पाकिस्तान में तबाही लाने वाली बाढ़: झेलम नदी उफान पर, हजारों बेघर, जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त।

 पाकिस्तान में तबाही लाने वाली बाढ़: झेलम नदी उफान पर, हजारों बेघर, जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त।

33 करोड़ लोग प्रभावित, POK में आपातकाल, भारत पर पानी छोड़ने का आरोप, अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग।

कटनी,ग्रामीण खबर mp:

पाकिस्तान इस समय अपने इतिहास की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा है। लगातार हो रही मूसलधार बारिश और नदियों के उफान के कारण देश के बड़े हिस्से में बाढ़ की भयावह स्थिति बन गई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का लगभग एक-तिहाई भू-भाग पानी में डूब चुका है। बाढ़ से अब तक 1,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और लगभग 3 करोड़ 30 लाख लोग किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए हैं। इनमें से करीब 64 लाख लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की सख्त आवश्यकता है।

देश के उत्तर में स्थित पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हालात अत्यंत गंभीर हैं। झेलम नदी में जलस्तर अचानक बढ़ने से मुजफ्फराबाद, हट्टियन बाला और आस-पास के जिलों में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। कई इलाकों में जलभराव के कारण संचार और यातायात पूरी तरह बाधित हो चुका है। प्रशासन द्वारा मस्जिदों और स्थानीय माध्यमों से बार-बार जनता को सचेत किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके। राहत और बचाव दल सक्रिय हैं, लेकिन लगातार बारिश और सड़कों के कटाव के कारण उनकी कार्यक्षमता सीमित हो गई है।

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मई के पहले सप्ताह में बादल फटने और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं में कई दर्जन लोगों की जान चली गई और कई गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए। मकान ढह गए, सड़कें बह गईं और हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गईं। इससे आने वाले समय में खाद्यान्न संकट की आशंका भी गहराने लगी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से भूख और बीमारियों की खबरें भी आने लगी हैं।

इस संकट के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे जल विवाद ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत ने बिना किसी पूर्व सूचना के झेलम नदी में अतिरिक्त पानी छोड़ दिया, जिससे POK में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई। इस मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार और मीडिया में भारत के प्रति तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं। हाल ही में भारत द्वारा सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित करने की खबरों ने इस जल संघर्ष को और भड़काया है। हालांकि भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आपातकालीन सहायता की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मदद मांगी गई है। राहत एवं बचाव कार्यों में पाकिस्तानी सेना को भी लगाया गया है, जो प्रभावित क्षेत्रों में नावों और हेलीकॉप्टरों की सहायता से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है। लेकिन हालात बेहद विकट हैं—लोगों को न तो शुद्ध पेयजल मिल पा रहा है, न ही पर्याप्त भोजन और दवाएं।

इस बीच मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों में और अधिक वर्षा हो सकती है, जिससे बाढ़ की स्थिति और भी भयावह हो सकती है। वैज्ञानिकों और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का मानना है कि यह आपदा केवल प्राकृतिक नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय लापरवाही और क्षेत्रीय राजनीतिक जटिलताओं की भी अहम भूमिका है। उन्होंने दक्षिण एशिया के देशों से अपील की है कि वे जल संसाधनों के प्रबंधन और आपदा से निपटने के लिए एक साझा रणनीति विकसित करें।

ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में राहत पहुंचाना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। कई जगहों पर लोग पेड़ों और मकानों की छतों पर शरण लिए हुए हैं। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। बाढ़ के कारण अस्पतालों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में भी जलभराव हो गया है, जिससे इलाज में बाधा आ रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट केवल पाकिस्तान के लिए चेतावनी नहीं है, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप के लिए एक संकेत है कि यदि जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या दबाव, और असमंजसपूर्ण जल नीति जैसे मुद्दों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो भविष्य और भी भयावह हो सकता है। जल प्रबंधन, मौसम की पूर्व चेतावनी प्रणाली और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना अब समय की मांग है।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर MP
संपर्क सूत्र:9977110734

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