सिलौड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं के लिए न पोषण आहार की व्यवस्था,न रात में इलाज की सुविधा।
ढीमरखेड़ा तहसील की स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में, गर्भवती महिलाएं झेल रहीं परेशानी, ग्रामीणों ने उठाई सुधार की मांग।
सिलौड़ी,ग्रामीण खबर mp:
प्रदेश की सरकार एक ओर जहां ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुदृढ़ीकरण को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। सिलौड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत यह है कि यहां गर्भवती महिलाओं को न तो पोषण आहार की सुविधा मिल रही है और न ही आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। विशेषकर रात्रि के समय स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से सूना रहता है, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार रात के समय प्रसव पीड़ा या अन्य परेशानी होने पर जब वे सिलौड़ी स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचेते हैं, तो वहां कोई भी डॉक्टर, नर्स या स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध नहीं रहता। नतीजतन, उन्हें मजबूरीवश गर्भवती महिला को निजी वाहन से करीब 25-30 किलोमीटर दूर उमरिया पान या कटनी जैसे बड़े अस्पतालों में ले जाना पड़ता है। यह स्थिति न केवल महिलाओं की जान के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, बल्कि ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को भी झकझोर देती है।
सिर्फ आपातकालीन सेवाएं ही नहीं, बल्कि नियमित रूप से दिए जाने वाले पोषण आहार की व्यवस्था भी यहां लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी है। गर्भवती महिलाओं को आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन युक्त आहार, दूध, अंडा जैसी आवश्यक वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे शारीरिक कमजोरी और प्रसव जटिलताएं बढ़ने की संभावना बनी रहती है। यह स्थिति सरकार की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गंभीर उपेक्षा का उदाहरण बनकर उभर रही है।
यह भी उल्लेखनीय है कि बीते दिनों उमरिया पान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक गर्भवती महिला के साथ प्रभारी बीएमओ डॉ बी के प्रसाद के द्वारा अमर्यादित भाषा और गाली-गलौच किए जाने की घटना सामने आई थी, जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह प्रशासन की लचर व्यवस्था और संवेदनहीनता को दर्शाता है। जब शिकायतों पर सुनवाई नहीं होती, तो जनता का भरोसा शासन से उठ जाता है।
स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर प्रशासन से यह मांग की है कि सिलौड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण आहार की स्थायी और नियमित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही रात्रिकालीन नर्स, डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ की तत्काल तैनाती की जाए, ताकि रात के समय आने वाली चिकित्सा आपात स्थितियों का समुचित समाधान किया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस दिशा में शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन की राह पकड़ेंगे।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मातृ सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर भी प्रशासन और चिकित्सा विभाग की उदासीनता निरंतर बनी हुई है। शासन की योजनाएं कागजों में चमक रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर महिलाओं और नवजात शिशुओं के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है।