रक्षा बंधन पर पेड़ों को राखी बांधने की 17 वर्षों से चली आ रही अनूठी परंपरा, हरियाली की रक्षा का लिया संकल्प।

 रक्षा बंधन पर पेड़ों को राखी बांधने की 17 वर्षों से चली आ रही अनूठी परंपरा, हरियाली की रक्षा का लिया संकल्प।

सिलौंडी व हल्का नर्सरी में संरक्षक कुंज बिहारी चनपुरिया के सतत प्रयासों से 4000 पौधे सुरक्षित, पर्यावरण संरक्षण की प्रेरक मिसाल।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:

रक्षा बंधन का पर्व जहां भाई-बहन के रिश्ते की पवित्र डोर को मजबूत करता है, वहीं सिलौंडी और हल्का नर्सरी में इसे प्रकृति और हरियाली की सुरक्षा के लिए भी निभाया जा रहा है। इस वर्ष भी इस पावन अवसर पर पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेने का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। सिलौंडी उप तहसील भवन स्थित नर्सरी और ग्राम पंचायत अतरसुमा की हल्का नर्सरी में आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने हरियाली की रक्षा का प्रण लिया।

साल 2022 में सिलौंडी उप तहसील में लगाए गए 400 पौधे आज भी हरे-भरे खड़े हैं। यह दृश्य न केवल मेहनत और देखभाल का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश देता है कि यदि मन में दृढ़ निश्चय हो तो पौधारोपण केवल एक दिन का कार्य न होकर, दीर्घकालीन हरित संरक्षण की नींव बन सकता है। इसी तरह हल्का नर्सरी में भी पेड़ों को राखी बांधने का यह कार्यक्रम संपन्न हुआ, जहां हरियाली के बीच भाईचारे और प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम देखने को मिला।

नर्सरी के संरक्षक एवं ग्रामपंचायत अतरसूमा के सचिव कुंज बिहारी चनपुरिया ने बताया कि वर्ष 2007 से वे इस परंपरा को पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। हर वर्ष रक्षा बंधन पर पेड़ों को राखी बांधकर उनकी सुरक्षा का वचन लिया जाता है। आज हल्का नर्सरी में लगभग 4000 पौधे लहलहा रहे हैं, जो न केवल क्षेत्र की सुंदरता बढ़ा रहे हैं, बल्कि वातावरण को स्वच्छ और जीवनदायी बना रहे हैं।

कार्यक्रम में संरक्षक कुंज बिहारी चनपुरिया, सिलौंडी ग्राम पंचायत उपसरपंच राहुल राय, जनशिक्षक संतोष बर्मन, सरपंच सुशील परस्ते, पंच श्याम दत्त राय, आयुष्मान हॉस्पिटल सिहोरा संचालक अतुल चनपुरिया, सोशल मीडिया प्रभारी धीरज जैन और सुभाष सोनी उपस्थित रहे। सभी ने पेड़ों को राखी बांधकर संरक्षण का संकल्प लिया और हरियाली के इस अभियान को आगे बढ़ाने का प्रण किया।

पिछले 17 वर्षों से लगातार, रक्षा बंधन पर संरक्षक कुंज बिहारी चनपुरिया स्वयं व्यक्तिगत रूप से यह कार्यक्रम करते आ रहे हैं। उन्होंने ग्राम हल्का में लगभग 1600 एकड़ क्षेत्र में एक रेस्ट हाउस बनाकर 4000 से अधिक पौधे लगाए हैं और उनकी पूरी देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित की है। उनका मानना है कि हर पौधा एक जीवन है और उसकी रक्षा करना उतना ही आवश्यक है जितना अपने परिवार की सुरक्षा।

कुंज बिहारी चनपुरिया ने इस अवसर पर कहा कि यदि सिलौंडी कॉलेज में भी कलेक्टर कटनी के निर्देशानुसार वृक्षारोपण का कार्य उन्हें सौंपा जाता है, तो वे वहां भी पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी के साथ पौधारोपण करेंगे और उनका संरक्षण सुनिश्चित करेंगे।


यह अनूठी पहल केवल पर्यावरण संरक्षण का ही संदेश नहीं देती, बल्कि समाज को यह भी सिखाती है कि पर्व और परंपराएं सिर्फ रस्में निभाने के लिए नहीं होतीं, बल्कि उन्हें मानवता और प्रकृति के कल्याण से जोड़कर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। कुंज बिहारी चनपुरिया की यह 17 वर्षों की साधना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो न केवल वृक्षों की रक्षा का संदेश देती है, बल्कि मनुष्यों और प्रकृति के अटूट रिश्ते की मिसाल भी पेश करती है।

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