जो स्वास्थ्य और गरिमा दोनों के लिए खतरा है।

स्थानीय ग्रामीणों ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए जिला शिक्षा अधिकारी से मांग की है कि विद्यालय भवन का तुरंत निरीक्षण किया जाए। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि यदि समय रहते मरम्मत नहीं कराई गई तो इस भवन का कोई भी भाग गिर सकता है और बड़ी दुर्घटना घट सकती है।

ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदार और जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि सरकारी धन का दुरुपयोग केवल भ्रष्टाचार नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य और जान की कीमत पर किया गया अपराध है।

आज जब सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और संसाधनों के विस्तार की बात कर रही है, वहीं ऐसे भवन जो महज कुछ वर्षों में ही जर्जर हो जाएं, वे न केवल योजनाओं पर सवाल उठाते हैं, बल्कि बच्चों की शिक्षा के मूलभूत अधिकारों का भी हनन करते हैं।

ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे इस मुद्दे को जन आंदोलन के रूप में उठाएंगे और प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp

संपर्क सूत्र:9977110734

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