प्रयागराज में गंगा-यमुना का विकराल प्रकोप, जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, 12,000 से अधिक लोग विस्थापित।
61 वार्ड और 290 गाँव बाढ़ की चपेट में, राहत शिविरों में भीड़, गंदगी और संक्रमण का खतरा।
प्रयागराज,ग्रामीण खबर MP:
गंगा और यमुना नदियों के विकराल उफान ने प्रयागराज में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार हो रही बारिश और ऊपरी क्षेत्रों से छोड़े गए पानी के चलते दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है। गंगा का जलस्तर फाफामऊ में लगभग 85 मीटर, छतनाग में 84.3 मीटर और यमुना का जलस्तर नैनी में 85.06 मीटर दर्ज किया गया, जबकि नैनी में खतरे का स्तर 84.738 मीटर है। दोनों नदियों के एक साथ उफान पर होने से शहर और ग्रामीण इलाकों में पानी घुस गया है, जिससे हालात गंभीर बने हुए हैं।
शहर के 61 वार्ड, 150 से अधिक मोहल्ले और लगभग 290 गाँव बाढ़ से प्रभावित हैं। कई क्षेत्रों में मकानों की पहली मंज़िल तक पानी भर गया है, जिससे लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। अब तक 12,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से कई हज़ार लोग प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। नावों और अस्थायी पुलों के सहारे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा है।
SDRF और NDRF की टीमें लगातार बचाव और राहत कार्य में जुटी हुई हैं। कई इलाकों में फंसे लोगों को नावों के माध्यम से निकाला गया है। राहत शिविरों में भोजन, पीने का पानी और अस्थायी आश्रय की व्यवस्था की गई है, लेकिन बढ़ती भीड़, सीमित संसाधन और गंदगी के कारण वहां हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जलभराव के चलते गंदगी, दुर्गंध और मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें दवा छिड़काव और स्वास्थ्य जांच के कार्य में जुटी हैं, लेकिन मलेरिया, डेंगू, टायफाइड और अन्य जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। गंदे पानी में सांप, बिच्छू और अन्य विषैले जीव देखे जाने की घटनाएं भी लोगों के लिए चिंता का कारण हैं।
पिछले तीन से चार दिनों में जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे कुछ क्षेत्रों में पानी उतरना शुरू हुआ है, लेकिन अब भी 60 से अधिक मोहल्ले और सैकड़ों गाँव बाढ़ की चपेट में हैं। जिन इलाकों से पानी उतर गया है, वहाँ गाद, कचरा और बदबू ने स्वच्छता की गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। लोग अपने घरों को साफ करने और पुनर्निर्माण के कार्य में जुटे हैं, लेकिन बिजली कटौती और संचार व्यवस्था प्रभावित होने से मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
भारी बारिश और जलभराव ने शहर के यातायात को भी प्रभावित किया है। कई सड़कों पर पेड़ गिरने और बिजली के खंभे उखड़ने की घटनाएं हुई हैं। कई मोहल्लों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है, जिससे रात के समय बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को अंधेरे और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में बादल छाए रहने और रुक-रुककर बारिश होने की संभावना है। इससे बाढ़ की स्थिति में सुधार की गति धीमी हो सकती है और निचले इलाकों में जलभराव का खतरा बरकरार रह सकता है।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित इलाकों में अनावश्यक न जाएँ, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर रखें और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन की हेल्पलाइन पर तुरंत संपर्क करें। साथ ही, पानी उबालकर पीने, मच्छरदानी के उपयोग और साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह दी गई है। राहत कार्यों के साथ-साथ प्रशासन ने स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है, ताकि किसी भी प्रकार की महामारी फैलने से रोका जा सके।
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