सिलौंडी क्षेत्र में विश्व आदिवासी दिवस पर विविध सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयोजन संपन्न।

 सिलौंडी क्षेत्र में विश्व आदिवासी दिवस पर विविध सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयोजन संपन्न।



मेधावी छात्र-छात्राओं का सम्मान,बड़ा देव की पूजा-अर्चना में उमड़ा जनसमूह।

सिलौड़ी,ग्रामीण खबर MP:

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सिलौंडी क्षेत्र, जिसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, में शनिवार को दिनभर विविध आयोजन संपन्न हुए। इस दिन को लेकर क्षेत्र के गांव-गांव में पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक जोश का माहौल देखने को मिला। कचनारी, हल्का, जमुनिया, और आस-पास के अनेक गांवों में आदिवासी समाज के वरिष्ठजनों और युवाओं ने एकत्र होकर बड़ा देव का पूजन-अर्चन किया। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ समाज के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया।

हल्का में हुए मुख्य समारोह में सुबह से ही लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया था। पारंपरिक वेशभूषा में सजे युवा और महिलाएं अपने हाथों में पूजा सामग्री लेकर पहुंचे। पूजा-पाठ के बाद समाज के बुजुर्गों ने आदिवासी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर प्रेरणादायक उद्बोधन दिए। बच्चों और युवाओं ने सांस्कृतिक गीतों और पारंपरिक नृत्यों के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन किया।

आयोजन में जनप्रतिनिधियों और पंचायत पदाधिकारियों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ा दिया। सरपंच द्रौपदी बहादुर, सरपंच सुशील परस्ते, सरपंच पंचों संतोष कुमार, सिलौंडी उपसरपंच राहुल राय, सचिव कुंज बिहारी चमपुरिया और पंच श्यामदत्त राय ने समाज के बीच उपस्थित होकर सभी को बधाई दी और शिक्षा, एकता एवं सांस्कृतिक संरक्षण के महत्व पर बल दिया।

दोपहर के समय आयोजित सम्मान समारोह में मंच से यह संदेश दिया गया कि शिक्षा ही समाज को मजबूत बनाती है और आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़कर रखती है। वक्ताओं ने बताया कि आदिवासी समाज की संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराएं न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, बल्कि वे सामुदायिक एकजुटता और पर्यावरण संरक्षण की सीख भी देती हैं।

समारोह के अंत में पारंपरिक वाद्ययंत्रों—मांदर, ढोल और नगाड़ों की थाप पर सामूहिक नृत्य का आयोजन हुआ, जिसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रंग-बिरंगे परिधानों और उल्लास से भरे चेहरों ने वातावरण को जीवंत बना दिया। कार्यक्रम स्थल पर लोगों ने एक-दूसरे को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दीं और यह संकल्प लिया कि वे अपनी भाषा, लोककथाओं, त्यौहारों और पारंपरिक ज्ञान को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाएंगे।

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